tag:blogger.com,1999:blog-41861018781985533252024-03-05T21:29:16.509-08:00JAI MAHAKAALPukhraj mewarahttp://www.blogger.com/profile/10453983287464317202noreply@blogger.comBlogger108125tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-45303916454874160982022-09-23T07:03:00.001-07:002022-09-23T07:03:20.549-07:00Jai Mahakaal: इस नवरात्रि में क्या उपाय करें और क्या है मुर्हुत ...<a href="https://mewarapukhrajasind.blogspot.com/2022/09/blog-post.html?spref=bl">Jai Mahakaal: इस नवरात्रि में क्या उपाय करें और क्या है मुर्हुत ...</a>: मित्रों जैसा की आप सभी जानते हैं कि 26 तारीख से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होने वाला है नवरात्री के बारे में लिखने को तो बहुत है पर जो आम नागरि...Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-47852778359679531952022-06-27T07:34:00.001-07:002022-06-27T07:34:35.795-07:00Jai Mahakaal: गुप्त नवरात्रि कब से है और क्या उपाय करें???<a href="http://www.pukhrajmewaraasind.com/2022/06/blog-post.html?spref=bl">Jai Mahakaal: गुप्त नवरात्रि कब से है और क्या उपाय करें???</a>: मित्रों आप सभी को जय मां बाबा की आशा है कि मां बाबा की कृपा आप सभी पर बरस रही होगी , मित्रों वेसै तो नवरात्रि साल में चार बार आती है दो सार...Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-86606446330245837942022-01-27T10:55:00.000-08:002022-01-27T10:55:03.778-08:00कब से है गुप्त नवरात्रि और क्या करें,,<p> मित्रों जैसा की आप सभी जानते हैं कि 2 फरवरी से गुप्त नवरात्रि शुरू होने वाली है जो कि 2 फरवरी से लेकर 10 फरवरी तक है ये माँ के गुप्त नवरात्रि माघ माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होते है माघ माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 फरवरी दिन मंगलवार से आरंभ होगी ,परंतु प्रतिपदा का उदया तिथि 2 फरवरी दिन बुधवार पड़ रही है ,इसलिए पहले नवरात्र का व्रत 2 फरवरी दिन बुधवार को रखा जाएगा ,जो भक्त घट स्थापना करेंगे उनके लिए घट स्थापना करने का शुभ समय 2 फरवरी दिन बुधवार को सुबह 7 बजकर 9 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक शुभ है बाकी आप सभी को ज्ञात है कि वर्ष में एक शाकंभरी नवरात्रि और वर्ष में चार नवरात्रि होती है दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त मित्रों इन चार नवरात्री में से दो को प्रत्यक्ष नवरात्र कहा गया है ,क्योंकि इनमें गृहस्थ और संन्यासी और साधक जीवन वाले साधना पूजन करते हैं लेकिन जो दो गुप्त नवरात्रि होते हैं, उनमें</p><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEgMWaYk5W_L2Sj1o_FwRtp9yhHpRmMVrqZyKEbEkeGQbEF5ZQ-rt51F0QqtAfl5HnXZg56ebYopzsoP6cm-lhWcpq8YXRASRGDa1GWG2z4Ds66qAbjRlcuLUoB57RlXJhLmmdApu6VwNtaq9yeuWm1o_ZWxewX37vPAo3umGkzQZD1RMRJq032pfdGHQw=s4000" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="4000" data-original-width="3000" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEgMWaYk5W_L2Sj1o_FwRtp9yhHpRmMVrqZyKEbEkeGQbEF5ZQ-rt51F0QqtAfl5HnXZg56ebYopzsoP6cm-lhWcpq8YXRASRGDa1GWG2z4Ds66qAbjRlcuLUoB57RlXJhLmmdApu6VwNtaq9yeuWm1o_ZWxewX37vPAo3umGkzQZD1RMRJq032pfdGHQw=w480-h640" width="480" /></a></div><br />आमतौर पर साधक सन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने वाले, तांत्रिक-मांत्रिक और कुछ ग्रहस्थ साधक जो अपनी मर्यादा में रहते हैं वो देवी या अपने आराध्य देवी देवताओं की साधना उपासना करते हैं, हालांकि चारों नवरात्रि में देवी और आराध्य देव या देवी सिद्धि प्रदान करने वाली होती हैं लेकिन गुप्त नवरात्रि के दिनों में देवी की दस महासिद्धविधाएं की पूजा विशेष रुप से की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है जबकि प्रत्यक्ष नवरात्रि में सांसारिक जीवन से जुड़ी हुई चीजों को प्रदान करने वाली देवी देवताओं और मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है हालांकि इसमें भी महासिद्धविधा और भैरव बाबा की कृपा प्राप्त की जा सकती है गुप्त नवरात्रि में अगर आमजन चाहें तो किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्रि में साधना करके मनोरथ की पूर्ण कर सकते हैं और जो गुप्त नवरात्रि को गुप्त रहकर भी करते हैं मर्यादा पुर्वक तो उसको जन्म मरण से भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और मित्रों गुप्त नवरात्रि के बारे में तो यहां तक कहा जाता है कि के जीवन में अपने आराध्य और सिद्ध विधा के जो कडे नियमों का पालन करते हैं उनको दुर्लभ सिद्धियां और अपने आराध्य की कृपा प्राप्त के प्रबल योग बन जाते हैं , मित्रों गुप्त नवरात्रि के दौरान, तंत्र मंत्र साधना में विश्वास करने वाले, अपने गुप्त तांत्रिक क्रियाकलापों के साथ-साथ सामान्य नवरात्रि की तरह ही उपवास करते हैं और अन्य अनुष्ठान करते हैं, 9 दिनों तक अखंड ज्योति जलाई जाती है, कलश स्थापन या घट स्थापना करके देवी मां दुर्गा के सामने दुर्गा सप्तशती मार्ग और मार्खदेव पुराण का पाठ किया जाता है ,नवरात्रि के सभी दिनों में उपवास या सात्विक आहार या अल्पाहार का सेवन किया जाता है, इसलिए मित्रों ,,</div><div>1, नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य नियम का पालन करें</div><div>2, तामसिक भोजन का परित्याग करें</div><div>3, कुश की चटाई पर शैया करें</div><div>4, पीले या लाल वस्त्र धारण करें या जैसी आप पुजा या कामना करते हैं या जैसी आप साधना या मंत्र जपते हैं उसी तरह के वस्त्र जैसे दिगम्बर ,काले ,भगवे वस्त्र धारण कर सकते हैं यह सब समय स्थिति काल दिशा पर भी संभव है ,</div><div>5, निर्जला अथवा फलाहार उपवास रखें जैसी शक्ति हो वैसी क्रिया कर सकते हैं ,</div><div>6, देवी मां की पूजा-उपासना करें</div><div>7, लहसुन-प्याज का सेवन न करें छल कपट झुठ से बचे अनावश्यक अपना स्थान ना छोड़ ,</div><div>8, माता-पिता गुरू की सेवा और आदर सत्कार करें अपने बड़ों का और सम्माननीय के सामने अपशब्दों का प्रयोग ना करें किसी को अपने शब्दों से भटकाये नहीं के निंदक ना बने अगर इनमें से आप कुछ करते हैं तो आपका आध्यात्मिक में होना ना होना बराबर है ,</div><div>वैसे मित्रों इन दिनों सभी देवी देवताओं की साधनाएं की जाती है पर प्रमुख ये है </div><div>मां महि दुर्गा के नौ रूप शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता हैं, जिनकी नवरात्रि में पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या देवियां तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी हैं, जिनकी गुप्त नवरात्रि में गुप्त तरीके से पूजा-उपासना की जाती है और हां इनमें भेरव बाबा और बाबा हनुमानजी की भी पूजा आराधना उपासना की जाती है इनके अलावा इतरयोनि साधना और श्मशानिक साधनाओं का समय रहता है निशाकाल में, हां मित्रों,</div><div>गुप्त नवरात्रि के दौरान इन सभी का विशेष ध्यान रखें घट स्थापना उसी तरह की जाती है जिस तरह से चैत्र और शारदीय नवरात्रि में होती है. सुबह-शाम की पूजा में मां को लौंग और बताशे का भोग लगाना आवश्यक होता है. नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों इसके बाद मां को शृंगार का सामान जरूर अर्पित करें. सुबह और शाम दोनों समय पर दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें. 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करें. इससे आपके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो सकती हैं ,इन बातों का भी रखें विशेष ध्यान ,</div><div>गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करते समय विशेष बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए ,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी</div><div>सुबह और शाम नियमित रूप से मां दुर्गा की पूजा करें और किसी को बिना बताए गुप्त रूप से मां की पूजा की जानी चाहिए जो भी आपके गुरु द्वारा दिए गये निर्देशानुसार मित्रों गुप्त नवरात्रों में गुप्त रूप से मां दुर्गा और सिद्ध विधा, अष्टलक्ष्मी और उनके रूपों की पूजा की जाती है, </div><div>माघ गुप्त नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त</div><div>2 फरवरी 2022 दिन बुधवार</div><div>घट स्थापना शुभ मुहूर्त- सुबह 7 बजकर 10 मिनट से सुबह 8 बजकर 02 मिनट तक</div><div>ध्यान रहे नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों किसी की पुजा या साधना करें बस पुरे मनोयोग से और विश्वास से करे आप सफल जररूर होंगे किसी को राह दिखा सके तो हम अपने कर्म में सफल होंगे बाकी आना जाना तो लगा ही रहेगा ,आप सभी सभी से हमारा एक निवेदन है की रोज कुत्ते की रोटी दे कबुतरो चिड़िया के रोज दाने खिलाये मां बाबा आपको भला करे जय मां बाबा की 🙏🏻🌹</div><div>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश🌹🙏🏻🌹</div>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-25526694660400720402022-01-13T04:07:00.004-08:002022-01-13T04:07:58.444-08:00मकरसंक्रांति कब है और क्या उपाय करें<p> मित्रों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मकरसंक्रांति चौदह 14 तारीख को ही मनाया जाता है पर इस बार 14 और 15 जनवरी दोनों को मनायी जायेगी क्योंकि पंचांगों में सुर्य की राशि परिवर्तन 14 जनवरी को रात्रि आठ बजे बाद का दिखा रही है पंचांग अनुसार 15 जनवरी को मकरसंक्रांति मनायी जायेगी और मित्रों सुर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मांगलिक कार्य जैसे ग्रहपवेश यज्ञोपवीत, मुंडन शादी विवाह आदि मांगलिक कार्यों का शुभारम्भ हो जायेगा एक नयी ऊर्जा का शुभारम्भ होगा और ईश्वर अपने भक्तों और साधकों साधु संतों को खरमास में की गयी पुजा हवन या कर है उनको यथोचित या अधिक फल प्राप्ति शुरू हो जायेगी ।</p><div>आधिकारिक नाम खिचड़ी, पोंगल</div><div>अनुयायी , मनाने वाले हिन्दू,नेपाली<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEh-zcAxeW2KoVPX0z_dRLUhxVZO2FSebNzvu9_pILJkfjXEe9BC0CldKvvYw6jktaVlpTqqxCqU2Hj50GMkr9vAFACn9aOR84_W3TfMd_FMNj_XUhqE_cwh2h1kCvVkzjGvLiEwS3DmxPE5JgGqdgHYXBW3Lr8HXdVfkgAwVDz_J3jShIkhEYNi8yCEoA=s608" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="505" data-original-width="608" height="532" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEh-zcAxeW2KoVPX0z_dRLUhxVZO2FSebNzvu9_pILJkfjXEe9BC0CldKvvYw6jktaVlpTqqxCqU2Hj50GMkr9vAFACn9aOR84_W3TfMd_FMNj_XUhqE_cwh2h1kCvVkzjGvLiEwS3DmxPE5JgGqdgHYXBW3Lr8HXdVfkgAwVDz_J3jShIkhEYNi8yCEoA=w640-h532" width="640" /></a></div><br />भारतीय, प्रवासी भारतीय व नेपाली</div><div>प्रकार सनातनी हिन्दू</div><div>तिथि पौष मास में सूर्य के मकर राशि में आने पर </div><div>तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं, यह भ्रान्ति है कि उत्तरायण भी इसी दिन होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति उत्तरायण से भिन्न है।</div><div>इस वर्ष निम्न राशियों में होगा बदलाव, वृषभ राशि, तुला राशि,धनु राशि, मीन राशि, इन राशि वाले व्यक्ति सूर्य देव को काले तिल में गुड़ मिलाकर हृदय देने से कमजोर और वृद्ध आदमी की सेवा करने से इसके अलावा किसी को धार्मिक पुस्तक और पंचांग भेंट करने से श्री सूक्ति का पाठ करने से कुबेर देव की पूजा करने से इन 4 राशियों पर मां महालक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी पूरे साल और साथ ही ये उपाय जरूर करें , इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और फिर सूर्यदेव को तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, तिल आदि डालकर अर्पित करें। जल अर्घ्य देते समय ‘ओम घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जप करते रहें और ध्यान रहे कि आपकी नजर गिरते हुए जल में दिख रहीं सूर्य की किरणों पर होना चाहिए। साथ ही इस दिन सूर्य से संबंधित चीजें तांबा, गेहूं, गुड़, केसर, खस-खस, घी, गुलाबी रंग के वस्त्र, नमक, रूई, ऊनी वस्त्र आदि का दान करें। ऐसा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति को समस्त व्याधियों से मुक्ति मिलती है ,इसी दिन जल में गंगाजल, तिल व सप्तमृतिका मिला लें और फिर गंगा मैय्या का ध्यान करते हुए उत्तर दिशा की तरफ ध्यान करते हुए स्नान करें। साथ ही स्नान करते समय ‘गंगे, च यमुने, चैव गोदावरी, सरस्वति, नर्मदे, सिंधु, कावेरि, जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।’ मंत्र का जप करें। ऐसा करने से आपको पवित्र नदियों में स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है और इसी दिन तिल, खिचड़ी व धार्मिक पुस्तकों का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। गरीब व जरूरतमंद लोगों में खिचड़ी बनाकर खिलाएं और तिल व धार्मिक पुस्तक का दान करें। आप भगवान विष्णु को भी तिल अर्पित करें। