रुद्राक्ष के बारे मे या उनके रहस्य के बारे मे बताये ये हमारे बूते से बाहर ही होगा पर कुछ प्रकाश डाल रहे है
भगवान शिव के प्रिय रुद्राक्ष में स्वयं शिव का अंश होता है, रुद्राक्ष को शिवाक्ष,शर्वाक्ष,भावाक्ष,फलाक्ष,भूतनाशन,पावन,हराक्ष, नीलकंठ,तृणमेरु,शिवप्रिय, अमर और पुष्पचामर भी कहते हैं, आयुर्वेद के ग्रंथों में भी रुद्राक्ष की महामहिमा का वर्णन है, आयुर्वेदिक ग्रंथों में रुद्राक्ष को महौषधि,दिव्य औषधि आदि कह कर इसके दिव्य गुणों को विस्तार से बताया गया है, रुद्राक्ष की जड़,छाल,फल,बीज और फूल सबमें औषधीय व दैवीय गुण छिपे हुये है. यदि आप तंत्र मंत्र जादू टोना अथवा किसी बुरे साए से परेशान हों! किसी की नजर ने जीना दूभर कर रखा हो! तरह तरह से ग्रहों की दशाओं ने जीवन की नैया को डावा-ड़ोल कर दिया हो! बुद्धि विवेक मस्तिष्क तनाव या किसी समस्या के कारण ठीक से काम न कर पा रहे हो! साथ ही आप यदि हृदय रोगों से परेशान हों, नक्षत्र दोष के कारण बनते काम बिगड़ रहे हों! तो अब समय आ गया है, "दुर्भाग्य के नाश का" और शिव की तरह प्रसन्न और मुक्त होने का. शिव पुराण में कहा गया है कि जिसने रुद्राक्ष धारण कर रखा हो, वो तो स्वयं शिव ही हो जाता है, जी हाँ ठीक सुना आपने जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष धारण कर ले वो शिव के सामान ही दिव्य हो जाता है, लेकिन इसके लिए आपको जाननी होगी कुछ अतिगोपनीय विधियाँ,जो हम आज गहन अध्ययन केबाद आपके लिए ले कर आये हैं, अगर आपको लगता है कि आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा, आप बहुत ही ज्यादा चंचल है और इस बजह से लगातार अपना नुक्सान कर रहे हैं, तो शिव के मन्त्रों से प्राण प्रतिष्ठा कर रुद्राक्ष धारण कीजिये, आपके जीवन में स्थिरता आने लगेगी. राहु, शनि, केतु, मंगल जैसे क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव से होने वाले रोगों व संकटों का नाश होगा, जीवन के संघर्षों से आपको राहत मिलेगी, साथ ही अकाल मृत्यु, दुर्घटनाओं को रोकेगा शिव का एक चमत्कारी रुद्राक्ष, सकन्ध पुराण और लिंग पुराण में कहा गया है कि रुद्राक्ष से आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है, कार्य, व्यवसाय, व्यापार में अपार सफलता दिलवाता है, रुद्राक्ष सुख समृद्धि प्रदान करता है, साथ ही साथ पाप, शाप, ताप से भी भक्त की रक्षा करता है, हम आपको बता दें कि रुद्राक्ष भारत, नेपाल, जावा, मलाया जैसे देशों में पैदा होता है, भारत के असाम, बंगाल, देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में रुद्राक्ष पैदा होतें है, रुद्राक्ष का फल कुछ नीला और बैंगनी रंग का होता है जिसके अन्दर गुठली के रूप में स्थित होता है शिव का परम चमत्कारी दैविक रुद्राक्ष, लेकिन रुद्राक्ष का एक हमशक्ल भी होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, पर उसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते, शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की क्षमता उसके मुखों के अनुसार ही होती है, रुद्राक्ष एक मुखी से ले कर इक्कीस मुखी तक प्राय: मिल जाते है, सबकी अलौकिकता एवं क्षमता अलग अलग होती है, हिमालय की तराइयों से प्राप्त रुद्राक्ष की महिमा सबसे बड़ी कही गई है, दस मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष अतिदुर्लभ कहे गए है, पंद्रह से ले कर इक्कीस मुखी तक के