ॐ जय माँ जय महाकाल ॐ
ध्यान से आत्मा का महत्व
मैं तुम्हे बहुत कुछ देना चाहती हूं पर तुम अपने अंतर वो जिज्ञासा जगाओ।
लेने की अगर तुम स्वार्थी हुए तो बड़ी पराकाष्ठा होगी। तुम्हारे अस्तित्व की
अपने अंदर वो तपिश पैदा करो कि अगर तुम्हारे औरामैं कोई भी प्राणी आये वो परम आनंद से भर जाये।तुम देखो उस घटना के क्रम को ,परत दर परत उतरती जाएगी तुम्हे सपने की आखरी में तुम पाओगे तुम शुन्यम स्थिति में हो, जिसे तुम अपना अपना की गुहार लगाये हुये हो, वो तुम्हारा कुछ नही तुम भी वो नही जो तुम सपने में देख रहे हो।अब निकल आओ अपने इस निर्जीव पोशाक से
आत्मअवलोकन
ॐ जय माँ जय महाकाल ॐ
ध्यान से आत्मा का महत्व
मैं तुम्हे बहुत कुछ देना चाहती हूं पर तुम अपने अंतर वो जिज्ञासा जगाओ।
लेने की अगर तुम स्वार्थी हुए तो बड़ी पराकाष्ठा होगी। तुम्हारे अस्तित्व की
अपने अंदर वो तपिश पैदा करो कि अगर तुम्हारे औरामैं कोई भी प्राणी आये वो परम आनंद से भर जाये।तुम देखो उस घटना के क्रम को ,परत दर परत उतरती जाएगी तुम्हे सपने की आखरी में तुम पाओगे तुम शुन्यम स्थिति में हो, जिसे तुम अपना अपना की गुहार लगाये हुये हो, वो तुम्हारा कुछ नही तुम भी वो नही जो तुम सपने में देख रहे हो।अब निकल आओ अपने इस निर्जीव पोशाक से
आत्मअवलोकन
ॐ जय माँ जय महाकाल ॐ
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