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। इस दिन शनि उपासना करने और काले तिल व गुड़ के लड्डू बनाकर खाने से भी सूर्य व शनि दोनों की कृपा प्राप्त होती है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों इसी दिन एक मुट्ठी काले तिल लें और उसको परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार वार कर घर की उत्तर दिशा की तरफ फेंक दें। ऐसा करने से घर में धन की बरकत होगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इसके साथ ही आप काले तिल के लड्डू, ऊनी कपड़े, काले तिल, गुड़ व रेवड़ी का दान करना पुण्यदायी माना गया है क्योंकि यह सूर्य और शनि से संबंधित चीजें हैं, इसी दिन सुबह 14 कौड़ियां लें और उनको दूध में केसर मिलाकर स्नान करवाएं, फिर गंगाजल से साफ करके एक लाल कपड़े में महालक्ष्मी के सामने रख दें। फिर दो दीपक जलाएं, एक दीपक घी का और दूसरा तिल के तेल का। घी के दीपक को मां लक्ष्मी के राइट साइड और तिल के तेल वाला दीपक लेफ्ट साइड में रख दें। इसके बाद कौड़ियों को हाथ में लेकर ॐ संक्रात्याय नमः मंत्र 14 बार बोलकर सिद्ध कर लें। उसके बाद दोपहर 12 बजे कौड़ियों को उठाकर धन वाले स्थान जैसे पर्स, अलमारी, भंडार घर आदि पर रख दें। फिर दीपक के स्थान भी बदल दें, राइट वाला लेफ्ट और लेफ्ट वाला राइट स्थान पर रख दें और दीपक लगातार जलते रहने दें। शाम के समय घी के दीपक को तुलसी पर और तिल के तेल का दीपक घर की दहलीज पर रखें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती, इस दिन गायों की सेवा करनी चाहिए और हरा चारा खिलाना चाहिए। साथ ही पक्षियों को भी दाना डालें। ऐसा करने से चंद्र और शुक्र दोष दूर होता है और कुंडली में भी इनकी स्थिति मजबूत होती है। साथ ही इस दिन पितरों की शांति के लिए जलयुक्त अर्पण करना चाहिए। पितरों को जल देने से घर में आरोग्य सुख व समृद्धि आती है और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। वहीं सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए किसी भी चीज की चौदह (14)की संख्या में सुहागन महिलाओं का दान करना चाहिए ,</div><div>इस दिन जैसा ऊपर बताया था हमने दान पुण्य के बारे में इसी दिन ऊनी कंबल, जरूरतमंदों को वस्त्र विद्यार्थियों को पुस्तकें पंडितों को पंचांग आदि का दान भी किया जाता है। अन्य खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जी, चावल, दाल, आटा, नमक आदि जो भी यथा शक्ति संभव हो उसे दान करके संक्राति का पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है पुराणों के अनुसार जो प्राणी ऐसा करता है उसे विष्णु और श्रीलक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है , और मित्रों मकर संक्रांति पर तीर्थपतियों का प्रयाग आगमन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और माघमाह के संयोग से बनने वाला यह पर्व सभी देवों के दिन का शुभारंभ होता है। इसी दिन से तीनों लोकों में प्रतिष्ठित तीर्थराज प्रयाग और गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगमतट पर साठ हजार तीर्थ, नदियां, सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, नाग, किन्नर आदि एकत्रित होकर स्नान, जप-तप, और दान-पुण्य करके अपना जीवन धन्य करते हैं। तभी इस पर्व को तीर्थों और देवताओं का महाकुंभ पर्व कहा जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार यहां की एक माह की तपस्या परलोक में एक कल्प (आठ अरब चौसठ करोड़ वर्ष) तक निवास का अवसर देती है इसीलिए साधक यहां कल्पवास भी करते हैं,</div><div>भगवान शिव जी द्वारा सूर्य देव की महिमा का वर्णन,</div><div>मरणोंपरांत जीव की गति बताने वाले महानग्रंथ 'कर्मविपाक' संहिता में सूर्य महिमा का वर्णन करते हुए भगवान शिव माँ पार्वती से कहते हैं कि देवि ! ब्रह्मा विष्णुः शिवः शक्तिः देव देवो मुनीश्वरा, ध्यायन्ति भास्करं देवं शाक्षीभूतं जगत्त्रये। अर्थात- ब्रह्मा, विष्णु, शिव, शक्ति, देवता, योगी ऋषि-मुनि आदि तीनों लोकों के शाक्षीभूत भगवान् सूर्य का ही ध्यान करते हैं। जो मनुष्य प्रातःकाल स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देता है उसे किसी भी प्रकार का ग्रहदोष नहीं लगता क्योंकि इनकी सहस्रों किरणों में से प्रमुख सातों किरणें सुषुम्णा, हरिकेश, विश्वकर्मा, सूर्य, रश्मि, विष्णु और सर्वबंधु, जिनका रंग बैगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल है। हमारे शरीर को नयी उर्जा और आत्मबल प्रदान करते हुए हमारे पापों का शमन कर देती हैं प्रातःकालीन लाल सूर्य का दर्शन करते हुए 'ॐ सूर्यदेव महाभाग ! त्र्यलोक्य तिमिरापः। मम् पूर्वकृतं पापं क्षम्यतां परमेश्वरः। यह मंत्र बोलते हुए सूर्य नमस्कार करने से जीव को पूर्वजन्म में किये हुए पापों से मुक्ति मिलती है और मित्रों इस पर्व पर समुद्र में स्नान के साथ-साथ गंगा, यमुना, सरस्वती, नमर्दा, कृष्णा, कावेरी आदि सभी पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देने से पापों का नाश तो होता ही है पितृ भी तृप्त होकर अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं यहां तक कि इस दिन किए जाने वाले दान को महादान की श्रेणी में रखा गया है। वैसे तो सभी संक्रांतियों के समय जप-तप तथा दान-पुण्य का विशेष महत्व है किन्तु मेष और मकर संक्रांति के समय इसका फल सर्वाधिक प्रभावशाली कहा गया है उसका कारण यह है कि मेष संक्रांति देवताओं का अभिजित मुहूर्त होता है और मकर संक्रांति देवताओं के दिन का शुभारंभ होता है। इस दिन सभी देवता भगवान श्री विष्णु और मां श्रीमहालक्ष्मी का पूजन-अर्चन करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं अतः श्रीविष्णु के शरीर से उत्पन्न तिल के द्वारा बनी वस्तुएं और श्रीलक्ष्मी के द्वारा उत्पन्न इक्षुरस अर्थात गन्ने के रस से बनी वस्तुएं जिनमें गुड़-तिल का मिश्रण हो उसे दान किया जाता है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी। इस दिन गणेश जी बाबा भोलेनाथ और सुर्य देव और महालक्ष्मी जी कुबेर देवता की पुजा ज़रूर करें ,,।</div><div>आप सभी को मकरसंक्रांति की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई </div><div>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏</div>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-56790630816972043822022-01-08T05:42:00.003-08:002022-01-08T05:42:41.480-08:00शाकंभरी नवरात्रि कब से है और क्या है इसका महत्व,<p> शाकम्भरी नवरात्रि का महत्व</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि में माँ शाकम्भरी की पूजा आराधना की जाती है.</p><p>माँ शाकम्भरी भी देवी दुर्गा का ही एक रूप है.</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhKQ7Yyh_2OmtQ6Bw_YY2L_EBdULH9huCrlzkKl5y7tuGiqAv6Bdm8kw8BEB8TaHVFGAeEOlSzYMJMuBRKzTvQi4TjceQynSdWb0iYtqh5XefGsmYitVavXjR0y0mJKtf4-TlWMWrL2RIHP4B-PMuaLvaTDpsqzReanDu_SSTPUpwAcXWA8dV83_nB3=s640" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="479" data-original-width="640" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhKQ7Yyh_2OmtQ6Bw_YY2L_EBdULH9huCrlzkKl5y7tuGiqAv6Bdm8kw8BEB8TaHVFGAeEOlSzYMJMuBRKzTvQi4TjceQynSdWb0iYtqh5XefGsmYitVavXjR0y0mJKtf4-TlWMWrL2RIHP4B-PMuaLvaTDpsqzReanDu_SSTPUpwAcXWA8dV83_nB3=w640-h480" width="640" /></a></div><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEj0YqzTzJ2v902n82FaGy7gZcLh8W-cA5hQu4CrhqpuCWr5RLVHbGQMA00-8IXvX_VzbHE9q9YXDhG96ejhmnJMmqaiv6iT5_kitRskYF3LZRqY4zNT6z9jLSkwE3R5P9fCVo5Vqn6uwQf3KpPPv3pCPls_nPBX_waSjued80iHNqIfFQ7tRHQ4yKgx=s630" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="354" data-original-width="630" height="180" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEj0YqzTzJ2v902n82FaGy7gZcLh8W-cA5hQu4CrhqpuCWr5RLVHbGQMA00-8IXvX_VzbHE9q9YXDhG96ejhmnJMmqaiv6iT5_kitRskYF3LZRqY4zNT6z9jLSkwE3R5P9fCVo5Vqn6uwQf3KpPPv3pCPls_nPBX_waSjued80iHNqIfFQ7tRHQ4yKgx=s320" width="320" /></a></div><br /><p></p><p>शाकम्भरी माता इस जगत के प्राणियों के लिए अन्न और भोजन का प्रबंध करती है.</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि पौष शुक्ल अष्टमी तिथि से प्रारंभ होकर पौष पूर्णिमा को समाप्त होती है.</p><p>पौष पूर्णिमा को शाकम्भरी माता की जयंती मनाई जाती है.</p><p>माता शाकम्भरी की आराधना करने वाले को शाकम्भरी माँ की कृपा प्राप्त होती है.</p><p>जिस पर भी शाकम्भरी माता की कृपा रहती है उसे कभी भी अन्न की कमी नहीं रहती है.</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि प्रत्येक वर्ष पौष महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है.</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि को अन्य किन नामों से जाना जाता है?</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि को शाकम्भरी अष्टमी, बनादा अष्टमी आदि नामों से जाना जाता है.</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि प्रत्येक वर्ष पौष महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारम्भ होती है. इस नवरात्रि में माता शाकम्भरी की पूजा की जाती है. इस बार 2022 में दो शाकंभरी नवरात्रि है समय ,</p><p>पहली शाकम्भरी नवरात्रि –</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि 2022 प्रारंभ<span style="white-space: pre;"> </span>10 जनवरी 2022, सोमवार</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि 2022 समाप्त<span style="white-space: pre;"> </span>17 जनवरी 2022, सोमवार</p><p>दूसरी शाकम्भरी नवरात्रि –</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि प्रारंभ<span style="white-space: pre;"> </span>30 दिसम्बर 2022, शुक्रवार</p><p>शाकम्भरी नवरात्रि समाप्त<span style="white-space: pre;"> </span>06 जनवरी 2023, शुक्रवार</p><p>देवी मां शाकंभरी उनके नाम से ज्ञात होता है जिसका अर्थ है - ‘शाक’ जिसका अर्थ है ‘सब्जी व शाकाहारी भोजन’ और ‘भारी’ का अर्थ है ‘धारक’। इसलिए सब्जियों, फलों और हरी पत्तियों की देवी के रूप में भी जाना जाता है और उन्हें फलों और सब्जियों के हरे परिवेश के साथ चित्रित किया जाता है। शाकंभरी देवी को चार भुजाओं और कही पर अष्टभुजाओं वाली के रुप में भी दर्शाया गया है। माँ शाकम्भरी को ही रक्तदंतिका, छिन्नमस्तिका, भीमादेवी, भ्रामरी और श्री कनकदुर्गा कहा जाता है।</p><p>माँ श्री शाकंभरी के देश मे अनेक पीठ है। लेकिन शक्तिपीठ केवल एक ही है जो सहारनपुर के पर्वतीय भाग मे है यह मंदिर उत्तर भारत के सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों मे से एक है और उत्तर भारत मे वैष्णो देवी के बाद दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तर भारत की नौ देवियों मे शाकम्भरी देवी का नौंवा और अंतिम दर्शन माना जाता है। नौ देवियों मे माँ शाकम्भरी देवी का स्वरूप सर्वाधिक करूणामय और ममतामयी माँ का है</p><p>तंत्र-मंत्र के साधकों को अपनी सिद्धि के लिए खास माने जाने वाली शाकंभरी नवरात्रि 10 जनवरी से शुरू होने वाली है इन दिनों साधक वनस्पति की देवी मां शाकंभरी की आराधना करेंगे। मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था। इसी कारण माता 'शाकंभरी' नाम से विख्यात हुईं।</p><p>वैसे तो वर्ष भर में चार नवरात्रि मानी गई है, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि, चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली चैत्र नवरात्रि, तृतीय और चतुर्थ नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती है।</p><p>देशभर में मां शाकंभरी के तीन शक्तिपीठ हैं। पहला प्रमुख राजस्थान से सीकर जिले में उदयपुर वाटी के पास सकराय माताजी के नाम से स्थित है। दूसरा स्थान राजस्थान में ही सांभर जिले के समीप शाकंभर के नाम से स्थित है और तीसरा स्थान उत्तरप्रदेश के मेरठ के पास सहारनपुर में 40 किलोमीटर की दूर पर स्थित है।</p><p>तंत्र-मंत्र के साधकों को अपनी सिद्धि के लिए खास माने जाने वाली शाकंभरी नवरात्रि के इन दिनों में साधक वनस्पति की देवी मां शाकंभरी की आराधना करेंगे। मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था। इसी कारण माता 'शाकंभरी' नाम से विख्यात हुईं।</p><p>शाकंभरी माताजी का प्रमुख स्थल अरावली पर्वत के मध्य सीकर जिले में सकराय माताजी के नाम से विश्वविख्यात हो चुका है। तंत्र-मंत्र के जानकारों की नजर में इस नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना के लिए अतिउपयुक्त माना गया है। इस नवरात्रि का समापन 17 जनवरी की पूर्णिमा के दिन होगा</p><p>ऐसे करें पूजा: पौष मास की अष्टमी तिथि को सुबह उठकर स्नान आदि कर लें। सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें। फिर माता शाकम्भरी का ध्यान करें। मां की प्रतिमा या तस्वीर रखें। पवित्र गंगाजल का छिड़काव करें। मां के चारों तरफ ताजे फल और मौसमी सब्जियां रखें। संभव हो, तो माता शाकम्भरी के मंदिर में जाकर सपरिवार दर्शन करें। मां को पवित्र भोजन का प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद मां की आरती करें। जिनका मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न है, उन्हें मां शाकम्भरी की पूजा अवश्य करनी चाहिए नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,।</p><p> शाकंभरी नवरात्रि के 9 दिनों में नीचे लिखे मंत्रों का जाप करके मां दुर्गा की आराधना करके कोई भी साधक पूरा जीवन सुख से बिता सकता है। जीवन में धन और धान्य से परिपूर्ण रहने के लिए नवरात्रि के दिनों में इन मंत्रों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।</p><p>देवी मां शाकंभरी के खास मंत्र-</p><p>* 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।।</p><p>* 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति अन्नपूर्णे नम:।।'</p><p>* 'ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।'