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Friday, 23 February 2018

सबको सुर्खीया प्यारी लगती है

आजकल सोशल मीडिया पर सबको आने का शोक सा चलन बन चूका है कथित बंदे जौ किसी धर्म या मजहब के नही हो सकते जो सनातनी होकर अपने देवो का अपमान करे ये कुछ उच्च कोटि के धर्मात्माओ की साजिश है जिसको आम आदमी या सनातनी  इसको समझ नही पा रहे हर लडाई को सभी सनातनीयो मे मिलकर लडा था चाहे वो श्रेत्रिये, ब्राह्मण, शुद्र, वेश्य कोई भी हो इसके कई जीवित उदाहरण इतिहास मे मिल जायेगे पर आजकल जनरल सामान्य ओबीसी एस टी सा एस सी का मुद्दा चल गया है क्या आजादी की लडाई मे किसी ने जाति पाति या धर्म मजहब देख के लडा था क्या नही वहाँ अंग्रेजी ने एक रूल अपनाया था फुट डालो राज करो आजकल वो ही मशीनरी हिन्दुस्तान मे वो ही काम कर रही है की बस जाति पाति से दंगे कराये जाये आजकल जात बदलना या धर्म बदलना आम बात है ये सोशल मीडिया का यही हकीकत है ओर यही आइना है ओर जो देवी देवता का अपमान करते है या किसी पुरुष सा मुर्द के लिये जो भगवान ने बनाये है ओर उनके लिए ही भगवान का अपमान करते है तो वो हमारी नजर मे मुर्ख के अलावा ज्यादा कुछ नही ओर जो जिन लोगो ने अपने धर्म को परिविर्तन कर लिया है वो हमसे दुर ही रहे या हम सोशल मीडिया पर ब्लाक कर सकते है पर देवी देवता का अपमान करना ये किसी जाति धर्म या मजहब पर कुछ अपशब्द कहना सनातन नही सिखाता यही सत्य है जो ये सब करते है हमसे दुर रहे ओर हाँ जो छुआ छूत भेदभाव को तेजी देने वाले संत महात्मा को भी दुर से नमस्कार आज बस इतना ही नादान बालक की कलम बाकी फिर  कभी, एक  आग से लगी है दिल मे की कैसे बनाये हम उस हिन्दुस्तान को जो कभी महाराणा प्रताप ,वीर मराठा शिवाजी ,सम्राट पृथ्वीराज चौहान का था या राजा राम का था जिनमे जाति पाति या थी इससे अच्छा तो अंग्रेजी की गुलामी अच्छी थी जहाँ सभी उनके आदेश पर थे जहाँ दंगा नही था जहाँ जाति पाति से नाम पर कोई हिन्दुस्तानी लडता नही था,

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।
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