गुरु दत्तात्रेय जयंती
गुरु दत्तात्रेय का जन्म दिवस मार्गशीर्ष की पूर्णिमा जो आज है अतः आज मनाया जा रहा है यह उत्सव महाराष्ट्र में खासतौर से मनाया जाता है
हिन्दुधर्म में तीन देव भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश का सबसे उच्च स्थान है भगवान दत्तात्रेय का रूप इन तीनो देवो के रूप में मिलकर बना है
भगवान दत्तात्रेय सप्त ऋषि अत्रि एविम माता अनुसुइया के पुत्र है माता अनुसुईया एक पतिव्रता नारी थी इन्होंने ब्रह्मा विष्णु महेश के समान बल वाले पुत्र के लिए कठिन तपस्या की थी उनकी कठिन साधना के कारण तीनो देव इनकी प्रशंसा करते थे जिस कारण तीनो देवियो को माता अनुसुईया से ईर्ष्या होनी लगी तब तीनो देवियो के कहने पर त्रिदेव माता अनुसुईया की परीक्षा लेने आश्रम पहुंचे । तीनो देव रूप बदल कर अनुसुईया के पास पहुचे और भोजन कराने को कहा माता ने हां बोल दिया लेकिन तीनो ने कहा कि भोजन तभी ग्रहण करेंगे जब वे निर्वस्त्र हो कर शुद्धता से उन्हें भोजन परसेंगी माता ने कुछ विचार कर हामी भर दी माता ने मंत्र उच्चारण कर तीनो त्रिदेवो को तीन छोट छोटे बच्चों में परिवर्तित कर दिया और तीनों को बिना वस्त्र के स्तनपान कराया
जब ऋषि अत्रि आश्रम आये तो माता अनुसुईया ने सारी बात विस्तार से रख्खी जिसे ऋषि अत्रि पहले से जानते थे ऋषि अत्रि ने मंत्रो के द्वारा तीनो देवो को एक रूप में परिवर्तित कर एक बालक का रूप दे दिया जिसके तीन मुख एवं छः हाथ थे अपने पति को इस रूप में देख तीनो देवियो पछतावा होता है और ऋषि अत्रि एवं माता अनुसुईया से छमा मांग अपने पतियों को वापस देने का आग्रह करती है ऋषि अत्रि तीनो देवो को उनका मूर्त रूप दे देते है लेकिन तीनो देवो ने अपने आशीर्वाद के द्वारा दत्तात्रेय भगवान को बनाते है जो तीनों देवो का रूप कहलाते है इस प्रकार माता अनुसुईया परीक्षा में सफल हुई और उन्हें तीनो देवो के समान के पुत्र की प्राप्ति हुई
गुरु दत्तात्रेय का जन्म दिवस मार्गशीर्ष की पूर्णिमा जो आज है अतः आज मनाया जा रहा है यह उत्सव महाराष्ट्र में खासतौर से मनाया जाता है
हिन्दुधर्म में तीन देव भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश का सबसे उच्च स्थान है भगवान दत्तात्रेय का रूप इन तीनो देवो के रूप में मिलकर बना है
भगवान दत्तात्रेय सप्त ऋषि अत्रि एविम माता अनुसुइया के पुत्र है माता अनुसुईया एक पतिव्रता नारी थी इन्होंने ब्रह्मा विष्णु महेश के समान बल वाले पुत्र के लिए कठिन तपस्या की थी उनकी कठिन साधना के कारण तीनो देव इनकी प्रशंसा करते थे जिस कारण तीनो देवियो को माता अनुसुईया से ईर्ष्या होनी लगी तब तीनो देवियो के कहने पर त्रिदेव माता अनुसुईया की परीक्षा लेने आश्रम पहुंचे । तीनो देव रूप बदल कर अनुसुईया के पास पहुचे और भोजन कराने को कहा माता ने हां बोल दिया लेकिन तीनो ने कहा कि भोजन तभी ग्रहण करेंगे जब वे निर्वस्त्र हो कर शुद्धता से उन्हें भोजन परसेंगी माता ने कुछ विचार कर हामी भर दी माता ने मंत्र उच्चारण कर तीनो त्रिदेवो को तीन छोट छोटे बच्चों में परिवर्तित कर दिया और तीनों को बिना वस्त्र के स्तनपान कराया
जब ऋषि अत्रि आश्रम आये तो माता अनुसुईया ने सारी बात विस्तार से रख्खी जिसे ऋषि अत्रि पहले से जानते थे ऋषि अत्रि ने मंत्रो के द्वारा तीनो देवो को एक रूप में परिवर्तित कर एक बालक का रूप दे दिया जिसके तीन मुख एवं छः हाथ थे अपने पति को इस रूप में देख तीनो देवियो पछतावा होता है और ऋषि अत्रि एवं माता अनुसुईया से छमा मांग अपने पतियों को वापस देने का आग्रह करती है ऋषि अत्रि तीनो देवो को उनका मूर्त रूप दे देते है लेकिन तीनो देवो ने अपने आशीर्वाद के द्वारा दत्तात्रेय भगवान को बनाते है जो तीनों देवो का रूप कहलाते है इस प्रकार माता अनुसुईया परीक्षा में सफल हुई और उन्हें तीनो देवो के समान के पुत्र की प्राप्ति हुई
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