मित्रों आप सभी को बाबा काल भैरव अवतरण दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक मां बाबा आप सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करे यही हमारी मां बाबा से प्रार्थना है और मित्रों पहले तो हम आप सभी से क्षमा चाहते हैं हमारे परिवार में भतीजी और भाणेजी की शादियां थे आप सभी से उनके लिए आशीर्वाद की हम कामना करते हैं और क्षमा चाहते हैं पोस्ट लेट देन के लिए और मित्रों क्योंकि आज पोस्ट कि बहुत लम्बी होने वाली है आज सिर्फ एक ही पोस्ट में उपाय जप नियम कथा और सावधानियों दे रहे हैं ,,
काल भैरव अष्टमी शनिवार, नवम्बर 27, 2021 को
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 27, 2021 को 05:43 ए एम बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – नवम्बर 28, 2021 को 06:00 ए एम बजे
कहां जाता है कि एक बार ब्रह्मा तथा विष्णु में यह विवाद छिड़ गया किविश्व का तारणहार तथा परम तत्व कौन है। इस विवाद को हल करने के लिए महर्षियों को बुलाया गया। महर्षियों ने निर्णय किया किपरम तत्व कोई अव्यक्त सत्ता है। ब्रह्मा तथा विष्णु उसी विभूति से बने हैं। विष्णुजी ने ऋषियों की बात मान ली किंतु ब्रह्माजी ने यह स्वीकार नहीं किया। वे अपने को ही परम तत्व मानते थे। यह परम तत्व की अवज्ञा बहुत बड़ा अपमान था। शिवजी ने तत्काल भैरव के रूप में उग्र रूप धारण करके ब्रह्मा का गर्व चूर-चूर कर दिया। यह दिन अष्टमी का दिन था। इसलिए इस दिन को भैरव अष्टमी कहा जाता है कहा यह भी जाता है कि पहले ब्रह्मा जी पंचमुख थे तो पंचमुखी ब्रह्मा जी के एक मुख ने बाबा भोलेनाथ की निंदा की तो बाबा भोलेनाथ के क्रोध से बाबा काल भैरव का अवतरण हुआ और अपनी तर्जनी उंगली के नाखुन से वो पांचवें मुख को अलग कर दिया तो भोलेनाथ ने उनको कहां कि ये बह्महत्या का दोष इसका प्रायश्चित करो धरती पर जितनी पवित्र नदियां हैं इस मस्तक को स्नान करा लाओ और जहां ये मस्तक तूम्हारे हाथ से उतर जाये वो ही तूम्हारा बह्महत्या का पाप उतर जायेगा और वही आप अपना आसन जमा लेना तो सिर मां गंगा में काशी मे नदी में उनके हाथ से निकल गया और बाबा ने वोही मां गंगा के किनारे अपना आसन जमा लिया था इनको काल भैरव और क्रोध भेरव भी कहां जाता है काशी वंश, वाराणसी में आज भी इनको मदिरा का भोग दिया जाता है ताकि वो शांत रहे उग्र ना हो , बाकी मित्रों पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि काल भैरव जी भगवान शिव के क्रोध के कारण उत्पन्न हुए थे. मान्यता है कि एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात को लेकर स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने को लेकर बहस हुई. तब इस बहस के बीच ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की निंदा की, इससे भोले शिव शंकर क्रोधित हो गए. उनके रौद्र रूप के कारण ही काल भैरव जी की उत्पत्ति हुई. काल भैरव ने वहीं सिर काट दिया था. (ब्रह्मा जी की जब उत्पति हुई तब उनके पांच मुख थे और शिव के भी पांच मुख थे. चार दिशाओं में चार और एक ऊपर आकाश की ओर उसके बाद ब्रह्मा के चार मुंह रह गए और शिवजी के आज भी पंच मुख होने के कारण पांच वक्त्र कहे जाते हैं. इससे उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लग गया जिससे बचने के लिए भगवान शिव ने एक उपाय सुझाया. उन्होंने काल भैरव को पृथ्वी लोक पर भेजा और कहा कि जहां भी यह सिर खुद हाथ से गिर जाएगा वहीं उन पर चढ़ा यह पाप मिट जाएगा. जहां वो सिर हाथ से गिरा था वो जगह काशी थी जो शिव की स्थली मानी जाती है. यही कारण है कि आज भी काशी जाने वाला हर श्रद्धालु या पर्यटक काशी विश्वनाथ के साथ साथ काल भैरव के दर्शन भी अवश्य रूप से करता है. और उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है. भय, संकट को दूर करने, राजकोप व लांछन से बचने के लिए श्रद्धालु काल भैरव अष्ठमी का व्रत रखेंगे। अगहन कृष्ण पक्ष अष्ठमी काल भैरव की जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भैरव की सबसे विशिष्ट पूजा की जाती है मित्रों बाबा काल भैरव को रुद्रावतार माना जाता है और भैरव को शिव का द्वारपाल भी कहा जाता है और श्मशान निवासी श्मशान के राजा भी कहां जाता है और बटूक भैरव को श्मशान का द्वारपाल कहा जाता है और मां महाकाली को श्मशानवासिनी भी कहां जाता है जब भगवान शंकर का अपमान हुआ था, तब सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर देह का दहन कर लिया था। इससे कुपित भगवान ने भैरव को यज्ञ ध्वंस के लिए भेजा था। साक्षात काल