रुद्राक्ष साधारणतय: नहीं मिल पाते, और एक मुखी की तो महिमा ही अपरम्पार है, जिसे मिल जाए उसे जीवन में फिर कुछ और पाना शेष नहीं रहता, वो केवल अत्यंत भाग्य वाले को ही मिल पाता है, रुद्राक्षों में नन्दी रुद्राक्ष, गौरी शंकर रुद्राक्ष, त्रिजूटी रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष, लक्ष्मी रुद्राक्ष, त्रिशूल रुद्राक्ष और डमरू रुद्राक्ष भी होते है, जो अंत्यंत दैविक माने गए हैं. रुद्राक्ष का प्रयोग औषधि के रूप में तो होता ही है साथ ही इसे धारण भी किया जाता है या पूजा के लिए,माला के रूप में प्रयुक्त होता है,स्फटिक शिवलिंग, बाण लिंग अथवा पारद शिवलिंग को स्थापित कर यदि रुद्राक्ष धारण कर लिया जाए तो वो व्यक्ति सम्राटों जैसा बैभव प्राप्त कर लेता है, रुद्राक्ष ऐसा तेजस्वी मनका है जिसका उपयोग बड़े बड़े योगी संत ऋषि मुनि महात्मा परमहंस तो करते ही है साथ ही साथ तांत्रिक अघोरी जैसी वाममार्गी विद्याओं के जानकार भी इसके चमत्कारी प्रभावों के कारण इसकी महिमा गाते फिरते है, भारत के सिद्ध रुद्राक्षों का प्रयोग तो आज विश्व के हर कोने में बैठा व्यक्ति कर ही रहा है, तो आप और हम इसके दिव्य गुणों से दूर क्यों रहें? स्कंध पुराण में कार्तिकेय जी भगवान शिव से रुद्राक्ष की महिमा और उत्पत्ति के बारे में प्रश्न पूछते है तो स्वयं शिव कहते है कि "हे षडानन कार्तिकेय ! सुनो, मैं संक्षेप में बताता हूँ, पूर्व काल में युद्ध में मुश्किल से जीता जाने वाला दैत्यों का राजा त्रिपुर था. उस दैत्यराज त्रिपुर नें जब सभी देवताओं को युद्ध में परास्त कर कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया. तो ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र, प्रमुख देवगण तथा पन्नग गण मेरे पास आ कर त्रिपुर का बध करने के लिए मेरी प्रार्थना करने लगे. देवताओं की प्रार्थना सुन कर संसार की रक्षा के लिए मैं बेग से अपने धनुष के साथ सर्व देवमय भयहारी कालाग्नि नाम के दिव्य अघोर अस्त्र को ले कर दैत्य राज त्रिपुर का बध करने के लिए चल पड़ा. लेकिन उसे हम त्रिदेवों से अनेक वर प्राप्त थे, इसलिए युद्ध में लम्बा समय लगा, एक हजार दिव्य वर्षों तक लगातार क्रोद्धमय युद्ध करने से व योगाग्नि के तेज के कारण अत्यंत विह्वल हुये मेरे नेत्रों से व्याकुल हो आंसू गिरने लगे, योगमाया की अद्भुत इच्छा से निकले वो आंसू जब धरा पर गिरे और बृक्ष के रूप में उत्त्पन्न हुये, तो रुद्राक्ष के नाम से विख्यात हो गए, ये षडानन रुद्राक्ष को धारण करने से महापुण्य होता है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है, रुद्राक्षों के दिव्य तेज से आप कैसे दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीते हुये शिव कृपा पा सकते हैं
विद्या बुद्धि एवं सफलता प्राप्ति हेतु रुद्राक्ष
विद्या,ज्ञान व बुद्धि की प्राप्ति के लिए तीन मुखी व छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसे धारण करने से तीब्र बुद्धि होती है व अद्भुत स्मरण शक्ति प्राप्त होती है, जो पढाई में कमजोर हों वे इसे अवश्य धारण करें,बहुत ज्यादा लाभ मिलेगा, तीन मुखी या छ: मुखी रुद्राक्ष धारण, करने से रचनात्मक कार्यों में भी बहुत लाभ मिलता है, जैसे यदि आप फैशन डिजाइनर हो, सौन्दर्य जगत से जुड़े हो, लेखक या सम्पादक हों, चित्रकार या अनुसंधानकर्ता हों तो ये रुद्राक्ष आपको बहुत लाभ प्रदान करेंगे,
