Thursday 13 January 2022

मकरसंक्रांति कब है और क्या उपाय करें

 मित्रों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मकरसंक्रांति चौदह 14 तारीख को ही मनाया जाता है पर इस बार 14 और 15 जनवरी दोनों को मनायी जायेगी क्योंकि पंचांगों में सुर्य की राशि परिवर्तन 14 जनवरी को रात्रि आठ बजे बाद का दिखा रही है पंचांग अनुसार 15 जनवरी को मकरसंक्रांति मनायी जायेगी और मित्रों सुर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मांगलिक कार्य जैसे ग्रहपवेश यज्ञोपवीत, मुंडन शादी विवाह आदि मांगलिक कार्यों का शुभारम्भ हो जायेगा एक नयी ऊर्जा का शुभारम्भ होगा और ईश्वर अपने भक्तों और साधकों साधु संतों को खरमास में की गयी पुजा हवन या कर है उनको यथोचित या अधिक फल प्राप्ति शुरू हो जायेगी ।

आधिकारिक नाम खिचड़ी, पोंगल
अनुयायी , मनाने वाले हिन्दू,नेपाली

भारतीय, प्रवासी भारतीय व नेपाली
प्रकार सनातनी हिन्दू
तिथि पौष मास में सूर्य के मकर राशि में आने पर 
तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं, यह भ्रान्ति है कि उत्तरायण भी इसी दिन होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति उत्तरायण से भिन्न है।
इस वर्ष निम्न राशियों में होगा बदलाव, वृषभ राशि, तुला राशि,धनु राशि, मीन राशि, इन राशि वाले व्यक्ति सूर्य देव को काले तिल में गुड़ मिलाकर हृदय देने से कमजोर और वृद्ध आदमी की सेवा करने से इसके अलावा किसी  को धार्मिक पुस्तक और पंचांग भेंट करने से श्री सूक्ति का पाठ करने से कुबेर देव की पूजा करने से इन 4 राशियों पर मां महालक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी पूरे साल और साथ ही ये उपाय जरूर करें , इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और फिर सूर्यदेव को तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, तिल आदि डालकर अर्पित करें। जल अर्घ्य देते समय ‘ओम घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जप करते रहें और ध्यान रहे कि आपकी नजर गिरते हुए जल में दिख रहीं सूर्य की किरणों पर होना चाहिए। साथ ही इस दिन सूर्य से संबंधित चीजें तांबा, गेहूं, गुड़, केसर, खस-खस, घी, गुलाबी रंग के वस्त्र, नमक, रूई, ऊनी वस्त्र आदि का दान करें। ऐसा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति को समस्त व्याधियों से मुक्ति मिलती है ,इसी दिन जल में गंगाजल, तिल व सप्तमृतिका मिला लें और फिर गंगा मैय्या का ध्यान करते हुए उत्तर दिशा की तरफ ध्यान करते हुए स्नान करें। साथ ही स्नान करते समय ‘गंगे, च यमुने, चैव गोदावरी, सरस्वति, नर्मदे, सिंधु, कावेरि, जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।’ मंत्र का जप करें। ऐसा करने से आपको पवित्र नदियों में स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है और इसी दिन तिल, खिचड़ी व धार्मिक पुस्तकों का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। गरीब व जरूरतमंद लोगों में खिचड़ी बनाकर खिलाएं और तिल व धार्मिक पुस्तक का दान करें। आप भगवान विष्णु को भी तिल अर्पित करें। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। इस दिन शनि उपासना करने और काले तिल व गुड़ के लड्डू बनाकर खाने से भी सूर्य व शनि दोनों की कृपा प्राप्त होती है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों इसी दिन एक मुट्ठी काले तिल लें और उसको परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार वार कर घर की उत्तर दिशा की तरफ फेंक दें। ऐसा करने से घर में धन की बरकत होगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इसके साथ ही आप काले तिल के लड्डू, ऊनी कपड़े, काले तिल, गुड़ व रेवड़ी का दान करना पुण्यदायी माना गया है क्योंकि यह सूर्य और शनि से संबंधित चीजें हैं, इसी दिन सुबह 14 कौड़ियां लें और उनको दूध में केसर मिलाकर स्नान करवाएं, फिर गंगाजल से साफ करके एक लाल कपड़े में महालक्ष्मी के सामने रख दें। फिर दो दीपक जलाएं, एक दीपक घी का और दूसरा तिल के तेल का। घी के दीपक को मां लक्ष्मी के राइट साइड और तिल के तेल वाला दीपक लेफ्ट साइड में रख दें। इसके बाद कौड़ियों को हाथ में लेकर ॐ संक्रात्याय नमः मंत्र 14 बार बोलकर सिद्ध कर लें। उसके बाद दोपहर 12 बजे कौड़ियों को उठाकर धन वाले स्थान जैसे पर्स, अलमारी, भंडार घर आदि पर रख दें। फिर दीपक के स्थान भी बदल दें, राइट वाला लेफ्ट और लेफ्ट वाला राइट स्थान पर रख दें और दीपक लगातार जलते रहने दें। शाम के समय घी के दीपक को तुलसी पर और तिल के तेल का दीपक घर की दहलीज पर रखें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती, इस दिन गायों की सेवा करनी चाहिए और हरा चारा खिलाना चाहिए। साथ ही पक्षियों को भी दाना डालें। ऐसा करने से चंद्र और शुक्र दोष दूर होता है और कुंडली में भी इनकी स्थिति मजबूत होती है। साथ ही इस दिन पितरों की शांति के लिए जलयुक्त अर्पण करना चाहिए। पितरों को जल देने से घर में आरोग्य सुख व समृद्धि आती है और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। वहीं सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए किसी भी चीज की चौदह (14)की संख्या में सुहागन महिलाओं का दान करना चाहिए ,