</p><p>इन मंत्रों को बतौर अनुष्ठान 10 हजार, 1.25 लाख जप कर दशांस हवन, तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराएं।</p><p>नित्य 1 माला जपें। हवन सामग्री में तिल, जौ, अक्षत, घृत, मधु, ईख, बिल्वपत्र, शकर, पंचमेवा, इलायची आदि लें। समिधा, आम, बेल या जो उपलब्ध हो, उनसे हवन पूर्ण करके आप सुखदायी जीवन का लाभ उठा सकते हैं</p><p>पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी शाकंभरी आदिशक्ति दुर्गा के अवतारों में एक हैं। दुर्गा के सभी अवतारों में से रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शाकंभरी प्रसिद्ध हैं। दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में देवी शाकंभरी के स्वरूप का वर्णन निम्न मंत्र के अनुसार इस प्रकार किया गया है-</p><p>मंत्र- शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना।</p><p><br /></p><p>मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।</p><p>अर्थात- मां देवी शाकंभरी का वर्ण नीला है, नील कमल के सदृश ही इनके नेत्र हैं। ये पद्मासना हैं अर्थात् कमल पुष्प पर ही विराजती हैं। इनकी एक मुट्ठी में कमल का फूल रहता है और दूसरी मुट्ठी बाणों से भरी रहती है </p><p>नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,</p><p>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश🌹🙏🏻</p>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-82382521869226603162021-12-02T23:03:00.003-08:002021-12-02T23:03:33.695-08:00सुर्य ग्रहण पर बन रहा है दुर्लभ संयोग<p> मित्रों जैसा आप जानते हैं कि 4 दिसम्बर को सुर्य ग्रहण है लेकिन इस दिन दुर्लभ संयोग शनिचर अमावस्या का बन रहा है यह ग्रहण साल का अंतिम ग्रहण है ,</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgL_2RhldBb2k3Ipkwe69tmTmtD4R9QxGg11CIr6TLLvBRukAR2QVONdsR6RCH8gYOthLAC9Kng7sa2j3vOqTrtdfFgRQLJCQpL5c2F1ZmOdi1_baVXgwp6wA-MlgnEpCsLTCgMuT8jjuA/s750/surya-grahan_1546403815.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="506" data-original-width="750" height="432" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgL_2RhldBb2k3Ipkwe69tmTmtD4R9QxGg11CIr6TLLvBRukAR2QVONdsR6RCH8gYOthLAC9Kng7sa2j3vOqTrtdfFgRQLJCQpL5c2F1ZmOdi1_baVXgwp6wA-MlgnEpCsLTCgMuT8jjuA/w640-h432/surya-grahan_1546403815.jpeg" width="640" /></a></div><br />बीते 15 दिनों के भीतर ये दूसरा ग्रहण है इससे पूर्व वृषभ राशि में कार्तिक पूर्णिमा यानि 19 नवंबर 2021 को लगा था. इसके बाद अब 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है, जिसका भारत में कोई प्रभाव नहीं ,सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल प्रभावी नहीं होगा, 4 दिसंबर 2021 को लगने वाले सूर्य ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहा जा सकता है या उपछाया ग्रहण ही है ,ये पूर्ण ग्रहण नहीं है, सूतक काल पूर्ण ग्रहण की स्थिति में ही मान्य होता है, पर ग्रहण के दिन शनिवार पड़ रहा है यही दुर्लभ संयोग है, मित्रों मार्गशीर्ष महीने की यह अमावस्या तिथि 3 दिसंबर की दोपहर 04:55 बजे से 4 दिसंबर की दोपहर 01:12 बजे तक रहेगी ,वहीं 4 दिसंबर को लग रहे सूर्य ग्रहण का भारतीय समयानुसार लगभग सुबह 10:59 से दोपहर के 03:07 बजे तक रहेगा ,और 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण पर शनि अमावस्या का दुर्लभ संयोग है , बस मित्रों कुछ बातों का ध्यान रखें अगर सुतक काल भारत में हो तो सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पूर्व और 12 घंटे बाद के समय को सूतक काल कहा जाता है,जैसे भारत दिखाई नहीं देगा इसलिए यहां पर सूतक काल भी नहीं माना जाएगा, <p></p><p>हिन्दी पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष (अगहन) मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 03 दिसंबर की शाम 04 बजकर 55 मिनट से होगा। अमावस्या तिथि 04 दिसंबर 2021 को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगी ,</p><p>सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें ,</p><p>ग्रहण शुरू होने से पहले खुद को शुद्ध कर लें। ग्रहण शुरू होने से पहले स्नान आदि कर लेना शुभ माना जाता है ,</p><p>ग्रहण काल में अपने इष्ट देव या देवी की पूजा अर्चना करना शुभ होता है,</p><p>सूर्य ग्रहण में दान करना बेहद शुभ माना जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए,</p><p>ग्रहण खत्म होने के बाद एक बार फिर स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा शुभ फलों की प्राप्ति होती है,</p><p>ग्रहण काल के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्ता डालना चाहिए,</p><p>सनातनी मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान भोजन या पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति की पाचन क्षमता कमजोर होती है,जिसके कारण व्यक्ति के बीमार होने की ज्यादा संभावना रहती है, मित्रों कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान कोई भी नया काम या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से उस काम में असफलता मिलती है, नादान बालक की कलम से आज बस। इतना ही बाकी फिर कभी ग्रहण के दौरान नाखून कांटना, बालों में कंघी करना और दांतों की सफाई करना अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि ग्रहण के समय सोना भी नहीं चाहिए,</p><p>कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान चाकू या धारदार चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, कहते हैं कि ऐसा करने से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है,</p><p>शनि अमावस्या के दिन इस बार सूर्य ग्रहण लग रहा है 4 दिसंबर को शनि अमावस्या है इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का संयोग बना है,</p><p>जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है उन्हें सरसों के तेल में अपनी परछाईं देखकर दान करना चाहिए, दरवाजे पर काले घोड़े की नाल लगाएं और कुत्ते को रोटी खिलाएं ये आप रोज करे तो अच्छा है (कुत्ते को रोटी खिलाने का कार्य ) और शाम को पश्चिम की ओर तेल का दीपक जलाएं ‘ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र पढ़ते हुए परिक्रमा करने से लाभ होता है, और मित्रों इस साल 2021 का आखिरी सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में दिखाई पड़ेगा और अगला सुर्य ग्रहण भी यानि साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण भी 30 अप्रैल को लगेगा, ये भी आंशिक ग्रहण होगा, जिसका असर भी दक्षिणी-पश्चिमी अमेरिका, पेसिफिक अटलांटिक और अंटार्कटिका में देखने को मिलेगा, साल का आखिरी सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा है. इस दौरान वृश्विक राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है चाहे भारत में सुतक हो या ना हो,, मित्रों इस सुर्य ग्रहण से होने वाली पीड़ा , राजनीतिक उथल-पुथल बिमारियों का फैलना कई जगह भुखमरी और प्राकृतिक अपादाओ का आना और कई देशो की सीमाओं पर तनाव और युद्ध की स्थिति हो सकती है इसलिए अपना और अपनो का ख्याल रखे क्योंकि मोसमी बिमारियों के साथ करोना का भी खतरा रहेगा मां बाबा हम सभी को सुरक्षित, निरोगी और और पुणे स्वास्थ्य रखे यही मां बाबा से हमारी प्रार्थना है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी🙏🏻🌹</p><p>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख जगाने🙏🏻🌹</p>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-30147858808167736712021-11-26T12:32:00.003-08:002021-11-26T12:32:21.621-08:00कालभेरव अष्टमी के दिन क्या करें और क्या सावधानियां बरतें<p> मित्रों आप सभी को बाबा काल भैरव अवतरण दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक मां बाबा आप सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करे यही हमारी मां बाबा से प्रार्थना है और मित्रों पहले तो हम आप सभी से क्षमा चाहते हैं हमारे परिवार में भतीजी और भाणेजी की शादियां थे आप सभी से उनके लिए आशीर्वाद की हम कामना करते हैं और क्षमा चाहते हैं पोस्ट लेट देन के लिए और मित्रों क्योंकि आज पोस्ट कि बहुत लम्बी होने वाली है आज सिर्फ एक ही पोस्ट में उपाय जप नियम कथा और सावधानियों दे रहे हैं ,, </p><div>कालभैरव अवतरण दिवस <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-k0x5nI2KBRH1U2chrGxBvo0tsTG6dyXy3hKBE2Mpg_FQtTlp9Ex8I0jztAXqDd9ATPIR8vmeE_Wur_2KkhQD1KAgUSSwdTfkQrNzRv_Bi2GzwVA5GCEyZbhC4KkoUH5w9yokENUbm9sc/s420/IMG-20211127-WA0002.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="236" data-original-width="420" height="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-k0x5nI2KBRH1U2chrGxBvo0tsTG6dyXy3hKBE2Mpg_FQtTlp9Ex8I0jztAXqDd9ATPIR8vmeE_Wur_2KkhQD1KAgUSSwdTfkQrNzRv_Bi2GzwVA5GCEyZbhC4KkoUH5w9yokENUbm9sc/w640-h360/IMG-20211127-WA0002.jpg" width="640" /></a></div><br /></div><div>काल भैरव अष्टमी शनिवार, नवम्बर 27, 2021 को</div><div>अष्टमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 27, 2021 को 05:43 ए एम बजे</div><div>अष्टमी तिथि समाप्त – नवम्बर 28, 2021 को 06:00 ए एम बजे</div><div>कहां जाता है कि एक बार ब्रह्मा तथा विष्णु में यह विवाद छिड़ गया किविश्व का तारणहार तथा परम तत्व कौन है। इस विवाद को हल करने के लिए महर्षियों को बुलाया गया। महर्षियों ने निर्णय किया किपरम तत्व कोई अव्यक्त सत्ता है। ब्रह्मा तथा विष्णु उसी विभूति से बने हैं। विष्णुजी ने ऋषियों की बात मान ली किंतु ब्रह्माजी ने यह स्वीकार नहीं किया। वे अपने को ही परम तत्व मानते थे। यह परम तत्व की अवज्ञा बहुत बड़ा अपमान था। शिवजी ने तत्काल भैरव के रूप में उग्र रूप धारण करके ब्रह्मा का गर्व चूर-चूर कर दिया। यह दिन अष्टमी का दिन था। इसलिए इस दिन को भैरव अष्टमी कहा जाता है कहा यह भी जाता है कि पहले ब्रह्मा जी पंचमुख थे तो पंचमुखी ब्रह्मा जी के एक मुख ने बाबा भोलेनाथ की निंदा की तो बाबा भोलेनाथ के क्रोध से बाबा काल भैरव का अवतरण हुआ और अपनी तर्जनी उंगली के नाखुन से वो पांचवें मुख को अलग कर दिया तो भोलेनाथ ने उनको कहां कि ये बह्महत्या का दोष इसका प्रायश्चित करो धरती पर जितनी पवित्र नदियां हैं इस मस्तक को स्नान करा लाओ और जहां ये मस्तक तूम्हारे हाथ से उतर जाये वो ही तूम्हारा बह्महत्या का पाप उतर जायेगा और वही आप अपना आसन जमा लेना तो सिर मां गंगा में काशी मे नदी में उनके हाथ से निकल गया और बाबा ने वोही मां गंगा के किनारे अपना आसन जमा लिया था इनको काल भैरव और क्रोध भेरव भी कहां जाता है काशी वंश, वाराणसी में आज भी इनको मदिरा का भोग दिया जाता है ताकि वो शांत रहे उग्र ना हो , बाकी मित्रों पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि काल भैरव जी भगवान शिव के क्रोध के कारण उत्पन्न हुए थे. मान्यता है कि एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात को लेकर स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने को लेकर बहस हुई. तब इस बहस के बीच ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की निंदा की, इससे भोले शिव शंकर क्रोधित हो गए. उनके रौद्र रूप के कारण ही काल भैरव जी की उत्पत्ति हुई. काल भैरव ने वहीं सिर काट दिया था. (ब्रह्मा जी की जब उत्पति हुई तब उनके पांच मुख थे और शिव के भी पांच मुख थे. चार दिशाओं में चार और एक ऊपर आकाश की ओर उसके बाद ब्रह्मा के चार मुंह रह गए और शिवजी के आज भी पंच मुख होने के कारण पांच वक्त्र कहे जाते हैं. इससे उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लग गया जिससे बचने के लिए भगवान शिव ने एक उपाय सुझाया. उन्होंने काल भैरव को पृथ्वी लोक पर भेजा और कहा कि जहां भी यह सिर खुद हाथ से गिर जाएगा वहीं उन पर चढ़ा यह पाप मिट जाएगा. जहां वो सिर हाथ से गिरा था वो जगह काशी थी जो शिव की स्थली मानी जाती है. यही कारण है कि आज भी काशी जाने वाला हर श्रद्धालु या पर्यटक काशी विश्वनाथ के साथ साथ काल भैरव के दर्शन भी अवश्य रूप से करता है. और उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है. भय, संकट को दूर करने, राजकोप व लांछन से बचने के लिए श्रद्धालु काल भैरव अष्ठमी का व्रत रखेंगे। अगहन कृष्ण पक्ष अष्ठमी काल भैरव की जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भैरव की सबसे विशिष्ट पूजा की जाती है मित्रों बाबा काल भैरव को रुद्रावतार माना जाता है और भैरव को शिव का द्वारपाल भी कहा जाता है और श्मशान निवासी श्मशान के राजा भी कहां जाता है और बटूक भैरव को श्मशान का द्वारपाल कहा जाता है और मां महाकाली को श्मशानवासिनी भी कहां जाता है जब भगवान शंकर का अपमान हुआ था, तब सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर देह का दहन कर लिया था। इससे कुपित भगवान ने भैरव को यज्ञ ध्वंस के लिए भेजा था। साक्षात काल बनकर भैरव ने तांडव किया था। जानकारों के अनुसार काल भैरव की महत्ता इससे ही समझी जा सकती है कि जहां-जहां ज्योर्तिलिंग और शक्तिपीठ हैं, वहां-वहां काल भैरव को स्थान मिला है। वैष्णो देवी, उज्जैन के महाकालेश्वर, विश्वनाथ मंदिर आदि में काल भैरव मौजूद हैं। शनिवार 27 नवंबर को मनाए जाने वाले काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव मंत्र से काल भैरव की उपासना का विधान है। इस दिन श्रद्धालु उपवास करते हैं कई श्रद्धालु सूर्यास्त के बाद कुत्तो भोजन कराकर हुं उपवास तोड़ देते हैं इस दिन भैरव मंत्र ,भैरव नामवली, भैरव चालीसा, का कई बार जप करना चाहिए यानि कम से कम एक हो आठ बार, बाकि जितना किया जाये उतना कम ही है,</div><div>परिचय भैरव,</div><div>कालभैरव (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म में शिव के अवतार माने जाते हैं,</div><div>कालभैरव</div><div>शिव रुप, श्मशान के राजा , तंत्र उत्पत्ति देवता तंत्र साधना में भक्तों पर प्रसन्न रहने वाले देवता ,इतर योनि यानि, अप्सराओं, यक्षिणीयों की साधना इनके बिना अधुरी है ,</div><div>अन्य नाम दण्डपाणी , स्वस्वा , भैरवीवल्लभ, दंडधारि, भैरवनाथ , बटुकनाथ आदि।