बनकर भैरव ने तांडव किया था। जानकारों के अनुसार काल भैरव की महत्ता इससे ही समझी जा सकती है कि जहां-जहां ज्योर्तिलिंग और शक्तिपीठ हैं, वहां-वहां काल भैरव को स्थान मिला है। वैष्णो देवी, उज्जैन के महाकालेश्वर, विश्वनाथ मंदिर आदि में काल भैरव मौजूद हैं। शनिवार 27 नवंबर को मनाए जाने वाले काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव मंत्र से काल भैरव की उपासना का विधान है। इस दिन श्रद्धालु उपवास करते हैं कई श्रद्धालु सूर्यास्त के बाद कुत्तो भोजन कराकर हुं उपवास तोड़ देते हैं इस दिन भैरव मंत्र ,भैरव नामवली, भैरव चालीसा, का कई बार जप करना चाहिए यानि कम से कम एक हो आठ बार, बाकि जितना किया जाये उतना कम ही है,
परिचय भैरव,
कालभैरव (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म में शिव के अवतार माने जाते हैं,
कालभैरव
शिव रुप, श्मशान के राजा , तंत्र उत्पत्ति देवता तंत्र साधना में भक्तों पर प्रसन्न रहने वाले देवता ,इतर योनि यानि, अप्सराओं, यक्षिणीयों की साधना इनके बिना अधुरी है ,
अन्य नाम दण्डपाणी , स्वस्वा , भैरवीवल्लभ, दंडधारि, भैरवनाथ , बटुकनाथ आदि।
देवनागरी कालभेरव
संस्कृत लिप्यंतरण कालभेरव
संबंध शिव, रुद्र
मंत्र ॐ काल भैरवाय नमः
अस्त्र डंडा, त्रिशूल, डमरू, चँवर, ब्रह्मा का पांचवा शीश और तलवार
दिवस मंगलवार, बधुवार और गुरूवार, शुक्रवार और रविवार
जीवनसाथी भैरवी , श्मशान वासनी महाकाली
सवारी काला कुत्ता
बाबा कालभेरव पूरे भारत के अलावा, श्रीलंका इंण्डोनोसियां और नेपाल के साथ-साथ तिब्बत चीन और कई और देशों में भी अनेक नामों से भेरव बाबा की पुजा की जाती है सनातन धर्म के कई पंथ समुदाय जैसे जैन बौद्ध सिख और भी कई पंथ समुदाय प्रचिलत है जिनमें बाबा कालभैरव की पूजा करते हैं उपासना की दृष्टि से कालभैरव एक दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं, तांत्रिक ग्रंथों में अष्ट भैरव के नामों की प्रसिद्धि है। वे इस प्रकार हैं-
1. असितांग भैरव,
2. चंड भैरव,
3. रूरू भैरव,
4. क्रोध भैरव,
5. उन्मत्त भैरव,
6. कपाल भैरव,
7. भीषण भैरव
8. संहार भैरव।
रविवार, शुक्रवार, गुरूवार बुधवार, मंगलवार या भैरव अष्टमी पर इन 8 नामों का उच्चारण करने से मनचाहा वरदान मिलता है भैरव बाबा शीघ्र प्रसन्न होते हैं और हर तरह की सिद्धि प्रदान करते हैं क्षेत्रपाल व दण्डपाणि के नाम से भी इन्हें जाना जाता है, इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान करें।
इस दिन काले कपड़े धारण करें।
भगवान काल भैरव की पूजा करें।
आसन पर काला कपड़ा बिछाएं,
पूजा में अक्षत, चंदन, काले तिल, काली उड़द, काले कपड़े, धतुरे के फूल का प्रयोग करें,
काल भैरव भगवान को नीले फूल अर्पित करना चाहिए,
पूजा करते समय काल भैरव मंत्र और आरती भी पढ़नी चाहिए, काल भैरव मंत्र
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!काल भैरव आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
काल भेरव मंत्र
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
और मित्रों काल भेरव अष्टमी के पावन दिन मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों को श्री भैरव स्तुती का पाठ करना चाहिए। श्री भैरव स्तुती का पाठ करने से भगवान भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आगे पढ़ें श्री भैरव स्तुति…
श्री भैरव स्तुती
यं यं यं यक्ष रुपं दशदिशिवदनं भूमिकम्पायमानं ।
सं सं सं संहारमूर्ती शुभ मुकुट जटाशेखरम् चन्द्रबिम्बम् ।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनख मुखं चौर्ध्वरोयं करालं ।
पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।1।।
रं रं रं रक्तवर्ण कटक कटितनुं तीक्ष्णदंष्ट्राविशालम् ।
घं घं घं घोर घोष घ घ घ घ घर्घरा घोर नादम् ।।
कं कं कं काल रूपं घगघग घगितं ज्वालितं कामदेहं ।
दं दं दं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।2।।
लं लं लं लम्बदंतं ल ल ल ल लुलितं दीर्घ जिह्वकरालं ।
धूं धूं धूं धूम्र वर्ण स्फुट विकृत मुखं मासुरं भीमरूपम् ।।
रूं रूं रूं रुण्डमालं रूधिरमय मुखं ताम्रनेत्रं विशालम् ।
नं नं नं नग्नरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।3।।
वं वं वं वायुवेगम प्रलय परिमितं ब्रह्मरूपं स्वरूपम् ।
खं खं खं खड्ग हस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करम् भीमरूपम्
चं चं चं चालयन्तं चलचल चलितं चालितं भूत चक्रम् ।
मं मं मं मायाकायं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।4।।
खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं काल कालांधकारम् ।
क्षि क्षि क्षि क्षिप्रवेग दहदह दहन नेत्र संदिप्यमानम् ।।
हूं हूं हूं हूंकार शब्दं प्रकटित गहनगर्जित भूमिकम्पं ।
बं बं बं बाललील प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।5।।
मान्यता है कि भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा उपासन करने से भय और अवसाद का अंत होता है और किसी भी कार्य में आ रही बाधा समाप्त होती है। कहते हैं कि भगवान शिव के किसी भी मंदिर में पूजा करने के बाद भैरव मंदिर में जाना अनिवार्य होता है। वरना भगवान शिव का दर्शन अधूरा माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने काल भैरव का रौद्र अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को काल भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है भगवान काल भैरव के बारे में ऐसा कहा जाता है मनुष्य के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब काल भैरव ही रखते हैं। जीवों का परोपकार करने वालों पर काल भैरव की विशेष कृपा रहती है तो वहीं बुरे कर्म करने वाले और अनैतिक आचरण करने वालों को वह दंड भी देते हैं। मान्यता है कि काल भैरव अष्टमी के दिन काले कुत्ते को भोजन जरूर कराना चाहिए। ऐसा करने से काल भैरव के साथ ही शनि देव की भी कृपा प्राप्त होती है और राहु भी अशुभ प्रभाव को दूर करते हैं। काल भैरव की पूजा करने से मन का भय समाप्त होता है और किसी भी प्रकार की बुरी नजर का असर समाप्त होता है काल भैरव अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और सुबह स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान के शिव के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं। मान्यताओं के अनुसार काल भैरव की पूजा रात में की जाती है। काल भैरव अष्टमी के दिन शाम के वक्त काल भैरव के मंदिर में जाकर पूजा करें और प्रसाद में जलेबी, इमरती, उड़द की दाल, पान और नारियल अर्पित करें और अपनी सभी गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें। प्रसाद का कुछ हिस्सा काले कुत्ते को जरूर डालें इस दिन पीपल के पेड़ के तले सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं। कहते हैं ऐसा करने आपके ऊपर से ग्रह बाधा भी समाप्त होती है और साथ ही काल भैरव भी प्रसन्न होते हैं।
इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए 21 बेलपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखें। उसके बाद मन ही मन ऊं जप करते हुए भगवान शिव को एक-एक करके अर्पित करते जाएं। कहते हैं ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं इस दिन काली वस्तुओं का दान करना भी शुभ माना गया है। किसी जरूरमंद को काले जूते या काले वस्त्र दान कर सकते हैं
मित्रों इस दिन क्या करें क्या ना करें आईये कुछ विधान जान लेते हैं
भगवान कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के अनुसार, किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। लेकिन मनोकामना पूर्ति के लिए 8 प्रमुख रूपों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये रूप…
कपाल भैरव
इस रूप में भगवान का शरीर चमकीला है, उनकी सवारी हाथी है। कपाल भैरव एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में तलवार तीसरे में शस्त्र और चौथे में पात्र पकड़े हैं। भैरव के इस रूप की पूजा अर्चना करने से कानूनी मामलों में सफलता मिलती है और फालतू की मुकदमेबाजी से छुटकारा मिलता है। अटके हुए कार्य पूर्ण होते हैं।
क्रोध भैरव
क्रोध भैरव गहरे नीले रंग के शरीर वाले हैं और उनकी तीन आंखें हैं। भगवान के इस रूप का वाहन गरूड़ हैं और ये दक्षिण-पश्चिम दिशा के स्वामी माने जाते हैं। क्रोध भैरव की पूजा-अर्चना करने से सभी परेशानियों और बुरे वक्त से लड़ने की क्षमता बढ़ती है
असितांग भैरव
असितांग भैरव ने गले में सफेद कपालों की माला पहन रखी है और हाथ में भी एक कपाल धारण किए हैं। तीन आंखों वाले असितांग भैरव की सवारी हंस है। भगवान भैरव के इस रूप की पूजा करने से मनुष्य में कलात्मक क्षमताएं बढ़ती है
चंद भैरव
इस रूप में भगवान की तीन आंखें हैं और सवारी मोर है। चंद भैरव एक हाथ में तलवार और दूसरे में पात्र, तीसरे में तीर और चौथे हाथ में धनुष लिए हुए हैं। चंद भैरव की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। हर बुरी परिस्थिति से लड़ने की क्षमता मिलती है।
गुरु भैरव
