अलौकिक गुण हैं नारियल में
हम सभी जानते हैं पूजन कर्म में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी देवी-देवता की पूजा नारियल के बिना अधूरी ही मानी जातीहै।
नारियल खाने से शारीरिक दुर्बलता एवं भगवान को नारियल चढ़ाने से धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
यह भी एक तथ्य है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। नारियल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन (प्रजनन) क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियों बीज रूप से ही शिशु को जन्म देतीहै और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। नारियल से निकले जल से भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक भी किया जाता है।
नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लाए।इसलिए नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते है। नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है।श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है।
नारियल की तासीर ठंडी होती है। ताजा नारियल कैलोरी से भरपूर होता है। इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं। नारियल के कोमल तनों से जो रस निकलता है उसे माड़ी (नीरा) कहते हैं उसे लज्जतदार पेय माना जाता है। सोते समय नारियल पानी पीने से नाड़ी संस्थान को बल मिलता है तथा नींद अच्छी आतीहै।
जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के साथ नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए। शिशु को डि-हाइड्रेशन होने पर नारियल पानी में नीबू का रस मिलाकर पिलाएं। नरियल का पानी हैजे में रामबाण औषधि है।
नारियल की गिरी (खोपरा) खाने से कामशक्ति बढ़ती है। मिश्री के साथ खाने से गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है तथा बच्चा सुंदर होता है। सूखी गिरी खाने से आंख की रोशनी तथा गुर्दों के शक्ति मिलती है। पौष, माघ और फाल्गुन माह में नियमित सुबह गिरी के साथ गुड़ खाने से वक्षस्थल में वृद्धि होती है, शारीरिक दुर्बलता दूर होतीहै।
इसके पानी में पोटेशियम और क्लोरीन होता है जोi मां के दूध के समान होता है। नारियल कठिनता से पचने वाला, वातशोधक, विष्टïम्भी, पुष्टिïकारक, बलवर्धक और वात-पित्त व रक्तविकार नाशक होता है।
श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक है। सम्मान करने के लिए शॉल के साथ श्रीफल भी दिया जाता है। सामाजिक रीति-रिवाजों में भी नारियल भेंट करने की परंपरा है। जैसे बिदाई के समय तिलककर नारियल और धनराशि भेंट की जाती है। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों को राखी बांध कर नारियल भेंट करती हैं और रक्षा का वचन लेती हैं।..................................
हम सभी जानते हैं पूजन कर्म में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी देवी-देवता की पूजा नारियल के बिना अधूरी ही मानी जातीहै।
नारियल खाने से शारीरिक दुर्बलता एवं भगवान को नारियल चढ़ाने से धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
यह भी एक तथ्य है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। नारियल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन (प्रजनन) क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियों बीज रूप से ही शिशु को जन्म देतीहै और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। नारियल से निकले जल से भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक भी किया जाता है।
नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लाए।इसलिए नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते है। नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है।श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है।
नारियल की तासीर ठंडी होती है। ताजा नारियल कैलोरी से भरपूर होता है। इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं। नारियल के कोमल तनों से जो रस निकलता है उसे माड़ी (नीरा) कहते हैं उसे लज्जतदार पेय माना जाता है। सोते समय नारियल पानी पीने से नाड़ी संस्थान को बल मिलता है तथा नींद अच्छी आतीहै।
जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के साथ नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए। शिशु को डि-हाइड्रेशन होने पर नारियल पानी में नीबू का रस मिलाकर पिलाएं। नरियल का पानी हैजे में रामबाण औषधि है।
नारियल की गिरी (खोपरा) खाने से कामशक्ति बढ़ती है। मिश्री के साथ खाने से गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है तथा बच्चा सुंदर होता है। सूखी गिरी खाने से आंख की रोशनी तथा गुर्दों के शक्ति मिलती है। पौष, माघ और फाल्गुन माह में नियमित सुबह गिरी के साथ गुड़ खाने से वक्षस्थल में वृद्धि होती है, शारीरिक दुर्बलता दूर होतीहै।
इसके पानी में पोटेशियम और क्लोरीन होता है जोi मां के दूध के समान होता है। नारियल कठिनता से पचने वाला, वातशोधक, विष्टïम्भी, पुष्टिïकारक, बलवर्धक और वात-पित्त व रक्तविकार नाशक होता है।
श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक है। सम्मान करने के लिए शॉल के साथ श्रीफल भी दिया जाता है। सामाजिक रीति-रिवाजों में भी नारियल भेंट करने की परंपरा है। जैसे बिदाई के समय तिलककर नारियल और धनराशि भेंट की जाती है। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों को राखी बांध कर नारियल भेंट करती हैं और रक्षा का वचन लेती हैं।..................................
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