</div><div>देवनागरी कालभेरव</div><div>संस्कृत लिप्यंतरण कालभेरव</div><div>संबंध शिव, रुद्र</div><div>मंत्र ॐ काल भैरवाय नमः</div><div>अस्त्र डंडा, त्रिशूल, डमरू, चँवर, ब्रह्मा का पांचवा शीश और तलवार</div><div>दिवस मंगलवार, बधुवार और गुरूवार, शुक्रवार और रविवार</div><div>जीवनसाथी भैरवी , श्मशान वासनी महाकाली</div><div>सवारी काला कुत्ता</div><div>बाबा कालभेरव पूरे भारत के अलावा, श्रीलंका इंण्डोनोसियां और नेपाल के साथ-साथ तिब्बत चीन और कई और देशों में भी अनेक नामों से भेरव बाबा की पुजा की जाती है सनातन धर्म के कई पंथ समुदाय जैसे जैन बौद्ध सिख और भी कई पंथ समुदाय प्रचिलत है जिनमें बाबा कालभैरव की पूजा करते हैं उपासना की दृष्टि से कालभैरव एक दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं, तांत्रिक ग्रंथों में अष्ट भैरव के नामों की प्रसिद्धि है। वे इस प्रकार हैं- </div><div>1. असितांग भैरव, </div><div>2. चंड भैरव, </div><div>3. रूरू भैरव,</div><div>4. क्रोध भैरव, </div><div>5. उन्मत्त भैरव, </div><div>6. कपाल भैरव, </div><div>7. भीषण भैरव </div><div>8. संहार भैरव। </div><div> रविवार, शुक्रवार, गुरूवार बुधवार, मंगलवार या भैरव अष्टमी पर इन 8 नामों का उच्चारण करने से मनचाहा वरदान मिलता है भैरव बाबा शीघ्र प्रसन्न होते हैं और हर तरह की सिद्धि प्रदान करते हैं क्षेत्रपाल व दण्डपाणि के नाम से भी इन्हें जाना जाता है, इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान करें। </div><div><div>इस दिन काले कपड़े धारण करें। </div><div>भगवान काल भैरव की पूजा करें। </div><div>आसन पर काला कपड़ा बिछाएं,</div><div>पूजा में अक्षत, चंदन, काले तिल, काली उड़द, काले कपड़े, धतुरे के फूल का प्रयोग करें,</div><div>काल भैरव भगवान को नीले फूल अर्पित करना चाहिए,</div><div>पूजा करते समय काल भैरव मंत्र और आरती भी पढ़नी चाहिए, काल भैरव मंत्र</div><div>अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,</div><div>भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!काल भैरव आरती</div><div>जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।</div><div>जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।</div><div>तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।</div><div>भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।</div><div>वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।</div><div>महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।</div><div>तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।</div><div>चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।</div><div>तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।</div><div>कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।</div><div>पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।</div><div>बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।</div><div>बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।</div><div>कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।</div></div><div>काल भेरव मंत्र</div><div>अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,</div><div>भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!</div><div>और मित्रों काल भेरव अष्टमी के पावन दिन मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों को श्री भैरव स्तुती का पाठ करना चाहिए। श्री भैरव स्तुती का पाठ करने से भगवान भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आगे पढ़ें श्री भैरव स्तुति…</div><div>श्री भैरव स्तुती</div><div>यं यं यं यक्ष रुपं दशदिशिवदनं भूमिकम्पायमानं ।</div><div>सं सं सं संहारमूर्ती शुभ मुकुट जटाशेखरम् चन्द्रबिम्बम् ।।</div><div>दं दं दं दीर्घकायं विकृतनख मुखं चौर्ध्वरोयं करालं ।</div><div>पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।1।।</div><div>रं रं रं रक्तवर्ण कटक कटितनुं तीक्ष्णदंष्ट्राविशालम् ।</div><div>घं घं घं घोर घोष घ घ घ घ घर्घरा घोर नादम् ।।</div><div>कं कं कं काल रूपं घगघग घगितं ज्वालितं कामदेहं ।</div><div>दं दं दं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।2।।</div><div><br /></div><div>लं लं लं लम्बदंतं ल ल ल ल लुलितं दीर्घ जिह्वकरालं ।</div><div>धूं धूं धूं धूम्र वर्ण स्फुट विकृत मुखं मासुरं भीमरूपम् ।।</div><div>रूं रूं रूं रुण्डमालं रूधिरमय मुखं ताम्रनेत्रं विशालम् ।</div><div>नं नं नं नग्नरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।3।।</div><div><br /></div><div>वं वं वं वायुवेगम प्रलय परिमितं ब्रह्मरूपं स्वरूपम् ।</div><div>खं खं खं खड्ग हस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करम् भीमरूपम्</div><div>चं चं चं चालयन्तं चलचल चलितं चालितं भूत चक्रम् ।</div><div>मं मं मं मायाकायं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।4।।</div><div><br /></div><div>खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं काल कालांधकारम् ।</div><div>क्षि क्षि क्षि क्षिप्रवेग दहदह दहन नेत्र संदिप्यमानम् ।।</div><div>हूं हूं हूं हूंकार शब्दं प्रकटित गहनगर्जित भूमिकम्पं ।</div><div>बं बं बं बाललील प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।5।।</div><div><div>मान्यता है कि भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा उपासन करने से भय और अवसाद का अंत होता है और किसी भी कार्य में आ रही बाधा समाप्त होती है। कहते हैं कि भगवान शिव के किसी भी मंदिर में पूजा करने के बाद भैरव मंदिर में जाना अनिवार्य होता है। वरना भगवान शिव का दर्शन अधूरा माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने काल भैरव का रौद्र अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को काल भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है भगवान काल भैरव के बारे में ऐसा कहा जाता है मनुष्य के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब काल भैरव ही रखते हैं। जीवों का परोपकार करने वालों पर काल भैरव की विशेष कृपा रहती है तो वहीं बुरे कर्म करने वाले और अनैतिक आचरण करने वालों को वह दंड भी देते हैं। मान्यता है कि काल भैरव अष्टमी के दिन काले कुत्ते को भोजन जरूर कराना चाहिए। ऐसा करने से काल भैरव के साथ ही शनि देव की भी कृपा प्राप्त होती है और राहु भी अशुभ प्रभाव को दूर करते हैं। काल भैरव की पूजा करने से मन का भय समाप्त होता है और किसी भी प्रकार की बुरी नजर का असर समाप्त होता है काल भैरव अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और सुबह स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान के शिव के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं। मान्यताओं के अनुसार काल भैरव की पूजा रात में की जाती है। काल भैरव अष्टमी के दिन शाम के वक्त काल भैरव के मंदिर में जाकर पूजा करें और प्रसाद में जलेबी, इमरती, उड़द की दाल, पान और नारियल अर्पित करें और अपनी सभी गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें। प्रसाद का कुछ हिस्सा काले कुत्ते को जरूर डालें इस दिन पीपल के पेड़ के तले सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं। कहते हैं ऐसा करने आपके ऊपर से ग्रह बाधा भी समाप्त होती है और साथ ही काल भैरव भी प्रसन्न होते हैं।</div><div>इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए 21 बेलपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखें। उसके बाद मन ही मन ऊं जप करते हुए भगवान शिव को एक-एक करके अर्पित करते जाएं। कहते हैं ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं इस दिन काली वस्तुओं का दान करना भी शुभ माना गया है। किसी जरूरमंद को काले जूते या काले वस्त्र दान कर सकते हैं </div></div><div>मित्रों इस दिन क्या करें क्या ना करें आईये कुछ विधान जान लेते हैं</div><div>भगवान कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के अनुसार, किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। लेकिन मनोकामना पूर्ति के लिए 8 प्रमुख रूपों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये रूप…</div><div>कपाल भैरव</div><div>इस रूप में भगवान का शरीर चमकीला है, उनकी सवारी हाथी है। कपाल भैरव एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में तलवार तीसरे में शस्त्र और चौथे में पात्र पकड़े हैं। भैरव के इस रूप की पूजा अर्चना करने से कानूनी मामलों में सफलता मिलती है और फालतू की मुकदमेबाजी से छुटकारा मिलता है। अटके हुए कार्य पूर्ण होते हैं।</div><div><br /></div><div>क्रोध भैरव</div><div><br /></div><div>क्रोध भैरव गहरे नीले रंग के शरीर वाले हैं और उनकी तीन आंखें हैं। भगवान के इस रूप का वाहन गरूड़ हैं और ये दक्षिण-पश्चिम दिशा के स्वामी माने जाते हैं। क्रोध भैरव की पूजा-अर्चना करने से सभी परेशानियों और बुरे वक्त से लड़ने की क्षमता बढ़ती है</div><div>असितांग भैरव</div><div><br /></div><div>असितांग भैरव ने गले में सफेद कपालों की माला पहन रखी है और हाथ में भी एक कपाल धारण किए हैं। तीन आंखों वाले असितांग भैरव की सवारी हंस है। भगवान भैरव के इस रूप की पूजा करने से मनुष्य में कलात्मक क्षमताएं बढ़ती है</div><div>चंद भैरव</div><div><br /></div><div>इस रूप में भगवान की तीन आंखें हैं और सवारी मोर है। चंद भैरव एक हाथ में तलवार और दूसरे में पात्र, तीसरे में तीर और चौथे हाथ में धनुष लिए हुए हैं। चंद भैरव की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। हर बुरी परिस्थिति से लड़ने की क्षमता मिलती है।</div><div><br /></div><div>गुरु भैरव</div><div>गुरु भैरव हाथ में कपाल, कुल्हाड़ी, और तलवार पकड़े हुए हैं। यह भगवान का नग्न रूप है और उनकी सवारी बैल है। गुरु भैरव के शरीर पर सांप लिपटा हुआ है। गुरु भैरव की पूजा करने से अच्छी विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।</div><div>संहार भैरव</div><div><br /></div><div>संहार भैरव नग्न रूप में हैं, और उनके सिर पर कपाल स्थापित है। इनकी तीन आंखें हैं और वाहन कुत्ता है। संहार भैरव की आठ भुजाएं हैं और शरीर पर सांप लिपटा हुआ है। इसकी पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप खत्म हो जाते हैं।</div><div><br /></div><div>उन्मत भैरव</div><div><br /></div><div>उन्मत भैरव शांत स्वभाव का प्रतीक है। इनकी पूजा करने से मनुष्य की सारी नकारात्मकता और बुराइयां खत्म हो जाती हैं। भैरव के इस रूप का स्वरूप भी शांत और सुखद है। उन्मत भैरव के शरीर का रंग हल्का पीला है और उनका वाहन घोड़ा है।</div><div><br /></div><div>भीषण भैरव</div><div><br /></div><div>भीषण भैरव की पूजा करने से बुरी आत्माओं और भूत प्रेत के प्रभाव से छुटकारा मिलता है। भीषण भैरव अपने एक हाथ में कमल, दूसरे में त्रिशूल, तीसरे हाथ में तलवार और चौथे में एक पात्र पकड़े हुए हैं। भीषण भैरव का वाहन शेर है</div><div>मित्रों सामान्य गृहस्थों को भैरव की पूजा मंदिरों में ही करना चाहिए भैरव का वाहन श्वान है इसलिए भैरव अष्टमी के दिन श्वान का भी पूजन किया जाता है इस दिन श्वानों को भोजन करवाने से भैरव प्रसन्न होते हैं। भैरव अष्टमी के दिन शिव-पार्वती की कथा सुनना चाहिए। भैरव का मुख्य हथियार दंड है। इस कारण इन्हें दंडपति (दण्डपाणि) भी कहते है प्रचलन में बाबा काल भेरव और श्मशान भैरव की पुजा के सातो दिन होते हैं मुख्यत बाबा भैरव का दिन मंगलवार , बुधवार , गुरूवार शुक्रवार और रविवार है इनमें सभी दिन अष्ट भैरव के हिसाब से दिये गये है बाकी भेरव बाबा भोलेनाथ के उग्र अवतार है और बटूक बाबा सौम्य अवतार तो सोमवार और शनिवार को भी इनका दिन माना जा सकता है इन दोनों दिन इनकी पूजा करने से भूत-प्रेम बाधाएं समाप्त होती हैं। सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है</div><div>भगवान शिव का रूद्र रूप होने के कारण भैरव अष्टमी के दिन भगवान शिव का पूजन, अभिषेक करने से भैरव की भी कृपा प्राप्त होती है।</div><div>भैरव की पूजा करने से शत्रु परास्त होते हैं, संकट दूर होते हैं। भैरव के सच्चे भक्तों को सताने वालों को संसार में कहीं जगह नहीं मिलती।</div><div>सारी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भैरव अष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करने से मनोरथ साकार होते हैं।</div><div>भैरव अष्टमी के दिन भगवान भैरव को नारियल और जलेबी का भोग अर्पित करने से धन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।