Monday, 27 November 2017

श्री हनुमाष्टादशाक्षर मन्त्र-प्रयोग

श्री हनुमाष्टादशाक्षर मन्त्र-प्रयोग
मन्त्रः-

जय माँ जय बाबा महाकाल....

*“ॐ नमो हनुमते आवेशय आवेशय स्वाहा ।”*

विधिः- अब विधा विधान कहते है सबसे पहले हनुमान जी की एक मूर्त्ति रक्त-चन्दन से बनवाए ।
किसी शुभ मुहूर्त्त में उस मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कर उसे रक्त-वस्त्रों से सु-शोभित करे ।
फिर रात्रि में स्वयं रक्त-वस्त्र धारण कर, रक्त आसन पर पूर्व की तरफ मुँह करके बैठे ।
हनुमान जी उक्त मूर्त्ति का पञ्चोपचार से पूजन करे ।
किसी नवीन पात्र में गुड़ के चूरे का नैवेद्य लगाए और नैवेद्य को मूर्ति के सम्मुख रखा रहने दे ।
घृत का ‘दीपक’ जलाकर, रुद्राक्ष की माला से उक्त ‘मन्त्र’ का नित्य ११०० जप करे .
और जप के बाद स्वयं भोजन कर, ‘जप’-स्थान पर रक्त-वस्त्र के बिछावन पर सो जाए ।
अगली रात्रि में जब पुनः पूजन कर नैवेद्य लगाए, तब पहले दिन के नैवेद्य को दूसरे पात्र में रख लें । इस प्रकार २१ दिन करे ।
२२वें दिन एकत्र हुआ ‘नैवेद्य’ किसी दुर्बल ब्राह्मण को दे दें
अथवा
पृथ्वी में गाड़ दे ।
ऐसा करने से हनुमान जी रात्रि में स्वप्न में दर्शन देकर सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान कर सेकतेे हैं ।
स्वप्न नही आये तो दुबारा कोशिश करे पर पुणे समर्पित की भावना से '
‘पर प्रयोग’ को गुप्त-भाव से करना चाहिए ओर किसी को बताना भी नही चाहिए.. ।
प्रणाम प
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश....
🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻

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