गुरु भैरव हाथ में कपाल, कुल्हाड़ी, और तलवार पकड़े हुए हैं। यह भगवान का नग्न रूप है और उनकी सवारी बैल है। गुरु भैरव के शरीर पर सांप लिपटा हुआ है। गुरु भैरव की पूजा करने से अच्छी विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
संहार भैरव
संहार भैरव नग्न रूप में हैं, और उनके सिर पर कपाल स्थापित है। इनकी तीन आंखें हैं और वाहन कुत्ता है। संहार भैरव की आठ भुजाएं हैं और शरीर पर सांप लिपटा हुआ है। इसकी पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप खत्म हो जाते हैं।
उन्मत भैरव
उन्मत भैरव शांत स्वभाव का प्रतीक है। इनकी पूजा करने से मनुष्य की सारी नकारात्मकता और बुराइयां खत्म हो जाती हैं। भैरव के इस रूप का स्वरूप भी शांत और सुखद है। उन्मत भैरव के शरीर का रंग हल्का पीला है और उनका वाहन घोड़ा है।
भीषण भैरव
भीषण भैरव की पूजा करने से बुरी आत्माओं और भूत प्रेत के प्रभाव से छुटकारा मिलता है। भीषण भैरव अपने एक हाथ में कमल, दूसरे में त्रिशूल, तीसरे हाथ में तलवार और चौथे में एक पात्र पकड़े हुए हैं। भीषण भैरव का वाहन शेर है
मित्रों सामान्य गृहस्थों को भैरव की पूजा मंदिरों में ही करना चाहिए भैरव का वाहन श्वान है इसलिए भैरव अष्टमी के दिन श्वान का भी पूजन किया जाता है इस दिन श्वानों को भोजन करवाने से भैरव प्रसन्न होते हैं। भैरव अष्टमी के दिन शिव-पार्वती की कथा सुनना चाहिए। भैरव का मुख्य हथियार दंड है। इस कारण इन्हें दंडपति (दण्डपाणि) भी कहते है प्रचलन में बाबा काल भेरव और श्मशान भैरव की पुजा के सातो दिन होते हैं मुख्यत बाबा भैरव का दिन मंगलवार , बुधवार , गुरूवार शुक्रवार और रविवार है इनमें सभी दिन अष्ट भैरव के हिसाब से दिये गये है बाकी भेरव बाबा भोलेनाथ के उग्र अवतार है और बटूक बाबा सौम्य अवतार तो सोमवार और शनिवार को भी इनका दिन माना जा सकता है इन दोनों दिन इनकी पूजा करने से भूत-प्रेम बाधाएं समाप्त होती हैं। सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है
भगवान शिव का रूद्र रूप होने के कारण भैरव अष्टमी के दिन भगवान शिव का पूजन, अभिषेक करने से भैरव की भी कृपा प्राप्त होती है।
भैरव की पूजा करने से शत्रु परास्त होते हैं, संकट दूर होते हैं। भैरव के सच्चे भक्तों को सताने वालों को संसार में कहीं जगह नहीं मिलती।
सारी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भैरव अष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करने से मनोरथ साकार होते हैं।
भैरव अष्टमी के दिन भगवान भैरव को नारियल और जलेबी का भोग अर्पित करने से धन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।
भैरव अष्टमी पर भगवान भैरव को मदिर का भोग लगाने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस दिन काले श्वान को ताजी बनी रोटी को घी से चुपड़कर उस पर गुड़ रखकर खिलाने से भैरव प्रसन्न होते हैं।
इस बार भैरव जयंती के दिन शनिवार भी है। इसलिए भैरव पूजन से शनि की पीड़ा भी शांत होती है
कालभैरव अष्टमी के दिन शाम के समय किसी मंदिर में जाकर भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने चौमुखा दीपक जलाएं और उनकी पूजा सच्चे मन से करें. भगवान को फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल वगैरह चीजें अर्पित करें. इसके बाद, भगवान के सामने आसन पर बैठकर कालभैरव चालीसा का पाठ जरूर करें. पूजन पूर्ण होने के बाद आरती गान अवश्य करें. साथ ही जानें-अनजाने कोई गलतियों हुई है तो उसकी क्षमा याचना मांगें. और हां मित्रों अगर आपके आस पास अगर कोई भैरव मंदिर ना हो तो पास मे किसी भी शिवमन्दिर में यह पुजा सम्पूर्ण कर सकते हैं
तंत्र साधक का मुख्य कालभैरव भाव से अपने को आत्मसात करना होता है। कोलतार से भी गहरा काला रंग, विशाल प्रलंब, स्थूल शरीर, अंगारकाय त्रिनेत्र, काले डरावने चोगेनुमा वस्त्र, रूद्राक्ष की कण्ठमाला, हाथों में लोहे का भयानक दण्ड , डमरू त्रिशूल और तलवार, गले में नाग , ब्रह्मा का पांचवां सिर , चंवर और काले कुत्ते की सवारी - यह है कालभैरव के रूप की कल्पना
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
भैरव अष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं।
भैरव देव के मंदिर में जाकर सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, चिरौंजी, पुए और जलेबी चढ़ाकर भक्ति भाव से पूजन करें
मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महाभैरव अष्टमी कहा जाता है. महाभैरव अष्टमी के दिन किसी भैरव मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
प्रसाद पान सुपारी दक्षिणा अर्पित करके भगवान से अपनी रक्षा और सुरक्षा की प्रार्थना करना चाहिए.