</div><div>भैरव अष्टमी पर भगवान भैरव को मदिर का भोग लगाने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।</div><div>इस दिन काले श्वान को ताजी बनी रोटी को घी से चुपड़कर उस पर गुड़ रखकर खिलाने से भैरव प्रसन्न होते हैं।</div><div>इस बार भैरव जयंती के दिन शनिवार भी है। इसलिए भैरव पूजन से शनि की पीड़ा भी शांत होती है</div><div>कालभैरव अष्टमी के दिन शाम के समय किसी मंदिर में जाकर भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने चौमुखा दीपक जलाएं और उनकी पूजा सच्चे मन से करें. भगवान को फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल वगैरह चीजें अर्पित करें. इसके बाद, भगवान के सामने आसन पर बैठकर कालभैरव चालीसा का पाठ जरूर करें. पूजन पूर्ण होने के बाद आरती गान अवश्य करें. साथ ही जानें-अनजाने कोई गलतियों हुई है तो उसकी क्षमा याचना मांगें. और हां मित्रों अगर आपके आस पास अगर कोई भैरव मंदिर ना हो तो पास मे किसी भी शिवमन्दिर में यह पुजा सम्पूर्ण कर सकते हैं</div><div>तंत्र साधक का मुख्य कालभैरव भाव से अपने को आत्मसात करना होता है। कोलतार से भी गहरा काला रंग, विशाल प्रलंब, स्थूल शरीर, अंगारकाय त्रिनेत्र, काले डरावने चोगेनुमा वस्त्र, रूद्राक्ष की कण्ठमाला, हाथों में लोहे का भयानक दण्ड , डमरू त्रिशूल और तलवार, गले में नाग , ब्रह्मा का पांचवां सिर , चंवर और काले कुत्ते की सवारी - यह है कालभैरव के रूप की कल्पना</div><div>अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,</div><div>भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!</div><div>भैरव अष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।</div><div>भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। </div><div>भैरव देव के मंदिर में जाकर सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, चिरौंजी, पुए और जलेबी चढ़ाकर भक्ति भाव से पूजन करें</div><div>मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महाभैरव अष्टमी कहा जाता है. महाभैरव अष्टमी के दिन किसी भैरव मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.</div><div>प्रसाद पान सुपारी दक्षिणा अर्पित करके भगवान से अपनी रक्षा और सुरक्षा की प्रार्थना करना चाहिए.</div><div>यदि कोई व्यक्ति पुलिस और प्रशासनिक मामलों में उलझा हुआ है तो इस दिन से लगातार बटुक भैरव मंत्र का जप और उनका पूजन करने से समस्या शीघ्र समाप्त हो जाती है.</div><div>यदि किसी व्यक्ति को शत्रुओं ने परेशान कर रखा है वह व्यक्ति भैरव मंदिर में जाकर पूजन अर्चन करें और बटुक भैरव मंत्र का जप अनुष्ठान करवाएं इससे उसके शत्रुओं का विनाश होता है आप स्वयं भी कर सकते हैं मंत्र जाप ,</div><div>ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा</div><div>ऊँ श्री बम बम बटुक भैरवाय नमः</div><div>यदि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से बहुत परेशान है तो किसी भी भैरव मंदिर में जाकर स्वर्ण आकर्षण भैरव स्त्रोत्र का पाठ करने से उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और कर्ज समाप्त हो जाते हैं यदि लगातार 1 वर्षं तक इस स्त्रोत्र का प्रतिदिन पाठ किया जाए तो बहुत आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं.</div><div>महा भैरव अष्टमी के दिन किसी भैरव मंदिर से हवन की भस्म लेकर किसी ताबीज में भरकर धारण करने से तंत्र मंत्र आदि की समस्या नहीं होती है.</div><div>यदि आपके पास कोई भैरव मंदिर नहीं है तो किसी शिवालय में जाकर पूजन पाठ कर सकते हैं.</div><div>कालभैरव अष्टमी को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने भगवान कालभैरव की तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा भैरव महाराज से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।</div><div>मंत्र- ‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:‘</div><div>कालभैरव अष्टमी पर किसी ऐसे भैरव मंदिर में जाएं, जहां कम ही लोग जाते हों। वहां जाकर सिंदूर व तेल से भैरव प्रतिमा को चोला चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, पुए, जलेबी आदि का भोग लगाएं। मन लगाकर पूजा करें। बाद में जलेबी आदि का प्रसाद बांट दें। याद रखिए अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।</div><div>कालभैरव अष्टमी को भगवान कालभैरव की विधि-विधान से पूजा करें और नीचे लिखे किसी भी एक मंत्र का जाप करें। कम से कम 11 माला जाप अवश्य करें।</div><div>ॐ कालभैरवाय नम:</div><div>ॐ भयहरणं च भैरव:</div><div>ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।</div><div>ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्मां</div><div>कालभैरव अष्टमी की सुबह भगवान कालभैरव की उपासना करें और शाम के समय सरसों के तेल का दीपक लगाकर समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।</div><div>कालभैरव अष्टमी पर 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही, एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।</div><div> कालभैरव अष्टमी को एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। इस क्रम को जारी रखें, लेकिन सिर्फ हफ्ते के चार दिन (रविवार, बुधवार व गुरुवार, शुक्रवार)। यही चार दिन भैरवनाथ के माने गए हैं।</div><div>अगर आप कर्ज से परेशान हैं तो कालभैरव अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें बिल्व पत्र अर्पित करें। भगवान शिव के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें।</div><div>मंत्र- ॐ ऋणमुक्तेश्वराय नम:</div><div>कालभैरव अष्टमी के एक दिन पहले उड़द की दाल के पकौड़े सरसों के तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर सुबह 6 से 7 बजे के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकलें और कुत्तों को खिला दें।</div><div> सवा किलो जलेबी भगवान भैरवनाथ को चढ़ाएं और बाद में गरीबों को प्रसाद के रूप में बांट दें। पांच नींबू भैरवजी को चढ़ाएं। किसी कोढ़ी, भिखारी को काला कंबल दान करें।</div><div>कालभैरव अष्टमी पर सरसो के तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे पकवान तलें और गरीब बस्ती में जाकर बांट दें। घर के पास स्थित किसी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।</div><div>सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरवनाथ के मंदिर में कालभैरव अष्टमी पर चढ़ाएं।</div><div>कालभैरव अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान कालभैरव के मंदिर जाएं और इमरती का भोग लगाएं। बाद में यह इमरती दान कर दें। ऐसा करने से भगवान कालभैरव प्रसन्न होते हैं।</div><div>कालभैरव अष्टमी को समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें</div><div>घर में यदि रसोई में उपयोग होने वाली कोई भी काली सामग्री जैसे तिल, दाल या फिर चाय की पत्ती बेकार हो चुकी है तो उस दिन उसे घर से बाहर फेंकने से बचाव करना चाहिए।</div><div>परिवार के सदस्यों को मूंग की दाल का सेवन करने से बचाव करना चाहिए। ध्यान रहे मूंग की दाल से बने हुए पकवान को काल भैरव को अर्पित किया जा सकता है।</div><div>भेरव अष्टमी के दिन महिलाओं को घर की सफाई का किसी भी तरह का सामान खरीदने से बचाव करना चाहिए। इन सामानों में झाड़ू पोछा फिनाइल सहित अन्य सामग्रियां शामिल है। ऐसा करने से घर में बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।</div><div>भैरव अष्टमी पर रात को घर में पूरी तरह से अंधेरा नहीं किया जाना चाहिए। खास तौर पर घर का ईशान कोण यानी कि उत्तरी पूर्वी कोना यदि उस रात अंधेरे में रहता है तो घर में वास्तु संबंधी समस्याएं सामने आने लगती हैं।</div><div>भैरव अष्टमी के दिन लोगों को और खास तौर से युवाओं को अपने बाल काटने से बचना चाहिए। यदि वे ऐसा करते हैं तो 41 दिन के भीतर उन्हें गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिरने की वजह से पूरा परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित भी हो सकता है।</div><div>भैरव पूजन के दौरान हरे रंग का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित माना गया है। वैसे तो हरे रंग का कपड़ा किसी देवताओं के लिए मान्य नहीं है पर ख्याल रखे भैरव अष्टमी के दिन हरे रंग के कपड़ों को पहनकर सूर्य की रोशनी में ना जाए।कल के दिन तो हारगिज नहीं ऐसा करने से नौकरी एवं रोजगार संबंधी क्षेत्र में विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।</div><div>घरों में खाना खाने के बाद यदि बर्तनों को साफ नहीं किया गया तो उस दिन भैरव जी को जातक नाराज कर सकते हैं। इसलिए यह ख्याल रखें रोज रात को भोजन किए हुए बर्तनों को तुरंत साफ करके रसोई में रखना चाहिए।</div><div>मान्यता है कि भैरव अष्टमी के दिन उधार दिया हुआ धन वापस नहीं आता। ऐसे में यदि कुंडली में शुक्र और बुध ग्रह कमजोर है तो उधार देने से बचना चाहिए।</div><div>अगर आप अपने आर्थिक रूप से लाभ को और अधिक बढ़ाना चाहते हैं तो आज आपको सुबह स्नान आदि के बाद भैरव जी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और उन्हें जलेबी का भोग लगाना चाहिए। साथ ही उनके मंत्र का जाप करना चाहिए। आज ऐसा करने से आपको मिलने वाले आर्थिक लाभ में तेजी से बढ़ोतरी होगी।</div><div>अगर आपको जीवन में कोई परेशानी है तो उसे अपने जीवन से दूर करने के लिये आज आपको एक सरसों के तेल में चुपड़ी हुई रोटी लेकर काले कुत्ते को डालनी चाहिए। रोटी पर तेल चुपड़ते समय भैरव का ध्यान करते हुए 5 बार मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में जो भी परेशानी हैं, वो जल्द ही दूर हो जायेंगी।</div><div>अगर आपको अपने बिजनेस पार्टनर से पूरी तरह सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जिससे आपके काम पूरे नहीं हो पा रहे हैं तो आज आपको रोटी में शक्कर मिलाकर उसका चूरमा बनाना चाहिए और उससे भैरव बाबा को भोग लगाना चाहिए। साथ ही भैरव मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप के बाद थोड़ा-सा चूरमा प्रसाद के रूप में स्वयं खा लें और बाकी प्रसाद को दूसरे लोगों में बांट दें। आज ऐसा करने से आपको पार्टनर से सहयोग मिलेगा और आपके काम भी जल्द ही पूरे होंगे।</div><div>अगर आप अपने बिजनेस को दूर शहरों या विदेशों में फैलाना चाहते हैं तो उसके लिये आज किसी भैरव मन्दिर में जाकर भैरव जी को सवा सौ ग्राम साबुत उड़द चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद उसमें से 11 उड़द के दाने गिनकर अलग निकाल लें और उन्हें एक काले कपड़े में बांधकर अपने कार्यस्थल पर तिजोरी में रख दें। साथ ही ध्यान रखें कि दानों को कपड़े में रखते समय हर दाने के साथ ये मंत्र पढ़ें। आज ऐसा करने से आपका बिजनेस दूर शहरों और विदेशों तक फैलेगा।</div><div>अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे के ऊपर किसी ने जादू-टोना करवा रखा है, जिसके असर के चलते आपका बच्चा तरक्की नहीं कर पा रहा है तो आज एक मुट्ठी काले तिल लेकर, भैरव बाबा का ध्यान करते हुए अपने बच्चे के सिर से सात बार वार दें। ध्यान रहे छ बार क्लॉक वाइज़ और एक बार एंटी क्लॉक वाइज़ वारना है। वारने के बाद उन तिलों को किसी बहते पानी के स्रोत में प्रवाहित कर दें और तिल प्रवाहित करते समय मंत्र का जाप करें। आज ऐसा करने से आपके बच्चे के सिर से जादू-टोने का असर खत्म होगा और वह तरक्की की ओर कदम बढ़ायेगा।</div><div>अगर आपको किसी प्रकार का भय बना रहता है, तो उस भय से छुटकारा पाने के लिये आज आपको भैरव जी के चरणों में एक काले रंग का धागा रखना चाहिए। उस धागे को 5 मिनट के लिये वहीं पर रखा रहने दीजिये और इस दौरान मंत्र का जाप कीजिये। 5 मिनट बाद उस धागे को वहां से उठाकर अपने दायें पैर में बांध लीजिये। आज ये उपाय करने से आपको जल्द ही भय से छुटकारा मिलेगा। </div><div>अगर आपको लगता है कि आपके घर में निगेटिविटी बहुत अधिक हो गई है, जिसकी वजह से आपके परिवार के लोगों का किसी काम में अच्छे से मन नहीं लगता, तो आज आपको मौली से एक लंबा-सा धागा निकालकर, उसमें सात गांठे लगाकर अपने घर के मेन गेट पर बांधना चाहिए। एक-एक गांठ लगाते समय मंत्र का जाप भी करें। आज ऐसा करने से आपके घर से निगेटिविटी दूर होगी और आपके परिवार के लोगों का काम में मन लगने लगेगा।</div><div>आप अपने सुख-साधनों में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो आज भैरव जी के आगे मिट्टी के दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। साथ ही भैरव जी से अपने सुख-साधनों में बढ़ोतरी के लिये प्रार्थना करनी चाहिए। आज ऐसा करने से आपके सुख-साधनों में बढ़ोतरी होगी।. </div><div>अगर आप जीवन में खुशहाली पाना चाहते हैं तो इसके लिये आज आपको किसी नदी या तालाब में स्नान करना चाहिए और उसके बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए। अगर आप किसी नदी या तालाब में न जा सकें तो घर पर ही स्नान के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर गंगा नदी का ध्यान करते हुए स्नान कर लें और उसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। आज ऐसा करने से आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।</div><div>अगर आप अपने जीवन में स्थिरता बनाये रखना चाहते हैं तो आज आपको सुबह स्नान के बाद भैरव बाबा को काले तिल अर्पित करने चाहिए। साथ ही घंटी बजाकर भैरव मंत्र बोलते हुए भगवान की पूजा करनी चाहिए। आज ऐसा करने से आपके जीवन में स्थिरता बनी रहेगी और आपके काम भी समय रहते पूरे हो जायेंगे।