रोजगार,व्यक्तित्व विकास एवं इन्टरवियू में सफलता हेतु रुद्राक्ष
यदि आप अपना चौमुखी विकास करना चाहते हों तो या रोजगार पाना चाहते हों तो नौ मुखी, चार मुखी या फिर तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें, इसे धारण करने से सहनशीलता,बीरता,साहस,कर्मठता में बृद्धि होती है, इसका सबसे बड़ा गुण ये भी है की ये रुद्राक्ष संकल्प शक्ति में बृद्धि करते हैं जिससे आप अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचते ही है, बेरोजगार या नौकरी की तलाश कर रहे व्यक्ति को इससे उत्तम रोजगार प्राप्त होता है, यदि आप बार बार इन्टरवियू में असफल हो रहे हों तो इनमेंसे कोई एक रुद्राक्ष तुरंत धारण करेने से लाभ मिलेगा, यदि आप जीवन में आगे की बजाय पीछे की और जा रहे हों तो इन रुद्राक्षों को धारण करने से उन्नति अवश्य मिलेगी
सामाजिक,पारिवारिक समस्याओं एवं विवाह सम्बन्धी समस्याओं के लिए रुद्राक्ष
यदि आपका विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह के बाद गृहस्थी सुखी नहीं है, आपके सम्बन्ध अपने रिश्ते नाते वालों के साथ ठीक नहीं हैं या समाज में शत्रु ही शरु हो गए हों, तो आपको दो मुखी रुद्राक्ष या गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए,इसे धारण करने से घर में होने वाले परस्पर झगड़ों से मुक्ति पाई जा सकती है, ये रुद्राक्ष पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-बहन,गुरु शिष्य अथवा मित्रों आदि के साथ के मतभेदों को दूर करता है, लड़के लड़कियों के विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो तो इसे जरूर धारण करवाएं लाभ मिलेगा, आप मंगलबार के दिन इनमे से कोई भी रुद्राक्ष धारण करें
दुर्घटना से बचाव, बुरी नजर, जादू-टोनों, बुरे ग्रहों से बचाव व अपनी सुरक्षा हेतु रुद्राक्ष
यदि आप अपनी सुरक्षा को ले कर बहुत चिंतित हों, वाहन चलने से घबराते हों, बार-बार दुर्घटनाएं होती हों, कुंडली हमेशा ही कोई नीच ग्रह या बाधा बनी रहती हो, भाग्य आपका साथ न दे रहा हो, जादू-टोनों से या फिर बुरी नजर से परेशान हों, भूत प्रेत अथवा सांप चूहे छिपकली से डर लगता हो, तो आपको ग्यारह मुखी या फिर दस मुखी रुद्राक्ष धारण काना चाहिए, यदि घर में बुरे साए का वास हो जो आपको परेशान करता हो तो सभी पारिवारिक सदस्य इसे धारण करें, यदि आप पवित्रता से रख सकते हैं तो वाहन अथवा तिजोरी की चाबी में छल्ले के रूप में भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं
प्रेम प्राप्ति अथवा आकर्षण हेतु रुद्राक्ष
यदि आप किसी से प्रेम करते है और चाहते है की आपका प्रेम परिणित हो अथवा आप आकर्षण प्राप्त करना चाहते हों, तो छ: मुखी या तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें, आप थियेटर या मंच से जुड़े हुये हों, धर्माचार्य हों या शिक्षक हों, मार्केटिंग या प्रचार माधयमों जैसे टीवी रेडिओ फिल्म आदि से जुड़े हैं तो आप ये रुद्राक्ष धारण कर लाभ पा सकते हैं, आपका प्रेम सम्बन्ध यदि टूट गया है, या आपके जीवन में कोई है जिसे आप खोना नहीं चाहते तो ये रुद्राक्ष फायदेमंद रहेगा
अखंड धन लाभ एवं कार्य व्यवसाय, व्यापार से लाभ प्राप्त करने हेतु रुद्राक्ष