इस दिन जैसा ऊपर बताया था हमने दान पुण्य के बारे में इसी दिन ऊनी कंबल, जरूरतमंदों को वस्त्र विद्यार्थियों को पुस्तकें पंडितों को पंचांग आदि का दान भी किया जाता है। अन्य खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जी, चावल, दाल, आटा, नमक आदि जो भी यथा शक्ति संभव हो उसे दान करके संक्राति का पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है पुराणों के अनुसार जो प्राणी ऐसा करता है उसे विष्णु और श्रीलक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है , और मित्रों मकर संक्रांति पर तीर्थपतियों का प्रयाग आगमन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और माघमाह के संयोग से बनने वाला यह पर्व सभी देवों के दिन का शुभारंभ होता है। इसी दिन से तीनों लोकों में प्रतिष्ठित तीर्थराज प्रयाग और गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगमतट पर साठ हजार तीर्थ, नदियां, सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, नाग, किन्नर आदि एकत्रित होकर स्नान, जप-तप, और दान-पुण्य करके अपना जीवन धन्य करते हैं। तभी इस पर्व को तीर्थों और देवताओं का महाकुंभ पर्व कहा जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार यहां की एक माह की तपस्या परलोक में एक कल्प (आठ अरब चौसठ करोड़ वर्ष) तक निवास का अवसर देती है इसीलिए साधक यहां कल्पवास भी करते हैं,
भगवान शिव जी  द्वारा सूर्य देव की महिमा का वर्णन,
मरणोंपरांत जीव की गति बताने वाले महानग्रंथ 'कर्मविपाक' संहिता में सूर्य महिमा का वर्णन करते हुए भगवान शिव माँ पार्वती से कहते हैं कि देवि ! ब्रह्मा विष्णुः शिवः शक्तिः देव देवो मुनीश्वरा, ध्यायन्ति भास्करं देवं शाक्षीभूतं जगत्त्रये। अर्थात- ब्रह्मा, विष्णु, शिव, शक्ति, देवता, योगी ऋषि-मुनि आदि तीनों लोकों के शाक्षीभूत भगवान् सूर्य का ही ध्यान करते हैं। जो मनुष्य प्रातःकाल स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देता है उसे किसी भी प्रकार का ग्रहदोष नहीं लगता क्योंकि इनकी सहस्रों किरणों में से प्रमुख सातों किरणें सुषुम्णा, हरिकेश, विश्वकर्मा, सूर्य, रश्मि, विष्णु और सर्वबंधु, जिनका रंग बैगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल है। हमारे शरीर को नयी उर्जा और आत्मबल प्रदान करते हुए हमारे पापों का शमन कर देती हैं प्रातःकालीन लाल सूर्य का दर्शन करते हुए 'ॐ सूर्यदेव महाभाग ! त्र्यलोक्य तिमिरापः। मम् पूर्वकृतं पापं क्षम्यतां परमेश्वरः। यह मंत्र बोलते हुए सूर्य नमस्कार करने से जीव को पूर्वजन्म में किये हुए पापों से मुक्ति मिलती है और मित्रों इस पर्व पर समुद्र में स्नान के साथ-साथ गंगा, यमुना, सरस्वती, नमर्दा, कृष्णा, कावेरी आदि सभी पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देने से पापों का नाश तो होता ही है पितृ भी तृप्त होकर अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं यहां तक कि इस दिन किए जाने वाले दान को महादान की श्रेणी में रखा गया है। वैसे तो सभी संक्रांतियों के समय जप-तप तथा दान-पुण्य का विशेष महत्व है किन्तु मेष और मकर संक्रांति के समय इसका फल सर्वाधिक प्रभावशाली कहा गया है उसका कारण यह है कि मेष संक्रांति देवताओं का अभिजित मुहूर्त होता है और मकर संक्रांति देवताओं के दिन का शुभारंभ होता है। इस दिन सभी देवता भगवान  श्री विष्णु और मां श्रीमहालक्ष्मी का पूजन-अर्चन करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं अतः श्रीविष्णु के शरीर से उत्पन्न तिल के द्वारा बनी वस्तुएं और श्रीलक्ष्मी के द्वारा उत्पन्न इक्षुरस अर्थात गन्ने के रस से बनी वस्तुएं जिनमें गुड़-तिल का मिश्रण हो उसे  दान किया जाता है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी। इस दिन गणेश जी बाबा भोलेनाथ और सुर्य देव और महालक्ष्मी जी कुबेर देवता की पुजा ज़रूर करें ,,।
आप सभी को मकरसंक्रांति की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई 
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏

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