</div><div>अगर आप किसी बात को लेकर दुविधा में पड़े हुए हैं और आप उस दुविधा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो आज आप सात बिल्व पत्र लें और उन्हें साफ पानी से धोकर, उन पर चंदन से ‘ऊं’ लिखें। इसके बाद उन बेल पत्रों को शिवलिंग पर चढ़ा दें और हाथ जोड़कर भगवान शिव को प्रणाम करें। इसके बाद भैरव जी का ध्यान करके उनके मंत्र का जाप करें। आज के करने से आपको अपनी दुविधा से निकलने में आसानी होगी,</div><div>अगर आपके जीवनसाथी को किसी प्रकार की परेशानी बनी हुई है, जिसके कारण आप भी परेशान हैं तो आज आपको सुबह उठकर स्नान के बाद शिव जी की प्रतिमा के आगे आसन बिछाकर बैठना चाहिए और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। आज ऐसा करने से आपके जीवनसाथी और आपकी परेशानी का हल निकलेगा।</div><div>काला कुत्ता भैरव जी की सवारी है अत: इसदिन भैरव अष्टमी के दिन इसे प्रसन्न अवश्य ही करें। भैरव अष्टमी के दिन काले कुत्ते को कच्चा दूध पिलाएं, तथा जलेबी या इमरती भी अवश्य खिलाएं। यह अत्यंत चमत्कारी उपाय है इससे भैरव नाथ अति शीघ्र ही प्रसन्न होते है।</div><div>बाबा कालभैरव कुत्ते पर सवार होते हैं और बुरे कार्य करने वाले को दंडित करने के लिए एक छड़ी भी रखते हैं। भक्त बाबा कालभेरव अष्टमी की शुभ संध्या पर भगवान कालभैरव की पूजा करते हैं ताकि सफलता और अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ सभी अतीत और वर्तमान के पापों से छुटकारा पा सकें। यह भी माना जाता है कि, बाबा कालभैरव की पूजा करने से, भक्त अपने सभी ‘शनि’ और ‘राहु’ दोषों को समाप्त कर सकते हैं।</div><div><br /></div><div>काल भैरव सिद्धि मंत्र</div><div>"ह्रीं बटुकाय अपुधरायणं कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं।"</div><div>"ओम ह्रीं वम वटुकरसा आपुद्दुर्धका वतुकाया ह्रीं"</div><div>"ओम ह्रीं ह्रीं ह्रौं ह्रीं ह्रौं क्षाम क्षिप्रपलाय काल भैरवाय नमः"</div><div>मित्रों यदि आप धन संबंधित समस्या से त्रस्त है तो कालाष्टमी के दिन किसी भी भैरव मंदिर में जाएं, भैरव बाबा को चमेली का तेल चढ़ाएं और सिंदूर भी अर्पित करें. इससे धन आगमन के विभिन्न रास्ते खुलेंगे और सुख-समृद्धि का वास भी घर में वास होगा. इसके अलावा मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु आप नींबू की माला भी उन्हें अर्पित कर सकते हैं.</div><div>और मित्रों यदि आप किसी प्रकार की नकारात्मक शक्ति से आप परेशान है तो कालाष्टमी के दिन 11 रूपए या क्षमता अनुसार पैसे चढ़ाएं और काले तिल, काले उड़द व काले कपड़े मंदिर जाकर भगवान भैरव को अर्पित करें. इससे नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती है.</div><div>काल-भैरव का उपवास करने वालों को सुबह नहा-धोकर पितरों को श्राद्ध व तर्पण देने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।</div><div>व्रती को पूरे दिन उपवास करना चाहिए और रात्रि के समय धूप, दीप, धूप,काले तिल,उड़द, सरसों के तेल का दिया बनाकर भगवान काल भैरव की आरती गानी चाहिए।</div><div>मान्यता के अनुसार, भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता है इसलिए जब व्रती व्रत खोलें तो उसे अपने हाथ से कुछ पकवान बनाकर सबसे पहले कुत्ते को भोग लगाना चाहिए।</div><div>ऐसा करने से भगवान काल भैरव की कृपा आती है. पूरे मन से काल भैरव भगवान के पूजा करने पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।</div><div>कालाष्टमी को कालभैरव जयंती के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। भक्त इस दिन शिव की पूजा करने के साथ ही उनके लिए उपवास रखते हैं। यह शिव भक्तों के लिए सचमुच ही बड़ा दिन है।</div><div>मित्रों ये उपाय ऊपर भी पहले दिये जा चूके पोस्ट लम्बी होने की वजह से दुबारा दे रहे हैं ।रविवार, बुधवार या गुरुवार , शुक्रवार के दिन एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। अगर कुत्ता यह रोटी खा लें तो समझिए आपको भैरव नाथ का आशीर्वाद मिल गया। अगर कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस क्रम को जारी रखें लेकिन सिर्फ हफ्ते के इन्हीं चार दिनों में (रविवार, बुधवार या गुरुवार , शुक्रवार)। यही चार दिन भैरव नाथ के माने गए हैं। </div><div> उड़द के पकौड़े शनिवार की रात को कड़वे तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर प्रात: 6 से 7 के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकले और रास्ते में मिलने वाले पहले कुत्ते को खिलाएं। याद रखें पकौड़े डालने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें। यह प्रयोग सिर्फ रविवार के लिए हैं।</div><div>शनिवार के दिन शहर के किसी भी ऐसे भैरव नाथ जी का मंदिर खोजें जिन्हें लोगों ने पूजना लगभग छोड़ दिया हो। रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर पहुंच जाएं। मन लगाकर उनकी पूजन करें। बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-चिरौंजी का प्रसाद बांट दें। साथ लाए जलेबी, नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटे। याद रखिए कि अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।</div><div>प्रति गुरुवार शुक्रवार को कुत्ते को गुड़ खिलाएं। </div><div> रेलवे स्टेशन पर जाकर किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा की बोतल दान करें। </div><div> सवा किलो जलेबी बुधवार के दिन भैरव नाथ को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं। </div><div> शनिवार के दिन कड़वे तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध पकवान तलें और रविवार को गरीब बस्ती में जाकर बांट दें। </div><div> रविवार या शुक्रवार को किसी भी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं। </div><div> पांच नींबू, पांच गुरुवार तक भैरव जी को चढ़ाएं। </div><div> सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर में बुधवार के दिन चढ़ाएं।</div><div>काल भैरव : काल भैरव का आविर्भाव मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को प्रदोष काल में हुआ था। यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है।</div><div> </div><div>काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।। ॐ भैरवाय नम:।।</div><div><br /></div><div>बटुक भैरव : 'बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:। ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे।।'</div><div>- अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वंदित बटुक नाम से प्रसिद्ध इन भैरव देव की उपासना कल्पवृक्ष के समान फलदायी है। बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है। इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं। उक्त सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी है। यह कार्य में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। </div><div> </div><div>उक्त आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।।</div><div> </div><div>भैरव तंत्र : योग में जिसे समाधि पद कहा गया है, भैरव तंत्र में भैरव पद या भैरवी पद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने देवी के समक्ष 112 विधियों का उल्लेख किया है जिनके माध्यम से उक्त अवस्था को प्राप्त हुआ जा सकता है।</div><div>भैरव आराधना से शनि शांत : एकमात्र भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है। आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है। पुराणों के अनुसार भाद्रपद माह को भैरव पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है। उक्त माह के रविवार को बड़ा रविवार मानते हुए व्रत रखते हैं। आराधना से पूर्व जान लें कि कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं। जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें। दांत और आंत साफ रखें। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें। अपवित्रता वर्जित है।</div><div>भैरव चरित्र : भैरव के चरित्र का भयावह चित्रण कर तथा घिनौनी तांत्रिक क्रियाएं कर लोगों में उनके प्रति एक डर और उपेक्षा का भाव भरने वाले तांत्रिकों और अन्य पूजकों को भगवान भैरव माफ करें। दरअसल भैरव वैसे नहीं है जैसा कि उनका चित्रण किया गया है। वे मांस और मदिरा से दूर रहने वाले शिव और दुर्गा के भक्त हैं। उनका चरित्र बहुत ही सौम्य, सात्विक और साहसिक है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभीउनका कार्य है शिव की नगरी काशी की सुरक्षा करना और समाज के अपराधियों को पकड़कर दंड के लिए प्रस्तुत करना। जैसे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिसके पास जासूसी कुत्ता होता है। उक्त अधिकारी का जो कार्य होता है वही भगवान भैरव का कार्य है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,जय मां बाबा की 🌹🙏🏻</div><div>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻</div>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-63136168422188248512021-10-31T12:45:00.002-07:002021-10-31T12:45:42.052-07:00दिपावली के कुछ सरल उपाय<p> दीपावली पर क्या करें क्या ना करें</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivLkiTWAMZekKUkcn_7XBTmg-z5poe-PIKB4eClM840NwT1GTesi1YCt36oggEAUR6oKWLaaWxUjkUb0lbxpsVt0fFL9r3Hw8yqjdqj6PbIRiC3jlzg8IX3Uu7WDyPpPHaiMHZoA2HawQ/s1071/FB_IMG_1626196539562.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1071" data-original-width="720" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivLkiTWAMZekKUkcn_7XBTmg-z5poe-PIKB4eClM840NwT1GTesi1YCt36oggEAUR6oKWLaaWxUjkUb0lbxpsVt0fFL9r3Hw8yqjdqj6PbIRiC3jlzg8IX3Uu7WDyPpPHaiMHZoA2HawQ/w430-h640/FB_IMG_1626196539562.jpg" width="430" /></a></div><br /><p></p><p>मित्रों जैसा आप जानते हैं कि धनतेरस ,रुप चुतर्दशी और दिपावली पर कई साधानाएं और तांत्रिक टोटको द्वारा भी पुजा विधान किया जाता है कई साधक भक्त अपनी या गुरूओ के वचनों अनुसार पुजा और साधना कर्म करते हैं तो सरलीकरण विधी से आम ग्रहस्थ और साधारण इंसान भी सौम्य साधनाएं और टोटके कर सकते हैं मित्रों धनतेरस से भाई दूज तक करीब 5 दिनों तक चलने वाला दिवाली का त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या को आाता है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह त्योहार 4 नबंबर 2021 गुरुवार को मनाया जाएगा और इसके एक दिन पहले धनतेरस और एक दिन बाद भाईदूज का त्योहार रहेगा ,</p><p>मित्रों रात को 12 बजे दीपावली पूजन के बाद चूने या गेरू में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल तथा छाज (सूप) पर तिलक करें.</p><p>पूजा जप तप के दौरान दीपको से काजलो जरूर ले और दीपकों का काजल स्त्री और पुरुष अपनी आंखों पर जरूर लगाएं अपने घरो के मुख्य दरवाजो पर बाहर ॐ या स्वास्तिक जरूर बनाएं,</p><p>दीपावली के दूसरे दिन सुबह 4 बजे उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर उसे दूर फेंकने के लिए ले जाते समय ‘लक्ष्मी-लक्ष्मी आओ, दरिद्र-दरिद्र जाओ’ कहने की मान्यता है. इससे घर की दरिद्रता दूर होती है ,दिवाली में पूजा के लिए सबसे पहले पूजा का संकल्प लें,</p><p>दिवाली के दिन भगवान कुबेर, भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती की पूजा मुख्य रूप से करें</p><p>एक लकड़ी की चौकी लेकर उसमे लाल कपड़ा बिछाएं</p><p>फिर 1 मुट्ठी अनाज चौकी पर रखें और उसके ऊपर जल से भरा एक कलश रखें,</p><p>कलश में एक सुपारी, एक चांदी का सिक्का और एक फूल डालें।</p><p>आम के पत्ते कलश पर डाल कर उसके ऊपर लाल कपड़े में लपेट कर एक जटा नारियल स्थापित कर दें और उनकी प्रतिमा के समक्ष 7,11 या 21 दीपक जलाएं,</p><p>ॐ श्री श्री नमः का 11 बार या एक माला जाप करें,</p><p>श्री यंत्र की पूजा करें और इसे उत्तर पूर्व दिशा में रखें इस दिन देवी सूक्त का पाठ अवश्य करें पूजा के अंत में गणेश जी की और मां लक्ष्मी (मां लक्ष्मी को इन चीज़ों का लगाएं भोग) की आरती करें दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी को सिंघाड़ा और अनार का भोग लगाना शुभ माना जाता है।