यदि आप व्यापारी हैं कोई व्यवसाय करते हैं, कोई कंपनी चलाते है, या कोई निजी व्यवसाय करते है जिससे आपको धन लाभ की आकांक्षा है, तो आप सातमुखी, ग्यारह मुखी,गणेश रुद्राक्ष अथवा लक्ष्मी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, इन रुद्राक्षों को धारण करने से गरीवी का नाश होता है, जिस व्यवसाय में आप हैं उसी से आपको लाभ मिलने लगता है, आपका यश, मान, प्रतिष्ठा ऐसी बढती है की हर ओर से धन ही धन आने लगता है,आपके जीवन के सुखों में ओर अधिक बृद्धि होती है
रोगमुक्ति, स्वास्थ्य व लम्बी आयु हेतु रुद्राक्ष
यदि आप सदा तरह-तरह के रोगों से ही घिरे रहते हों, बीमारियाँ आपका पीछा ही नहीं छोड़ रही हों, यदि आप मानसिक रूप से भी परेशान ही रहते हों, चिंताएं खाए जा रही हों, कुंडली या क्रूर ग्रह अकाल मृत्यु का संकेत दे रहे हों तो आपको चौदह मुखी या आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अकाल मृत्यु को टालने की इनमें अभूतपूर्व क्षमता है, रोग नाश के साथ-साथ जीवन की विकट परिस्थितियों में उचित निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करता है
समाजसेवा, शासन-प्रशासन, सत्ता या राजनीती में सफलता हेतु रुद्राक्ष
यदि आप समाज सेवी हैं और अपने कार्यों को तीब्रता से करना चाहते हैं, शासन प्रशासन में अपनी पकड मजबूत करना चाहते हैं, आप युवा नेता या गहरे राजनीतिज्ञ हैं और अपने क्षेत्र के मुकाम को हासिल करना चाहते हैं, तो आपको बारह मुखी या सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इससे व्यक्ति की कीर्ति, यश, सूर्य के सामान चमकने लगती है, इसे धारण करने से बाणी में चातुर्य आता है संबोधन में आकर्षण पैदा होता है, आप अपनी गहरी छाप सब पर छोड़ सकते हैं
मुसीबत से या कोर्ट कचहरी मुकद्दमों से शीघ्र मुक्ति हेतु रुद्राक्ष
यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें, समस्याओं के मध्य से भी तुरंत हल निकाल आएगा
भगवान शिव के प्रिय रुद्राक्ष में स्वयं शिव का अंश होता है, रुद्राक्ष को शिवाक्ष,शर्वाक्ष,भावाक्ष,फलाक्ष,भूतनाशन,पावन,हराक्ष, नीलकंठ,तृणमेरु,शिवप्रिय, अमर और पुष्पचामर भी कहते हैं, आयुर्वेद के ग्रंथों में भी रुद्राक्ष की महामहिमा का वर्णन है, आयुर्वेदिक ग्रंथों में रुद्राक्ष को महौषधि,दिव्य औषधि आदि कह कर इसके दिव्य गुणों को विस्तार से बताया गया है, रुद्राक्ष की जड़,छाल,फल,बीज और फूल सबमें औषधीय व दैवीय गुण छिपे हुये है. यदि आप तंत्र मंत्र जादू टोना अथवा किसी बुरे साए से परेशान हों! किसी की नजर ने जीना दूभर कर रखा हो! तरह तरह से ग्रहों की दशाओं ने जीवन की नैया को डावा-ड़ोल कर दिया हो! बुद्धि विवेक मस्तिष्क तनाव या किसी समस्या के कारण ठीक से काम न कर पा रहे हो! साथ ही आप यदि हृदय रोगों से परेशान हों, नक्षत्र दोष के कारण बनते काम बिगड़ रहे हों! तो अब समय आ गया है, "दुर्भाग्य के नाश का" और शिव की तरह प्रसन्न और मुक्त होने का. शिव पुराण में कहा गया है कि जिसने रुद्राक्ष धारण कर रखा हो, वो तो स्वयं शिव ही हो जाता है, जी हाँ ठीक सुना आपने जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष धारण कर ले वो शिव के सामान ही दिव्य हो जाता है, लेकिन इसके लिए आपको जाननी होगी कुछ अतिगोपनीय विधियाँ,जो हम आज गहन अध्ययन केबाद आपके लिए ले कर आये हैं, अगर आपको लगता है कि आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा, आप बहुत ही ज्यादा चंचल है और इस बजह से लगातार अपना नुक्सान कर रहे हैं, तो शिव के मन्त्रों से प्राण प्रतिष्ठा कर रुद्राक्ष धारण कीजिये, आपके जीवन में स्थिरता आने