Friday 9 April 2021

सोमवती अमावस्या कब से है और शुभ मुहूर्त कब से है भाग एक

 #सोमवती #अमावस्या कब से है और शुभ मुहूर्त कब से है 




मित्रों जैसे आप सभी जानते हैं कि सनातन नव वर्ष आरंभ होने वाला है इस साल की यह आखरी अमावस्या है और सोमवती अमावस्या भी है इस नववर्ष में यही एक सोमवती अमावस्या आएगी ,धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस पावन दिन पितरों का तर्पण करने से उनका विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है,
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व होता है
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं इस पावन दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ होता है
इस सनातनी नववर्ष में और साल 2021 में केवल एक ही अमावस्या ऐसी पड़ रही है जो सोमवती अमावस्या है इसलिए 12 अप्रैल वाली सोमवती अमावस्या का महत्व काफी अधिक माना जा रहा है, ऐसी मान्यता है कि अगर सोमवती अमावस्या पर कोई उपवास करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती है  इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है ऐसा करने से व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है 
इस दिन सुबह जल्दी उठकर क्या करना चाहिए वह भी जान ले नादान बालक की कलम से बस इतना ही बाकी फिर कभी,
सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें
इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें
इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा रें
दान-दक्षिणा भी करें.
इस दिन स्नान करने के बाद भगवान शिव और पार्वती के साथ तुलसी पूजा का भी महत्व बताया गया है,
मित्रों पुरा विस्तार से बता रहे हैं हो सकता है इस पोस्ट के दो भाग  करने पड़े जिसमें उपाय और मुहूर्त समय सारी चीजें दो भागों में विभाजित हो जाए और आप आसानी से हम को समझ सके,
ब्रह्म मुहूर्त- 04:17 ए एम, अप्रैल 13 से 05:02 ए एम, अप्रैल 13 तक
अभिजित मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:35 पी एम तक
विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:07 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त- 06:18 पी एम से 06:42 पी एम तक
अमृत काल- 08:51 ए एम से 10:37 ए एम तक
निशिता मुहूर्त- 11:46 पी एम से 12:32 ए एम, अप्रैल 13 तक
राहुकाल- 07:23 ए एम से 08:59 ए एम तक
यमगण्ड- 10:34 ए एम से 12:10 पी एम तक
गुलिक काल- 01:45 पी एम से 03:20 पी एम तक
दुर्मुहूर्त- 12:35 पी एम से 01:26 पी एम तक
गण्ड मूल- पूरे दिन
पंचक- 05:48 ए एम से 11:30 ए एम तक
इस साल सोमवती``अमावस्या``` के दिन वैधृति और विष्कंभ योग बन रहा है। खास बात यह है कि पूरे साल में सिर्फ एक ही *सोमवती* अमावस्या पड़ रही है
सोमवती अमावस्या के दिन वैधृति योग दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगा इसके बाद विष्कुम्भ योग लग जाएगा
#विष्कुम्भ योग : _ज्योतिष_ शास्त्र में इस योग को विष से भरा हुआ घड़ा माना जाता है इसीलिए इसका नाम विष्कुम्भ योग है। जिस तरह से विष का सेवन करने पर सारे शरीर में धीरे-धीरे विष भर जाता है वैसे ही इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान होता है। यानी इस योग में किए गए कार्य का फल अशुभ होता है
#वैधृति योग _यह_ योग स्थिर कार्यों हेतु ठीक है परंतु यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य अथवा यात्रा आदि करनी हो तो इस योग में नहीं करनी चाहिए मित्रों अगले भाग में कुछ उपाय देंगे नादान बालक की _कलम_ से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

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