</p><p>कुछ लोग पूजा के दौरान सीताफल को रखना भी शुभ मानते है इस दिन आप पूजा में गन्ना भी रख सकते हैं। भोग के रूप में देवी लक्ष्मी को हलवा और खीर और गणेश जी को लड्डुओं का भोग लगाया जाता है, मित्रों कुछ बातों का विशेष ख्याल रखें जैसे, चटका या टूटा हुआ कांच घर में रखना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि कांच की टूटी हुई चीजों से घर में निगेटिव एनर्जी आती है ऐसे में अगर आपके घर में भी कहीं खिड़की, बल्ब या फेस मिरर का कांच टूटा हुआ या चटका भी हो तो उसे इस बार दिपावाली की सफाई में बदलवा दें,दीवार पर टांगने वाली घड़ी हो या कलाई में पहनने वाली, इसका बंद होना अशुभ माना जाता है। घड़ी को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है कहा जाता है कि घड़ी के बंद होने से किस्मत भी बंद हो जाती है। अगर आपके घर में भी बंद घड़ी पड़ी हुई है तो उसे दिवाली से पहले बाहर फेंक दें, घर में कभी भी देवी देवताओं की टूटी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए,माना जाता है कि ऐसी मूर्तियां घर में दुर्भाग्य लाती हैं ऐसे में अगर आपके घर में भी टूटी या पूरानी मूर्तियां हैं तो इस दिवाली सफाई करने के साथ ही भगवान की नई मूर्ति घर के मंदिर में स्थापित करें और पुरानी मूर्ति को कहीं विसर्जित कर दें, अगर आपने घर में फटे-पुराने जूते चप्पल को अभी तक रखा है तो दिवाली की सफाई करते समय उन्हें बाहर निकाल दें कहा जाता है कि फटे जूते और चप्पल घर में नकारात्मकता और दुर्भाग्य लाते हैं, ऐसा माना जाता है कि रसोई में कभी भी टूटे हुए बर्तन नहीं रखने चाहिए और न ही किसी को टूटे बर्तन में खाना परोसना चाहिए टूटे बर्तनों को घर में रखना अशुभ माना जाता है ऐसे बर्तनों में खाना खाने से घर में दरिद्रता बढ़ती है। तो इस दिवाली सफाई के दौरान अपने घर से टूटे या चटके हुए बर्तनों को बाहर निकाल दें नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी, इस दिन मां लक्ष्मी जी और बाबा गणेश जी की पुजा विधी के बाद आप निशाकाल को अपने आराध्य देव या देवी का जाप हवन कर सकते हैं और अपने जपे हुये मंत्रो और गुरू मंत्र का पुनश्चरण कर सकते हैं हवन जप के साथ अपनी गुरू क्रिया को भी दुहरा सकते हैं ,, अपने आस पास कोई दिव्य स्थान हो तो वहां भी इन पांच दिनों तक रोज दीपक जलाये इनके अलावा पीपल , आंवला,समी, वटवृक्ष, के जड़ों में दीपक जलाये और अपने परिवार के लिए खुशहाली की कामना करे ध्यान रहे यह सभी क्रियाएं निशाकाल में हो 🌹🙏🏻</p><p>जय मां जय हो बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻</p>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-85877512818159338002021-10-31T12:43:00.002-07:002021-10-31T12:43:35.874-07:00दिपावली पूजन मुहूर्त और दुर्लभ संयोग<p> मित्रों दिपावली सनातन धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है आईये जानते हैं इसकी पुजा विधी और मुर्हुत और पुजा कैसे करें और क्या समाग्री चाहिए,,</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivnreSglKACOUGuXtRdP4Ef16_QECcHbqKyoHMH3ntsmQZe2wpfbs-LBU6aRdpAducsvpDPSWmsiHJFRbStXP4DyYUmI_t9PWXXyT3TVRheFt1llZXh9nMaK53SuezevPL15nx4HdX5DA/s720/FB_IMG_1621316846819.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="720" data-original-width="720" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivnreSglKACOUGuXtRdP4Ef16_QECcHbqKyoHMH3ntsmQZe2wpfbs-LBU6aRdpAducsvpDPSWmsiHJFRbStXP4DyYUmI_t9PWXXyT3TVRheFt1llZXh9nMaK53SuezevPL15nx4HdX5DA/w640-h640/FB_IMG_1621316846819.jpg" width="640" /></a></div><br /><p></p><p>मित्रों कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपों का पर्व दिपावाली मनाया जाता है. मित्रों इस वर्ष गुरुवार 4 नवंबर 2021 को ये त्योहार मनाया जाएगा. दिपावाली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन करने का विधान है. इस साल एक ही राशि में चार ग्रहों के होने से दिपावाली पर दुर्लभ संयोग भी बन रहा है. आईये मित्रों वो क्या दुर्लभ सयोग है कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 4 नंवबर 2021 दिन गुरुवार को दिवाली मनाई जाएगी है. इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है. इस साल दिवाली पर दुर्लभ संयोग बन रहा है. सनातनी पंचांग और ज्योतिषाचार्या के अुनसार चार ग्रह एक ही राशि में हैं, यानि एक ही राशि में इन चारों ग्रहों की युति है. इस वजह से ये दिपावाली लोगों के लिए अत्यंत शुभ रहेगी. देवु मां लक्ष्मी और बाबा गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा और जातकों को लाभ ही लाभ होगा.तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं. लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है. ज्योतिषचार्यो के और हिन्दू शास्त्रों के अनुसार शुक्र को लग्जरी लाइफ, सुख-सुविधाओं आदि का कारक माना गया है. वहीं सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को ग्रहों का सेनापति और बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है. इसके साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. वहीं सूर्य पिता तो चंद्रमा को माता कारक माना गया है , दिवाली का पर्व आने वाला है, इस पर्व में अब कुछ ही तीन चार दिन ही शेष है और हम पोस्ट लेट करने के लिए क्षमा चाहते हैं, दिपावाली की तैयारियां सभी घरों में आरंभ हो चुकी है. दिपावाली का पर्व कार्तिक मास का प्रमुख पर्व है. दिपावाली पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है. दिपावाली पर लक्ष्मी पूजन को महत्वपूर्ण माना गया है. ये पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है. इस दिन शुभ मुहूर्त में विधि पूर्वक लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है. इस वर्ष दिपावाली के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ योग में किया जाएगा. दिवाली पूजन का महत्व दिवाली पर लक्ष्मी पूजन जीवन में आने वाली आर्थिक परेशानियों को दूर करना वाला माना गया है. शास्त्रों में लक्ष्मी जी को वैभव की देवी माना गया है. लक्ष्मी जी की कृपा से जीवन में संपन्नता आती है. कष्टों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि दिवाली की रात शुभ मुहूर्त में पूजा करने से लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्तत होती है. यही कारण है दिपावाली की पूजा का लोगों को इंतजार रहता है. </p><p>पंचांग के अनुसार दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. </p><p>सनातनी हिंदू कैंलेडर के अनुसार इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 4 नवंबर 2021 को है. इस दिन चंद्रमा का गोचर तुला राशि में होगा.</p><p>दिपावाली 2021, शुभ मुहूर्त (Dipawali 2021)</p><p>दिपावाली पर्व: 4 नवंबर, 2021, गुरुवार</p><p>अमावस्या तिथि का प्रारम्भ: 4 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से.</p><p>अमावस्या तिथि का समापन: 5 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक.</p><p>मां लक्ष्मी पूजन मुहूर्त (maa Lakshmi Puja 2021 Date)</p><p>4 नवंबर 2021, गुरुवार, शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट</p><p>अवधि: 1 घंटे 55 मिनट</p><p>प्रदोष काल: 17:34:09 से 20:10:27 तक</p><p>वृषभ काल: 18:10:29 से 20:06:20 तक</p><p>भारतीय या जगह स्थान काल दिशा के अनुसार कुछ समय आगे पीछे हो सकता है,</p><p>दीपावली 2021 शुभ मुहूर्त</p><p>दीपावली 04 नवंबर 2021, दिन गुरूवार को है।</p><p>लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त</p><p>शाम 06:10 बजे से रात्रि 08:06 बजे तक</p><p>पूजा की अवधि</p><p>01 घंटा 54 मिनट</p><p>प्रदोष काल मुहूर्त</p><p>शाम 05:34 बजे से रात्रि 08:10 बजे तक</p><p>अमावस्या तिथि प्रारंभ</p><p>04 नवबंर 2021, सुबह 06:03 बजे से</p><p>अमावस्या तिथि समाप्त</p><p>05 नवबंर 2021, 02:44 बजे</p><p>दिपावली पुजा की समाग्री और सरलीकरण पुजा विधान, समाग्री और पुजा विधान सही से पढ़कर समाग्री की व्यवस्था कर सकते हैं </p><p>एक लकड़ी की चौकी.</p><p>चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा.</p><p>देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र.</p><p>कुमकुम</p><p>चंदन</p><p>हल्दी</p><p>रोली</p><p>अक्षत</p><p>पान और सुपारी</p><p>साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ</p><p>अगरबत्ती</p><p>दीपक के लिए घी</p><p>पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक</p><p>कपास की बत्ती</p><p>पंचामृत</p><p>गंगाजल</p><p>पुष्प</p><p>फल</p><p>कलश</p><p>जल</p><p>आम के पत्ते</p><p>कपूर</p><p>कलाव</p><p>साबुत गेहूं के दाने</p><p>दूर्वा घास</p><p>जनेऊ</p><p>धूप</p><p>एक छोटी झाड़ू</p><p>दक्षिणा (नोट और सिक्के)</p><p>आरती थाली</p><p>मित्रों दिपावाली की सफाई बहुत जरूरी है. अपने घर के हर कोने को साफ करने के बाद गंगाजल गोमुत्र जरूर छिड़कें हो सके तो इनके साथ बाबा हनुमान जी का चरणामृत भी मिला सकते हैं या किसी तीर्थ स्थान का या किसी सिद्ध पीठ का चरणामृत भी मिला सकते हैं नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,</p><p>लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं. बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें,</p><p>कलश (चांदी/कांस्य का बर्तन) को अनाज के बीच में रखें.</p><p>कलश में 75% पानी भरकर एक सुपारी (सुपारी), गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें.</p><p>कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें.</p><p>केंद्र में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में भगवान गणेश की मूर्ति रखें.</p><p>एक छोटी थाली लें और चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं,</p><p>हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें.</p><p>अब अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें साधक या भक्त अपने माला कवच कडे भी रख सकते हैं ,</p><p>अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं. कलश पर भी तिलक लगाएं.</p><p>अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं. पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें.</p><p>अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें.</p><p>हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ा दें.</p><p>लक्ष्मीजी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं.</p><p>इसे फिर से पानी से स्नान कराएं, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें.</p><p>मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें. माला को देवी के गले में लगाएं. अगरबत्ती जलाएं.</p><p>नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें.</p><p>देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें.</p><p>थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें.</p><p>#विशेष,,</p><p>दिपावाली पर ध्यान रखें ये खास बातें</p><p>लक्ष्मी पूजन की सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.</p><p>मां लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय हैं. फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं. इनका भोग जरूर लगाएं सुगंध में केवड़ा गुलाब, चंदन के इत्र का इस्तेमाल महालक्ष्मी पूजन में जरूर करें. अनाज में चावल और मिठाई में घर में शुद्ध घी से बनी केसर की मिठाई या हलवा नैवेद्य में जरूर रखें. व्यावसायिक प्रतिष्ठान और गद्दी की भी विधि पूर्वक पूजा करें. लक्ष्मी पूजन रात के 12 बजे करने का विशेष महत्व होता है. धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना है तो दीयों के प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल के तेल का इस्तेमाल करें. देरे के लिए क्षमा मित्रों नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर,,</p><p>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻</p>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-29441209975974494972021-10-31T12:40:00.001-07:002021-10-31T12:40:17.683-07:00धनतेरस का पुजा विधान कैसे करें<p> जय मां बाबा की मित्रों इस बार कुछ लेट पोस्ट कर रहे हैं सनातन धर्म में दिपावली का बहुत बड़ा महत्व होता है पर इस से दो दिन में पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में धनतेरस और दीपावली दोनों ही आती है इस बार धनतेरस मंगलवार 2 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा,<br /><br /></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivVR6axX-6xkhSLhJ4bYge9BBkMHGGJDR_lWWquHfoMw7YB04-VqpS1jathFm1tdMyw49Wkx02Zb9pA0k1lRllekrhCutb53nL37M4zhBoh2xFEfyZZGLUSUZoXgiGsfRziRo9rqwmu3A/s1149/FB_IMG_1628574544439.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1149" data-original-width="720" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivVR6axX-6xkhSLhJ4bYge9BBkMHGGJDR_lWWquHfoMw7YB04-VqpS1jathFm1tdMyw49Wkx02Zb9pA0k1lRllekrhCutb53nL37M4zhBoh2xFEfyZZGLUSUZoXgiGsfRziRo9rqwmu3A/w402-h640/FB_IMG_1628574544439.jpg" width="402" /></a></div><br /><p></p><p>मित्रों सनातन धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब प्रभु धन्वंतरि प्रकट हुए थे तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है इस तिथि को धन्वंतरि जयंती या धन त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं इस दिन बर्तन (पीतल चांदी सोना और ताम्बे के)और गहने आदि की खरीदारी करना बेहद शुभ होता है मित्रों इस दिन भी क्यों होती है महालक्ष्मी की पूजा- कहते हैं कि धनतेरस के दिन प्रभु धन्वंतरि जी और मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती है इस दिन प्रभु कुबेर जी की पूजा की भी विधान है और इसी दिन से आप छतीस यक्षिणीयों में से किसी भी यक्षिणी की साधना शुरू कर सकते हैं क्योंकि प्रभु कुबेर जी को यक्षराज भी कहां जाता है यानि अधिपति देवता,</p><p>मित्रों आईये जानते हैं धनतेरस 2021 शुभ मुहूर्त- और पुजा विधान</p><p>धनतेरस तिथि 2021- 2 नवंबर, मंगलवार</p><p>धन त्रयोदशी पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजे तक।</p><p>प्रदोष काल- शाम 05:39 से 20:14 बजे तक।</p><p>वृषभ काल- शाम 06:51 से 20:47 तक।