लगेगी. राहु, शनि, केतु, मंगल जैसे क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव से होने वाले रोगों व संकटों का नाश होगा, जीवन के संघर्षों से आपको राहत मिलेगी, साथ ही अकाल मृत्यु, दुर्घटनाओं को रोकेगा शिव का एक चमत्कारी रुद्राक्ष, सकन्ध पुराण और लिंग पुराण में कहा गया है कि रुद्राक्ष से आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है, कार्य, व्यवसाय, व्यापार में अपार सफलता दिलवाता है, रुद्राक्ष सुख समृद्धि प्रदान करता है, साथ ही साथ पाप, शाप, ताप से भी भक्त की रक्षा करता है, हम आपको बता दें कि रुद्राक्ष भारत, नेपाल, जावा, मलाया जैसे देशों में पैदा होता है, भारत के असाम, बंगाल, देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में रुद्राक्ष पैदा होतें है, रुद्राक्ष का फल कुछ नीला और बैंगनी रंग का होता है जिसके अन्दर गुठली के रूप में स्थित होता है शिव का परम चमत्कारी दैविक रुद्राक्ष, लेकिन रुद्राक्ष का एक हमशक्ल भी होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, पर उसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते, शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की क्षमता उसके मुखों के अनुसार ही होती है, रुद्राक्ष एक मुखी से ले कर इक्कीस मुखी तक प्राय: मिल जाते है, सबकी अलौकिकता एवं क्षमता अलग अलग होती है, हिमालय की तराइयों से प्राप्त रुद्राक्ष की महिमा सबसे बड़ी कही गई है, दस मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष अतिदुर्लभ कहे गए है, पंद्रह से ले कर इक्कीस मुखी तक के रुद्राक्ष साधारणतय: नहीं मिल पाते, और एक मुखी की तो महिमा ही अपरम्पार है, जिसे मिल जाए उसे जीवन में फिर कुछ और पाना शेष नहीं रहता, वो केवल अत्यंत भाग्य वाले को ही मिल पाता है, रुद्राक्षों में नन्दी रुद्राक्ष, गौरी शंकर रुद्राक्ष, त्रिजूटी रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष, लक्ष्मी रुद्राक्ष, त्रिशूल रुद्राक्ष और डमरू रुद्राक्ष भी होते है, जो अंत्यंत दैविक माने गए हैं. रुद्राक्ष का प्रयोग औषधि के रूप में तो होता ही है साथ ही इसे धारण भी किया जाता है या पूजा के लिए,माला के रूप में प्रयुक्त होता है,स्फटिक शिवलिंग, बाण लिंग अथवा पारद शिवलिंग को स्थापित कर यदि रुद्राक्ष धारण कर लिया जाए तो वो व्यक्ति सम्राटों जैसा बैभव प्राप्त कर लेता है, रुद्राक्ष ऐसा तेजस्वी मनका है जिसका उपयोग बड़े बड़े योगी संत ऋषि मुनि महात्मा परमहंस तो करते ही है साथ ही साथ तांत्रिक अघोरी जैसी वाममार्गी विद्याओं के जानकार भी इसके चमत्कारी प्रभावों के कारण इसकी महिमा गाते फिरते है, भारत के सिद्ध रुद्राक्षों का प्रयोग तो आज विश्व के हर कोने में बैठा व्यक्ति कर ही रहा है, तो आप और हम इसके दिव्य गुणों से दूर क्यों रहें? स्कंध पुराण में कार्तिकेय जी भगवान शिव से रुद्राक्ष की महिमा और उत्पत्ति के बारे में प्रश्न पूछते है तो स्वयं शिव कहते है कि "हे षडानन कार्तिकेय ! सुनो, मैं संक्षेप में बताता हूँ, पूर्व काल में युद्ध में मुश्किल से जीता जाने वाला दैत्यों का राजा त्रिपुर था. उस दैत्यराज त्रिपुर नें जब सभी देवताओं को युद्ध में परास्त कर कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया. तो ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र, प्रमुख देवगण तथा पन्नग गण मेरे पास आ कर त्रिपुर