यदि कोई व्यक्ति पुलिस और प्रशासनिक मामलों में उलझा हुआ है तो इस दिन से लगातार बटुक भैरव मंत्र का जप और उनका पूजन करने से समस्या शीघ्र समाप्त हो जाती है.
यदि किसी व्यक्ति को शत्रुओं ने परेशान कर रखा है वह व्यक्ति भैरव मंदिर में जाकर पूजन अर्चन करें और बटुक भैरव मंत्र का जप अनुष्ठान करवाएं इससे उसके शत्रुओं का विनाश होता है आप स्वयं भी कर सकते हैं मंत्र जाप ,
ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा
ऊँ श्री बम बम बटुक भैरवाय नमः
यदि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से बहुत परेशान है तो किसी भी भैरव मंदिर में जाकर स्वर्ण आकर्षण भैरव स्त्रोत्र का पाठ करने से उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और कर्ज समाप्त हो जाते हैं यदि लगातार 1 वर्षं तक इस स्त्रोत्र का प्रतिदिन पाठ किया जाए तो बहुत आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं.
महा भैरव अष्टमी के दिन किसी भैरव मंदिर से हवन की भस्म लेकर किसी ताबीज में भरकर धारण करने से तंत्र मंत्र आदि की समस्या नहीं होती है.
यदि आपके पास कोई भैरव मंदिर नहीं है तो किसी शिवालय में जाकर पूजन पाठ कर सकते हैं.
कालभैरव अष्टमी को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने भगवान कालभैरव की तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा भैरव महाराज से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।
मंत्र- ‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:‘
कालभैरव अष्टमी पर किसी ऐसे भैरव मंदिर में जाएं, जहां कम ही लोग जाते हों। वहां जाकर सिंदूर व तेल से भैरव प्रतिमा को चोला चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, पुए, जलेबी आदि का भोग लगाएं। मन लगाकर पूजा करें। बाद में जलेबी आदि का प्रसाद बांट दें। याद रखिए अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।
कालभैरव अष्टमी को भगवान कालभैरव की विधि-विधान से पूजा करें और नीचे लिखे किसी भी एक मंत्र का जाप करें। कम से कम 11 माला जाप अवश्य करें।
ॐ कालभैरवाय नम:
ॐ भयहरणं च भैरव:
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्मां
कालभैरव अष्टमी की सुबह भगवान कालभैरव की उपासना करें और शाम के समय सरसों के तेल का दीपक लगाकर समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
कालभैरव अष्टमी पर 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही, एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
कालभैरव अष्टमी को एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। इस क्रम को जारी रखें, लेकिन सिर्फ हफ्ते के चार दिन (रविवार, बुधवार व गुरुवार, शुक्रवार)। यही चार दिन भैरवनाथ के माने गए हैं।
अगर आप कर्ज से परेशान हैं तो कालभैरव अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें बिल्व पत्र अर्पित करें। भगवान शिव के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र- ॐ ऋणमुक्तेश्वराय नम:
कालभैरव अष्टमी के एक दिन पहले उड़द की दाल के पकौड़े सरसों के तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर सुबह 6 से 7 बजे के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकलें और कुत्तों को खिला दें।
सवा किलो जलेबी भगवान भैरवनाथ को चढ़ाएं और बाद में गरीबों को प्रसाद के रूप में बांट दें। पांच नींबू भैरवजी को चढ़ाएं। किसी कोढ़ी, भिखारी को काला कंबल दान करें।
कालभैरव अष्टमी पर सरसो के तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे पकवान तलें और गरीब बस्ती में जाकर बांट दें। घर के पास स्थित किसी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।
सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरवनाथ के मंदिर में कालभैरव अष्टमी पर चढ़ाएं।
कालभैरव अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान कालभैरव के मंदिर जाएं और इमरती का भोग लगाएं। बाद में यह इमरती दान कर दें। ऐसा करने से भगवान कालभैरव प्रसन्न होते हैं।
कालभैरव अष्टमी को समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें
घर में यदि रसोई में उपयोग होने वाली कोई भी काली सामग्री जैसे तिल, दाल या फिर चाय की पत्ती बेकार हो चुकी है तो उस दिन उसे घर से बाहर फेंकने से बचाव करना चाहिए।
परिवार के सदस्यों को मूंग की दाल का सेवन करने से बचाव करना चाहिए। ध्यान रहे मूंग की दाल से बने हुए पकवान को काल भैरव को अर्पित किया जा सकता है।
भेरव अष्टमी के दिन महिलाओं को घर की सफाई का किसी भी तरह का सामान खरीदने से बचाव करना चाहिए। इन सामानों में झाड़ू पोछा फिनाइल सहित अन्य सामग्रियां शामिल है। ऐसा करने से घर में बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।
भैरव अष्टमी पर रात को घर में पूरी तरह से अंधेरा नहीं किया जाना चाहिए। खास तौर पर घर का ईशान कोण यानी कि उत्तरी पूर्वी कोना यदि उस रात अंधेरे में रहता है तो घर में वास्तु संबंधी समस्याएं सामने आने लगती हैं।
