अक्षय लक्ष्मी -पूजन मन्त्र
“आवो लक्ष्मी बैठो आँगन, रोरी तिलक चढ़ाऊँ।
गले में हार पहनाऊँ।।
बचनों की बाँधी, आवो हमारे पास।
पहला वचन श्रीराम का, दूजा वचन ब्रह्मा का, तीजा वचन महादेव का।
वचन चूके, तो नर्क पड़े।
सकल पञ्च में पाठ करुँ।
वरदान नहीं देवे, तो महादेव शक्ति की आन।।”
विधिः- दीपावली की रात्रि को सर्व-प्रथम षोडशोपचार से लक्ष्मी जी का पूजन करें। स्वयं न कर सके, तो किसी कर्म-काण्डी ब्राह्मण से करवा लें। इसके बाद रात्रि में ही उक्त मन्त्र की ५ माला जप करें। इससे वर्ष-समाप्ति तक धन की कमी नहीं होगी और सारा वर्ष सुख तथा उल्लास में बीतेगा।
“आवो लक्ष्मी बैठो आँगन, रोरी तिलक चढ़ाऊँ।
गले में हार पहनाऊँ।।
बचनों की बाँधी, आवो हमारे पास।
पहला वचन श्रीराम का, दूजा वचन ब्रह्मा का, तीजा वचन महादेव का।
वचन चूके, तो नर्क पड़े।
सकल पञ्च में पाठ करुँ।
वरदान नहीं देवे, तो महादेव शक्ति की आन।।”
विधिः- दीपावली की रात्रि को सर्व-प्रथम षोडशोपचार से लक्ष्मी जी का पूजन करें। स्वयं न कर सके, तो किसी कर्म-काण्डी ब्राह्मण से करवा लें। इसके बाद रात्रि में ही उक्त मन्त्र की ५ माला जप करें। इससे वर्ष-समाप्ति तक धन की कमी नहीं होगी और सारा वर्ष सुख तथा उल्लास में बीतेगा।
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