का बध करने के लिए मेरी प्रार्थना करने लगे. देवताओं की प्रार्थना सुन कर संसार की रक्षा के लिए मैं बेग से अपने धनुष के साथ सर्व देवमय भयहारी कालाग्नि नाम के दिव्य अघोर अस्त्र को ले कर दैत्य राज त्रिपुर का बध करने के लिए चल पड़ा. लेकिन उसे हम त्रिदेवों से अनेक वर प्राप्त थे, इसलिए युद्ध में लम्बा समय लगा, एक हजार दिव्य वर्षों तक लगातार क्रोद्धमय युद्ध करने से व योगाग्नि के तेज के कारण अत्यंत विह्वल हुये मेरे नेत्रों से व्याकुल हो आंसू गिरने लगे, योगमाया की अद्भुत इच्छा से निकले वो आंसू जब धरा पर गिरे और बृक्ष के रूप में उत्त्पन्न हुये, तो रुद्राक्ष के नाम से विख्यात हो गए, ये षडानन रुद्राक्ष को धारण करने से महापुण्य होता है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है, रुद्राक्षों के दिव्य तेज से आप कैसे दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीते हुये शिव कृपा पा सकते हैं
विद्या बुद्धि एवं सफलता प्राप्ति हेतु रुद्राक्ष
विद्या,ज्ञान व बुद्धि की प्राप्ति के लिए तीन मुखी व छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसे धारण करने से तीब्र बुद्धि होती है व अद्भुत स्मरण शक्ति प्राप्त होती है, जो पढाई में कमजोर हों वे इसे अवश्य धारण करें,बहुत ज्यादा लाभ मिलेगा, तीन मुखी या छ: मुखी रुद्राक्ष धारण, करने से रचनात्मक कार्यों में भी बहुत लाभ मिलता है, जैसे यदि आप फैशन डिजाइनर हो, सौन्दर्य जगत से जुड़े हो, लेखक या सम्पादक हों, चित्रकार या अनुसंधानकर्ता हों तो ये रुद्राक्ष आपको बहुत लाभ प्रदान करेंगे,
रोजगार,व्यक्तित्व विकास एवं इन्टरवियू में सफलता हेतु रुद्राक्ष
यदि आप अपना चौमुखी विकास करना चाहते हों तो या रोजगार पाना चाहते हों तो नौ मुखी, चार मुखी या फिर तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें, इसे धारण करने से सहनशीलता,बीरता,साहस,कर्मठता में बृद्धि होती है, इसका सबसे बड़ा गुण ये भी है की ये रुद्राक्ष संकल्प शक्ति में बृद्धि करते हैं जिससे आप अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचते ही है, बेरोजगार या नौकरी की तलाश कर रहे व्यक्ति को इससे उत्तम रोजगार प्राप्त होता है, यदि आप बार बार इन्टरवियू में असफल हो रहे हों तो इनमेंसे कोई एक रुद्राक्ष तुरंत धारण करेने से लाभ मिलेगा, यदि आप जीवन में आगे की बजाय पीछे की और जा रहे हों तो इन रुद्राक्षों को धारण करने से उन्नति अवश्य मिलेगी
सामाजिक,पारिवारिक समस्याओं एवं विवाह सम्बन्धी समस्याओं के लिए रुद्राक्ष
यदि आपका विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह के बाद गृहस्थी सुखी नहीं है, आपके सम्बन्ध अपने रिश्ते नाते वालों के साथ ठीक नहीं हैं या समाज में शत्रु ही शरु हो गए हों, तो आपको दो मुखी रुद्राक्ष या गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए,इसे धारण करने से घर में होने वाले परस्पर झगड़ों से मुक्ति पाई जा सकती है, ये रुद्राक्ष पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-बहन,गुरु शिष्य अथवा मित्रों आदि के साथ के मतभेदों को दूर करता है, लड़के लड़कियों के विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो तो इसे जरूर धारण करवाएं लाभ मिलेगा, आप मंगलबार के दिन इनमे से कोई भी रुद्राक्ष धारण करें
दुर्घटना से बचाव, बुरी नजर, जादू-टोनों, बुरे ग्रहों से बचाव व अपनी सुरक्षा हेतु रुद्राक्ष
