Friday, 24 November 2017

गुरू क्या है ओर गुरू मंत्र क्या है गुरु तत्व क्या है

गुरु क्या है गुरु मंत्र क्या है
गुरु का मतलब क्या है शिष्य कोन ओर क्या पुरक है दोनो  मे पर गुरु का बोध शिष्य को हो तभी तो गुरु तत्व जाग्रत अवस्था मे आता है बिना गुरु नाम का बोध हुये आप कैसे शिष्य हो ये हमे नही पता गुरु अपने आप मे महा बीज मंत्र है गुरु किसी इंसान को कहाँ जाता है या नही ये आप की अवस्था पर निर्भर है जब तक आप अपने अंदर गुरु नाम का दीप नही जला लेते तब तक गुरु शिष्य का रिश्ता बेमानी है सबसे पहले आपमे अपने गुरु के प्रति आदर भाव होना जरुरी है उनका चेहरा नही चरण देखना जरुरी है जो गुरु चरणो का चेहता बन गया उससे पर इष्ट कृपा भी जल्दी होती है बाकी जगत पिता के कई पुत्र है जौ अपने आपको उनके चैले मानते है जैसे जगत पिता ने उनको क्रिया दी हो मंत्र दिये हो पर आजकल सब संभव है इसमे कोई बडी बात नही है ओर तो ओर कोई बोतल मे जिन्न भूत के नाम से बंद बोतल मे भूत जिन्न बेच रहा है कोई पैसे लेकर देवी यक्षिणी की साधना करा रहा है अरे साधना करने से पहले उससे ये तो पुछौ की उसने देवी यक्षिणी की साधना की है उसका क्या अनुभव है क्या उनकी प्रतिक्रिया है किस रुप मे प्राप्त करे या कोई देवी कर्णपश्चिनी साधना बेच रहा है या कोई शिविर लगाकर शाबर साधना या दिक्षा दे रहा है उनसे इनका बेसिक ग्यान तो लो पहले की उनका अनुभव कैसा था ओर उनके पास है क्या तीन दिन मे कोई साधक नही बन सकता उनमे समय लगता है जिनके गुरु का पता नही गुरु स्थान का पता नही वो आजकल आचार्य बने हुये है किताबी ग्यान के हिसाब बस रटे रटाये शब्दो का ग्यान देने से पहले कोई उनका मर्म नही समझ पाते बस सबको मारण मोहन वशीकरण उच्चाटन ओर प्रेत साधना या कोई देवीयो को प्रकट करने लगा है उनसे दीक्षा ले रहे है जिनका इनसे कोई दुर दुर का नाता नही क्या गुरु ओर शिष्य का संबंध इन सभी साधनाओ तक ही सीमित रह गया है, क्या इसलिए गुरु की जरुरत पडती है क्या बुरी शक्तियों को प्रकट होना या अच्छी शक्तियां का प्रकट होना आपके अनुसरण पर निर्भर है किसी ओर पर नही गुरु तूल्य होना या गुरु होना या बनाना ये आप पर निर्भर है गुरु नाम का वो बह्मस्त्रा है जो आपकी जिंदगी भर रक्षा करता है ये आपकी ढाल है इसलिए आपमे गुरु तत्व का उत्पन्न होना जरुरी है जब तक आप अपने ओर गुरु के प्रति वफादार नही रह सकते कोई आपमे सिद्धि या साधना जैसी वस्तू उत्पन्न नही कर सकता यही सत्य है जिसकी जानकारी उसको पाने की तमन्ना अच्छी है पर जब तक गुरु ना कहे उससे दूर रहो यह भी सत्य है गुरु बिना शिष्य उस डाली की तरह होता है जो पेड से टूट कर लटक चूकी हो हर साधना मे गुरु मंत्र का विशेष महत्व होता यही आपका सुरक्षा कवच होता है इसलिए जब भी कोई साधना करो गुरु मंत्र का जप शुरुआत मे बीच मे अंत मे जरूर करे आपको सफलता जरूर मिलेगी जो गुरु मुखी होते है वो दुसरे गुरु की निंदा भी नही करते जितना अपने गुरु का सम्मान करते हो उतना ही ओर गुरुओ का सम्मान करे उतना ही अच्छा है बाकी आप ओर आपका आध्यात्मिक आपको मुबारक मानो तो अच्छा नही मानो तो अच्छा यहाँ कोई पुणे नही  पर कोई किसी से कम नही यही सत्य है इसलिए पहले स्वयंम को परखो फिर आगे बढो किताबी  ओर गुगल बाबाओ से अच्छा है कि स्वयंम अनुभव लो ओर गुरु चरणो मे रहकर लो बाकी कोई चमत्कार कर दे या सब झूठ है यही सत्य है नादान बालक की कलम से आज सिर्फ इतना ही आगे कल बाकी आप ओर आपकी सोच को शंत शंत प्रणाम.......

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
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