भैरव अष्टमी के दिन लोगों को और खास तौर से युवाओं को अपने बाल काटने से बचना चाहिए। यदि वे ऐसा करते हैं तो 41 दिन के भीतर उन्हें गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिरने की वजह से पूरा परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित भी हो सकता है।
भैरव पूजन के दौरान हरे रंग का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित माना गया है। वैसे तो हरे रंग का कपड़ा किसी देवताओं के लिए मान्य नहीं है पर ख्याल रखे भैरव अष्टमी के दिन हरे रंग के कपड़ों को पहनकर सूर्य की रोशनी में ना जाए।कल के दिन तो हारगिज नहीं ऐसा करने से नौकरी एवं रोजगार संबंधी क्षेत्र में विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
घरों में खाना खाने के बाद यदि बर्तनों को साफ नहीं किया गया तो उस दिन भैरव जी को जातक नाराज कर सकते हैं। इसलिए यह ख्याल रखें रोज रात को भोजन किए हुए बर्तनों को तुरंत साफ करके रसोई में रखना चाहिए।
मान्यता है कि भैरव अष्टमी के दिन उधार दिया हुआ धन वापस नहीं आता। ऐसे में यदि कुंडली में शुक्र और बुध ग्रह कमजोर है तो उधार देने से बचना चाहिए।
अगर आप अपने आर्थिक रूप से लाभ को और अधिक बढ़ाना चाहते हैं तो आज आपको सुबह स्नान आदि के बाद भैरव जी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और उन्हें जलेबी का भोग लगाना चाहिए। साथ ही उनके मंत्र का जाप करना चाहिए। आज ऐसा करने से आपको मिलने वाले आर्थिक लाभ में तेजी से बढ़ोतरी होगी।
अगर आपको जीवन में कोई परेशानी है तो उसे अपने जीवन से दूर करने के लिये आज आपको एक सरसों के तेल में चुपड़ी हुई रोटी लेकर काले कुत्ते को डालनी चाहिए। रोटी पर तेल चुपड़ते समय भैरव का ध्यान करते हुए 5 बार मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में जो भी परेशानी हैं, वो जल्द ही दूर हो जायेंगी।
अगर आपको अपने बिजनेस पार्टनर से पूरी तरह सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जिससे आपके काम पूरे नहीं हो पा रहे हैं तो आज आपको रोटी में शक्कर मिलाकर उसका चूरमा बनाना चाहिए और उससे भैरव बाबा को भोग लगाना चाहिए। साथ ही भैरव मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप के बाद थोड़ा-सा चूरमा प्रसाद के रूप में स्वयं खा लें और बाकी प्रसाद को दूसरे लोगों में बांट दें। आज ऐसा करने से आपको पार्टनर से सहयोग मिलेगा और आपके काम भी जल्द ही पूरे होंगे।
अगर आप अपने बिजनेस को दूर शहरों या विदेशों में फैलाना चाहते हैं तो उसके लिये आज किसी भैरव मन्दिर में जाकर भैरव जी को सवा सौ ग्राम साबुत उड़द चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद उसमें से 11 उड़द के दाने गिनकर अलग निकाल लें और उन्हें एक काले कपड़े में बांधकर अपने कार्यस्थल पर तिजोरी में रख दें। साथ ही ध्यान रखें कि दानों को कपड़े में रखते समय हर दाने के साथ ये मंत्र पढ़ें। आज ऐसा करने से आपका बिजनेस दूर शहरों और विदेशों तक फैलेगा।
अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे के ऊपर किसी ने जादू-टोना करवा रखा है, जिसके असर के चलते आपका बच्चा तरक्की नहीं कर पा रहा है तो आज एक मुट्ठी काले तिल लेकर, भैरव बाबा का ध्यान करते हुए अपने बच्चे के सिर से सात बार वार दें। ध्यान रहे छ बार क्लॉक वाइज़ और एक बार एंटी क्लॉक वाइज़ वारना है। वारने के बाद उन तिलों को किसी बहते पानी के स्रोत में प्रवाहित कर दें और तिल प्रवाहित करते समय मंत्र का जाप करें। आज ऐसा करने से आपके बच्चे के सिर से जादू-टोने का असर खत्म होगा और वह तरक्की की ओर कदम बढ़ायेगा।
अगर आपको किसी प्रकार का भय बना रहता है, तो उस भय से छुटकारा पाने के लिये आज आपको भैरव जी के चरणों में एक काले रंग का धागा रखना चाहिए। उस धागे को 5 मिनट के लिये वहीं पर रखा रहने दीजिये और इस दौरान मंत्र का जाप कीजिये। 5 मिनट बाद उस धागे को वहां से उठाकर अपने दायें पैर में बांध लीजिये। आज ये उपाय करने से आपको जल्द ही भय से छुटकारा मिलेगा।
अगर आपको लगता है कि आपके घर में निगेटिविटी बहुत अधिक हो गई है, जिसकी वजह से आपके परिवार के लोगों का किसी काम में अच्छे से मन नहीं लगता, तो आज आपको मौली से एक लंबा-सा धागा निकालकर, उसमें सात गांठे लगाकर अपने घर के मेन गेट पर बांधना चाहिए। एक-एक गांठ लगाते समय मंत्र का जाप भी करें। आज ऐसा करने से आपके घर से निगेटिविटी दूर होगी और आपके परिवार के लोगों का काम में मन लगने लगेगा।
आप अपने सुख-साधनों में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो आज भैरव जी के आगे मिट्टी के दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। साथ ही भैरव जी से अपने सुख-साधनों में बढ़ोतरी के लिये प्रार्थना करनी चाहिए। आज ऐसा करने से आपके सुख-साधनों में बढ़ोतरी होगी।.