यदि आप अपनी सुरक्षा को ले कर बहुत चिंतित हों, वाहन चलने से घबराते हों, बार-बार दुर्घटनाएं होती हों, कुंडली हमेशा ही कोई नीच ग्रह या बाधा बनी रहती हो, भाग्य आपका साथ न दे रहा हो, जादू-टोनों से या फिर बुरी नजर से परेशान हों, भूत प्रेत अथवा सांप चूहे छिपकली से डर लगता हो, तो आपको ग्यारह मुखी या फिर दस मुखी रुद्राक्ष धारण काना चाहिए, यदि घर में बुरे साए का वास हो जो आपको परेशान करता हो तो सभी पारिवारिक सदस्य इसे धारण करें, यदि आप पवित्रता से रख सकते हैं तो वाहन अथवा तिजोरी की चाबी में छल्ले के रूप में भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं
प्रेम प्राप्ति अथवा आकर्षण हेतु रुद्राक्ष
यदि आप किसी से प्रेम करते है और चाहते है की आपका प्रेम परिणित हो अथवा आप आकर्षण प्राप्त करना चाहते हों, तो छ: मुखी या तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें, आप थियेटर या मंच से जुड़े हुये हों, धर्माचार्य हों या शिक्षक हों, मार्केटिंग या प्रचार माधयमों जैसे टीवी रेडिओ फिल्म आदि से जुड़े हैं तो आप ये रुद्राक्ष धारण कर लाभ पा सकते हैं, आपका प्रेम सम्बन्ध यदि टूट गया है, या आपके जीवन में कोई है जिसे आप खोना नहीं चाहते तो ये रुद्राक्ष फायदेमंद रहेगा
अखंड धन लाभ एवं कार्य व्यवसाय, व्यापार से लाभ प्राप्त करने हेतु रुद्राक्ष
यदि आप व्यापारी हैं कोई व्यवसाय करते हैं, कोई कंपनी चलाते है, या कोई निजी व्यवसाय करते है जिससे आपको धन लाभ की आकांक्षा है, तो आप सातमुखी, ग्यारह मुखी,गणेश रुद्राक्ष अथवा लक्ष्मी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, इन रुद्राक्षों को धारण करने से गरीवी का नाश होता है, जिस व्यवसाय में आप हैं उसी से आपको लाभ मिलने लगता है, आपका यश, मान, प्रतिष्ठा ऐसी बढती है की हर ओर से धन ही धन आने लगता है,आपके जीवन के सुखों में ओर अधिक बृद्धि होती है
रोगमुक्ति, स्वास्थ्य व लम्बी आयु हेतु रुद्राक्ष
यदि आप सदा तरह-तरह के रोगों से ही घिरे रहते हों, बीमारियाँ आपका पीछा ही नहीं छोड़ रही हों, यदि आप मानसिक रूप से भी परेशान ही रहते हों, चिंताएं खाए जा रही हों, कुंडली या क्रूर ग्रह अकाल मृत्यु का संकेत दे रहे हों तो आपको चौदह मुखी या आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अकाल मृत्यु को टालने की इनमें अभूतपूर्व क्षमता है, रोग नाश के साथ-साथ जीवन की विकट परिस्थितियों में उचित निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करता है
समाजसेवा, शासन-प्रशासन, सत्ता या राजनीती में सफलता हेतु रुद्राक्ष
यदि आप समाज सेवी हैं और अपने कार्यों को तीब्रता से करना चाहते हैं, शासन प्रशासन में अपनी पकड मजबूत करना चाहते हैं, आप युवा नेता या गहरे राजनीतिज्ञ हैं और अपने क्षेत्र के मुकाम को हासिल करना चाहते हैं, तो आपको बारह मुखी या सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इससे व्यक्ति की कीर्ति, यश, सूर्य के सामान चमकने लगती है, इसे धारण करने से बाणी में चातुर्य आता है संबोधन में आकर्षण पैदा होता है, आप अपनी गहरी छाप सब पर छोड़ सकते हैं
मुसीबत से या कोर्ट कचहरी मुकद्दमों से शीघ्र मुक्ति हेतु रुद्राक्ष
यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें, समस्याओं के मध्य से भी तुरंत हल निकाल आएगा
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