गोस्वामी तुलसीदासजी के द्वारा प्रकट किये गये रामचरितमानस के मन्त्र
गोस्वामी तुलसीदासजी के द्वारा प्रकट किये गये रामचरितमानस के मन्त्र
केवल दो ही चौपाइयों का सम्पुट अधिक मिलता है,एक तो "मंगल भुवन अमंगल हारी,द्रवउ से दसरथ अजिर बिहारी",और दूसरी"दीन दयाल बिरदु सम्भारी,हरहु नाथ मम संकट भारी",इसके बाद जो अधिक जानते है,वे अधिक और चौपाइयों का बखान करते है.पहली चौपाई का भाव केवल एक मनुष्य या परिवार के लिये नही है,इस चौपाई का भाव अगर समझा जावे तो बहुत बडा मिलता है,मंगल का अर्थ अगर ज्योतिष से लिया जावे तो भाई से मिलता है,शरीर में खून से मिलता है,संसार में धर्म से मिलता है,और हिम्मत और साहस से मिलता है,संसार में चलने वाले धर्म के अन्दर अधर्म को चलने से रोकने के लिये प्रार्थना का रूप यह चौपाई है,और प्रभु राम से प्रार्थना की गयी है,कि धर्म के प्रति अब तो इस अधर्मी संसार के मन में द्रवता का भाव भरो,द्रवता का अर्थ दायलुता से है,जो लोग एक दूसरे को मारे डाल रहे है,शराब मांस का भक्षण करने के बाद उनको पता नही होता कि वे क्या करने जा रहे है,जिस जर जोरू जमीन के लिये वे लडे जा रहे है,वह कल भी उनकी नही थी,आज कुछ समय के लिये वे मान सकते है,कि उनकी है,लेकिन कल और किसी की होगी,करोडों वर्षों से यह कहानी चली आ रही है,राजाओं ने फ़ौजें कटवादीं,लाखों लोग इन तीन के लिये मरे और मारे गये है,लेकिन समझ आज भी किसी को नही आ रही है.रामायण की चौपाइयों का अर्थ और उनका महत्व हम आगे कभी समझायेंगे,लेकिन जिन चौपाइयों को केवल स्मरण करने से बाधा दूर होती है,और प्रधानत: शांति का भान होता है,उन चौपाइयों का अर्थ और स्मरण का तरीका हम आपके समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे है,किसी प्रकार की भाषाई त्रुटि अगर हो जाती है,तो सज्जन क्षमा भी करेंगे,ऐसा मेरा विश्वास है.
गोस्वामी तुलसीदासजी के द्वारा प्रकट किये गये रामचरितमानस के मन्त्र
केवल दो ही चौपाइयों का सम्पुट अधिक मिलता है,एक तो "मंगल भुवन अमंगल हारी,द्रवउ से दसरथ अजिर बिहारी",और दूसरी"दीन दयाल बिरदु सम्भारी,हरहु नाथ मम संकट भारी",इसके बाद जो अधिक जानते है,वे अधिक और चौपाइयों का बखान करते है.पहली चौपाई का भाव केवल एक मनुष्य या परिवार के लिये नही है,इस चौपाई का भाव अगर समझा जावे तो बहुत बडा मिलता है,मंगल का अर्थ अगर ज्योतिष से लिया जावे तो भाई से मिलता है,शरीर में खून से मिलता है,संसार में धर्म से मिलता है,और हिम्मत और साहस से मिलता है,संसार में चलने वाले धर्म के अन्दर अधर्म को चलने से रोकने के लिये प्रार्थना का रूप यह चौपाई है,और प्रभु राम से प्रार्थना की गयी है,कि धर्म के प्रति अब तो इस अधर्मी संसार के मन में द्रवता का भाव भरो,द्रवता का अर्थ दायलुता से है,जो लोग एक दूसरे को मारे डाल रहे है,शराब मांस का भक्षण करने के बाद उनको पता नही होता कि वे क्या करने जा रहे है,जिस जर जोरू जमीन के लिये वे लडे जा रहे है,वह कल भी उनकी नही थी,आज कुछ समय के लिये वे मान सकते है,कि उनकी है,लेकिन कल और किसी की होगी,करोडों वर्षों से यह कहानी चली आ रही है,राजाओं ने फ़ौजें कटवादीं,लाखों लोग इन तीन के लिये मरे और मारे गये है,लेकिन समझ आज भी किसी को नही आ रही है.रामायण की चौपाइयों का अर्थ और उनका महत्व हम आगे कभी समझायेंगे,लेकिन जिन चौपाइयों को केवल स्मरण करने से बाधा दूर होती है,और प्रधानत: शांति का भान होता है,उन चौपाइयों का अर्थ और स्मरण का तरीका हम आपके समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे है,किसी प्रकार की भाषाई त्रुटि अगर हो जाती है,तो सज्जन क्षमा भी करेंगे,ऐसा मेरा विश्वास है.
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