अगर आप जीवन में खुशहाली पाना चाहते हैं तो इसके लिये आज आपको किसी नदी या तालाब में स्नान करना चाहिए और उसके बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए। अगर आप किसी नदी या तालाब में न जा सकें तो घर पर ही स्नान के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर गंगा नदी का ध्यान करते हुए स्नान कर लें और उसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। आज ऐसा करने से आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।
अगर आप अपने जीवन में स्थिरता बनाये रखना चाहते हैं तो आज आपको सुबह स्नान के बाद भैरव बाबा को काले तिल अर्पित करने चाहिए। साथ ही घंटी बजाकर भैरव मंत्र बोलते हुए भगवान की पूजा करनी चाहिए। आज ऐसा करने से आपके जीवन में स्थिरता बनी रहेगी और आपके काम भी समय रहते पूरे हो जायेंगे।
अगर आप किसी बात को लेकर दुविधा में पड़े हुए हैं और आप उस दुविधा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो आज आप सात बिल्व पत्र लें और उन्हें साफ पानी से धोकर, उन पर चंदन से ‘ऊं’ लिखें। इसके बाद उन बेल पत्रों को शिवलिंग पर चढ़ा दें और हाथ जोड़कर भगवान शिव को प्रणाम करें। इसके बाद भैरव जी का ध्यान करके उनके मंत्र का जाप करें। आज के करने से आपको अपनी दुविधा से निकलने में आसानी होगी,
अगर आपके जीवनसाथी को किसी प्रकार की परेशानी बनी हुई है, जिसके कारण आप भी परेशान हैं तो आज आपको सुबह उठकर स्नान के बाद शिव जी की प्रतिमा के आगे आसन बिछाकर बैठना चाहिए और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। आज ऐसा करने से आपके जीवनसाथी और आपकी परेशानी का हल निकलेगा।
काला कुत्ता भैरव जी की सवारी है अत: इसदिन भैरव अष्टमी के दिन इसे प्रसन्न अवश्य ही करें। भैरव अष्टमी के दिन काले कुत्ते को कच्चा दूध पिलाएं, तथा जलेबी या इमरती भी अवश्य खिलाएं। यह अत्यंत चमत्कारी उपाय है इससे भैरव नाथ अति शीघ्र ही प्रसन्न होते है।
बाबा कालभैरव कुत्ते पर सवार होते हैं और बुरे कार्य करने वाले को दंडित करने के लिए एक छड़ी भी रखते हैं। भक्त बाबा कालभेरव अष्टमी की शुभ संध्या पर भगवान कालभैरव की पूजा करते हैं ताकि सफलता और अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ सभी अतीत और वर्तमान के पापों से छुटकारा पा सकें। यह भी माना जाता है कि, बाबा कालभैरव की पूजा करने से, भक्त अपने सभी ‘शनि’ और ‘राहु’ दोषों को समाप्त कर सकते हैं।
काल भैरव सिद्धि मंत्र
"ह्रीं बटुकाय अपुधरायणं कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं।"
"ओम ह्रीं वम वटुकरसा आपुद्दुर्धका वतुकाया ह्रीं"
"ओम ह्रीं ह्रीं ह्रौं ह्रीं ह्रौं क्षाम क्षिप्रपलाय काल भैरवाय नमः"
मित्रों यदि आप धन संबंधित समस्या से त्रस्त है तो कालाष्टमी के दिन किसी भी भैरव मंदिर में जाएं, भैरव बाबा को चमेली का तेल चढ़ाएं और सिंदूर भी अर्पित करें. इससे धन आगमन के विभिन्न रास्ते खुलेंगे और सुख-समृद्धि का वास भी घर में वास होगा. इसके अलावा मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु आप नींबू की माला भी उन्हें अर्पित कर सकते हैं.
और मित्रों यदि आप किसी प्रकार की नकारात्मक शक्ति से आप परेशान है तो कालाष्टमी के दिन 11 रूपए या क्षमता अनुसार पैसे चढ़ाएं और काले तिल, काले उड़द व काले कपड़े मंदिर जाकर भगवान भैरव को अर्पित करें. इससे नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती है.
काल-भैरव का उपवास करने वालों को सुबह नहा-धोकर पितरों को श्राद्ध व तर्पण देने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
व्रती को पूरे दिन उपवास करना चाहिए और रात्रि के समय धूप, दीप, धूप,काले तिल,उड़द, सरसों के तेल का दिया बनाकर भगवान काल भैरव की आरती गानी चाहिए।
मान्यता के अनुसार, भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता है इसलिए जब व्रती व्रत खोलें तो उसे अपने हाथ से कुछ पकवान बनाकर सबसे पहले कुत्ते को भोग लगाना चाहिए।
ऐसा करने से भगवान काल भैरव की कृपा आती है. पूरे मन से काल भैरव भगवान के पूजा करने पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।
कालाष्टमी को कालभैरव जयंती के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। भक्त इस दिन शिव की पूजा करने के साथ ही उनके लिए उपवास रखते हैं। यह शिव भक्तों के लिए सचमुच ही बड़ा दिन है।
मित्रों ये उपाय ऊपर भी पहले दिये जा चूके पोस्ट लम्बी होने की वजह से दुबारा दे रहे हैं ।रविवार, बुधवार या गुरुवार , शुक्रवार के दिन एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। अगर कुत्ता यह रोटी खा लें तो समझिए आपको भैरव नाथ का आशीर्वाद मिल गया। अगर कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस क्रम को जारी रखें लेकिन सिर्फ हफ्ते के इन्हीं चार दिनों में (रविवार, बुधवार या गुरुवार , शुक्रवार)। यही चार दिन भैरव नाथ के माने गए हैं।
उड़द के पकौड़े शनिवार की रात को कड़वे तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर प्रात: 6 से 7 के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकले और रास्ते में मिलने वाले पहले कुत्ते को खिलाएं। याद रखें पकौड़े डालने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें। यह प्रयोग सिर्फ रविवार के लिए हैं।
शनिवार के दिन शहर के किसी भी ऐसे भैरव नाथ जी का मंदिर खोजें जिन्हें लोगों ने पूजना लगभग छोड़ दिया हो। रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर पहुंच जाएं। मन लगाकर उनकी पूजन करें। बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-चिरौंजी का प्रसाद बांट दें। साथ लाए जलेबी, नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटे। याद रखिए कि अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।
प्रति गुरुवार शुक्रवार को कुत्ते को गुड़ खिलाएं।
रेलवे स्टेशन पर जाकर किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा की बोतल दान करें।
सवा किलो जलेबी बुधवार के दिन भैरव नाथ को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं।
शनिवार के दिन कड़वे तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध पकवान तलें और रविवार को गरीब बस्ती में जाकर बांट दें।
रविवार या शुक्रवार को किसी भी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।
पांच नींबू, पांच गुरुवार तक भैरव जी को चढ़ाएं।
सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर में बुधवार के दिन चढ़ाएं।
काल भैरव : काल भैरव का आविर्भाव मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को प्रदोष काल में हुआ था। यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है।
काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।। ॐ भैरवाय नम:।।
बटुक भैरव : 'बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:। ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे।।'
- अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वंदित बटुक नाम से प्रसिद्ध इन भैरव देव की उपासना कल्पवृक्ष के समान फलदायी है। बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है। इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं। उक्त सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी है। यह कार्य में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
उक्त आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।।
भैरव तंत्र : योग में जिसे समाधि पद कहा गया है, भैरव तंत्र में भैरव पद या भैरवी पद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने देवी के समक्ष 112 विधियों का उल्लेख किया है जिनके माध्यम से उक्त अवस्था को प्राप्त हुआ जा सकता है।
भैरव आराधना से शनि शांत : एकमात्र भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है। आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है। पुराणों के अनुसार भाद्रपद माह को भैरव पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है। उक्त माह के रविवार को बड़ा रविवार मानते हुए व्रत रखते हैं। आराधना से पूर्व जान लें कि कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं। जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें। दांत और आंत साफ रखें। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें। अपवित्रता वर्जित है।
भैरव चरित्र : भैरव के चरित्र का भयावह चित्रण कर तथा घिनौनी तांत्रिक क्रियाएं कर लोगों में उनके प्रति एक डर और उपेक्षा का भाव भरने वाले तांत्रिकों और अन्य पूजकों को भगवान भैरव माफ करें। दरअसल भैरव वैसे नहीं है जैसा कि उनका चित्रण किया गया है। वे मांस और मदिरा से दूर रहने वाले शिव और दुर्गा के भक्त हैं। उनका चरित्र बहुत ही सौम्य, सात्विक और साहसिक है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभीउनका कार्य है शिव की नगरी काशी की सुरक्षा करना और समाज के अपराधियों को पकड़कर दंड के लिए प्रस्तुत करना। जैसे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिसके पास जासूसी कुत्ता होता है। उक्त अधिकारी का जो कार्य होता है वही भगवान भैरव का कार्य है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,जय मां बाबा की 🌹🙏🏻
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻
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