</p><p>धनतेरस पूजा विधि-</p><p>1. सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं</p><p>2. अब गंगाजल छिड़कर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें</p><p>3. भगवान के सामने देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं</p><p>4. अब देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें</p><p>5. अब आपने इस दिन जिस भी धातु या फिर बर्तन अथवा ज्वेलरी की खरीदारी की है, उसे चौकी पर रखें</p><p>6. लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें</p><p>7. धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग भी लगाएं</p><p>धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. पूजा के समय घी का दीपक जलाएं. कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं. पूजा करते समय “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” मंत्र का जाप करें. फिर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें. और मिट्टी का दीपक जलाएं. माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाएं,</p><p>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻</p>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-66242139327718828092021-10-31T12:35:00.002-07:002021-10-31T12:35:32.586-07:00धनतेरस पर क्या करें क्या ना करें,<p> मित्रों धनतेरस पर क्या करें क्या ना करें उपाय और टोटके,</p><p>मित्रों इस धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग ब</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjE-sNSmKdI0sA5pPUM1IHjhdmJkf3CEUKApK9hNSrK6s7N_DXmIN8Kq7RXs69VIGd9MhIzU33GMvk93wDKFDCXOharUR49tZeUetRHEJxHS5mSpxStxXkHyIw2_oLBYTZ0RRVRYip5DTI/s1015/FB_IMG_1631209810319.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1015" data-original-width="720" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjE-sNSmKdI0sA5pPUM1IHjhdmJkf3CEUKApK9hNSrK6s7N_DXmIN8Kq7RXs69VIGd9MhIzU33GMvk93wDKFDCXOharUR49tZeUetRHEJxHS5mSpxStxXkHyIw2_oLBYTZ0RRVRYip5DTI/w454-h640/FB_IMG_1631209810319.jpg" width="454" /></a></div><br />न रहा है ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि इस योग में जो भी कार्य करते हैं, उसका तिगुना फल प्राप्त होता है इसलिए इस दिन कोई भी बुरा कार्य करने से बचना चाहिए वहीं इस दिन यदि शुभ कार्य करते हैं तो उसका भी तीन गुना फल प्राप्त होगा इसलिए इस दिन आप धन का निवेश करके लाभ कमा सकते है शेयर बाजार में निवेश करके भी इस दौरान लाभ अर्जित कर पाएंगे स्वर्ण और चांदी धातु में निवेश करना भी शुभ होगा, इस धनतेरस के दिन एक अन्य शुभ संयोग 3 ग्रहों ने मिलकर बनाया है सूर्य, मंगल और बुध ग्रह धनतेरस के दिन तुला राशि में गोचर करेंगे बुध और मंगल मिलकर एक धन योग का निर्माण करते हैं, वहीं सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण होगा इस योग को राजयोग की श्रेणी में भी रखा गया है। वहीं यह योग तुला राशि में बन रहा है, जो व्यापार की कारक राशि मानी जाती है मंगल-बुध की युति को व्यापार के लिए बहुत शुभ माना जाता है इसलिए कारोबारी इस दिन निवेश करके या नयी योजनाओं को लागू करके आने वाले समय में आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं, मित्रों इस धनतेरस पर भौम प्रदोष व्रत भी है, इस दिन भगवान शिव और हनुमानजी की पूजा आराधना करना भी बहुत शुभ माना जाता है भौम प्रदोष व्रत के साथ धनतेरस के दिन 11 बजकर 31 मिनट के बाद चतुर्दशी तिथि है माना जाता है कि चतुर्दशी तिथि को ही हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए धनतेरस पर इसे भी शुभ संयोग माना जा रहा है हालांकि हनुमान जयंती 3 तारीख को मनाई जाएगी क्योंकि 3 तारीख को 9 बजे के बाद से चतुर्दशी तिथि लग रही है हालांकि सूर्योदय काल में चतुर्दशी तिथि नहीं होने के कारण इस बार चतुर्दशी तिथि का क्षय हो गया है धनतेरस पर बुध संक्रांति<p></p><p>धनतेरस के दिन बुध ग्रह का गोचर तुला राशि में होने वाला है, इसलिए इस दिन को बुध संक्रांति के रूप में भी जाना जा रहा है। बुध को ज्योतिष विज्ञान में व्यापार और बुद्धि का कारक ग्रह माना जाता है वहीं तुला राशि व्यापार और कारोबार से संबंधित राशि मानी गई हैं इसलिए धनतेरस के दिन बुध के गोचर को कारोबारियों के लिए बहुत शुभ माना जा रहा है,</p><p>इस दिन क्या करे क्या ना करें</p><p>नहीं तो हो सकता है नुकसान</p><p>धनतेरस पर बन रहे इन शुभ संयोगों में अगर निवेश करें या नई योजनाएं बनाएंगे तो फायदा मिल सकता है इसके साथ ही इस दिन दान पुण्य करने से भी सकारात्मक फल मिल सकते हैं लेकिन गलती से भी आर्थिक मामलों में कोई गलत निर्णय न लें नहीं तो नुकसान भी हो सकता है</p><p>मित्रों इस दिन उपवास रहकर यमराज की कथा का श्रवण भी करते हैं। आज से ही तीन दिन तक चलने वाला गो-त्रिरात्र व्रत भी शुरू होता है,</p><p>1 ,इस दिन धन्वंतरि जी का पूजन करें,</p><p> 2, नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें,</p><p>3,सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें,</p><p> 4,मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं,</p><p>5, यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं</p><p> 6, हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें</p><p> 7, कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआं, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएं,</p><p> 8,कुबेर पूजन करें। शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गादी बिछाएं अथवा पुरानी गादी को ही साफ कर पुनः स्थापित करें। पश्चात नवीन वस्त्र बिछाएं,</p><p> 9,सायंकाल पश्चात तेरह दीपक प्रज्वलित कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करें,</p><p> 10,निम्न ध्यान मंत्र बोलकर भगवान कुबेर पर फूल चढ़ाएं -</p><p> श्रेष्ठ विमान पर विराजमान, गरुड़मणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा एवं वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत तुंदिल शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र निधीश्वर कुबेर का मैं ध्यान करता हूं,</p><p> इसके पश्चात निम्न मंत्र द्वारा चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें -</p><p> 'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये </p><p>धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।' </p><p> इसके पश्चात कपूर से आरती उतारकर मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें,</p><p> 11,यम के निमित्त दीपदान करें,</p><p> 12,तेरस के सायंकाल किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें</p><p> 13,पश्चात गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें-</p><p> 'मृत्युना दंडपाशाभ्याम् कालेन श्यामया सह। </p><p>त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रयतां मम। </p><p> अब उन दीपकों से यम की प्रसन्नता के लिए सार्वजनिक स्थलों को प्रकाशित करें</p><p>14,धनतेरस या दीपावली की शाम को मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और उसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में सात लक्ष्मीकारक कौडिय़ां रखें, आधी रात के बाद इन कौडिय़ों को घर के किसी कोने में गाड़ दें इस प्रयोग से शीघ्र ही आर्थिक उन्नति होने के योग बनेंगे</p><p>14, धन लाभ चाहने वाले लोगों के लिए कुबेर यंत्र मंत्र अत्यन्त सफलतादायक है, एक बार फिर से देख लिजिए धनतेरस या दीपावली के दिन बिल्व-वृक्ष के नीचे बैठकर इस यंत्र को सामने रखकर कुबेर मंत्र को शुद्धता पूर्वक जाप करने से यंत्र सिद्ध होता है तथा यंत्र सिद्ध होने के पश्चात इसे गल्ले या तिजोरी में स्थापित किया जाता है। इसके स्थापना के पश्चात् दरिद्रता का नाश होकर, प्रचुर धन व यश की प्राप्ति होती हैमंत्रऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहित दापय स्वाहा</p><p>16, धनतेरस या दीपावली पर महालक्ष्मी यंत्र का पूजन कर विधि-विधान पूर्वक इसकी स्थापना करें यह यंत्र धन वृद्धि के लिए अधिक उपयोगी माना गया है। कम समय में ज्यादा धन वृद्धि के लिए यह यंत्र अत्यन्त उपयोगी है इस यंत्र का प्रयोग दरिद्रता का नाश करता है यह स्वर्ण वर्षा करने वाला यंत्र कहा गया है इसकी कृपा से गरीब व्यक्ति भी एकाएक अमीर बन सकता है</p><p>17, पुराने चांदी के सिक्के और रुपयों के साथ कौड़ी रखकर उनका लक्ष्मी पूजन के समय केसर और हल्दी से पूजन करें पूजा के बाद इन्हे तिजोरी में रख दें इस उपाय से बरकत बढ़ती है,</p><p>18, धनतेरस या दीपावली की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कामों से निपट कर किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और मां लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करें और सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं मां लक्ष्मी से धन संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। कुछ ही समय में आपकी समस्या का समाधान हो सकता है,</p><p>19,धनतेरस या दीपावली की शाम को घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें, साथ ही दीए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें, इस उपाय से भी धन का आगमन होने लगता है,</p><p>21, धनतेरस या दीपावली को विधिवत पूजा के बाद चांदी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखना चाहिए, इसके बाद प्रतिदिन इनकी पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है,</p><p>21, श्रीकनकधारा धन प्राप्ति व दरिद्रता दूर करने के लिए अचूक यंत्र है इसकी पूजा से हर मनचाहा काम हो जाता है यह यंत्र अष्टसिद्धि व नवनिधियों को देने वाला है इसका पूजन व स्थापना भी धनतेरस या दीपावली के दिन करें,और </p><p>नमक : धनतेरस पर नमक का नया पैकेट खरीदें। खाना बनाने में नया नमक ही प्रयोग करें। इससे धन की आवक में वृद्धि होगी। घर के उत्तर पूर्व कोने में थोड़ा सा नमक कटोरी अथवा छोटी डिब्बी में डालकर रख सकते हैं। इससे घर की नकारात्मकता खत्म होगी और धनागमन के साधन बनने लगेंगे।</p><p>साबुत धनिया : धनतेरस के दिन साबुत धनिया खरीदें। पूरी रात लक्ष्मी जी के सामने साबुत धनिया रखा रहने दें। अगले दिन प्रातः साबुत धनिए को गमले में बो दें। यह जब उगेगा तो हमारी आर्थिक स्थिति का संकेत देगा। अगर धनिए से हरा-भरा स्वस्थ पौधा निकले तो आर्थिक स्थिति सुदृढ़ रहती है। अगर धनिए का पौधा पतला है तो सामान्य आय होती है। पीला व बीमार पौधा निकले या पौधा नहीं निकले तो आर्थिक परेशानियां आती हैं। </p><p>कौड़ी : धनतेरस के दिन कौड़ी खरीद कर घर लाएं और अपार धन प्राप्ति हेतु धनतेरस की रात्रि उनका षडोषोपचार पूजन कर केसर से रंगकर कौड़ियां पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। आश्चर्यजनक रूप से घर में धन का आगमन होगा, कमल गट्टे : घी में कमल गट्टे मिलाकर लक्ष्मी को प्रसाद चढ़ाने से व्यक्ति राजा जैसा जीवन जीता है। इसके अतिरिक्त 108 कमल गट्टों की माला लक्ष्मी जी पर चढ़ाने से व्यक्ति को स्थिर लक्ष्मी प्राप्त होती है। धन और बरकत के लिए कमल गट्टे की माला घर में रखें।गांठ वाली पीली हल्दी : धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त देखकर बाजार से गांठ वाली पीली हल्दी अथवा काली हल्दी को घर लाएं। इस हल्दी को कोरे कपड़े पर रखकर स्थापित करें तथा षडोशपचार से पूजन करें।मिट्टी के तीन बड़े दीपक भी जरूर खरीदें. इन्हीं के प्रयोग से दिवाली की पूजा होगी. एक बड़ा मुख्य दीपक होगा जो मां लक्ष्मी को समर्पित होगा. दूसरा बड़ा सरसों के तेल का दीपक मां काली के लिए होगा. जबकि तीसरा दीपक तिरछा करके सरसों के तेल वाले दीपक के ऊपर रखा जाएगा, ताकि उसमें रात भर काजल बन सके.गोमती चक्र एक विशेष प्रकार का पत्थर है, जिसके एक तरफ चक्र की तरह आकृति बनी होती है. यह कई रंगों का होता है. इसमें सफेद रंग का गोमती चक्र सबसे महत्वपूर्ण है. यह रत्न की तरह अंगूठी में भी पहना जाता है. धनतेरस पर कम से कम पांच गोमती चक्र खरीदें. दिवाली के दिन गोमती चक्र मां लक्ष्मी को अर्पित किया जाएगा. इसके बाद अगले दिन उसे धन के स्थान पर रख दें.कौड़ी एक समुद्री जीव का एक खोल है. धन प्राप्ति के लिए और धन के रूप में इसका प्रयोग प्राचीन काल से होता रहा है. धनतेरस पर कम से कम पांच कौड़ी जरूर खरीदें. दिवाली के दिन इन कौड़ियों से विशेष पूजा करें. इससे अविवाहितों का विवाह होगा और कर्ज की समस्या से मुक्ति मिलेगी.झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. धनतेरस पर दो झाड़ू जरूर खरीदें. इनका प्रयोग दिवाली की पूजा के बाद अगले दिन से करें. पुरानी झाड़ू को दिवाली के अगले दिन घर से बाहर कर दें. धनतेरस पर झाड़ू खरीदने से वर्ष भर स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा. घर से पुरानी झाड़ू निकाल देने से नकारात्मक ऊर्जा निकल जाएगी.इस दिन धनिया के बीज खरीदने की भी परंपरा होती है. धनतेरस पर धनिया खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. इसे समृद्धि का प्रतीक बताया गया है. लक्ष्मी पूजा के समय धनिया के बीज लक्ष्मी मां को चढ़ाएं और पूजा के बाद किसी बर्तन या बगीचे में धनिया के बीज बो दें. कुछ बीज गोमती चक्र के साथ अपनी तिजोरी में रखें.धनतेरस के दिन विवाहित महिलाओं को सोलह श्रृंगार का तोहफा देना शुभ माना जाता है. इसके अलावा लाल रंग की साड़ी और सिंदूर देना भी अच्छा माना जाता है. इससे भी लक्ष्मी मां प्रसन्न होती हैं.</p><p>और अब इस दिन क्या नहीं करना चाहिए,</p><p>सनातन धर्म शास्त्र के और सनातन धर्म के जानकारो के अनुसार,जो नहीं करना चाहिए,</p><p>स्टील से बनी चीजें- धनतेरस के दिन बहुत से लोग स्टील के बर्तन घर ले आते हैं, जबकि इन्हें खरीदने से बचना चाहिए. स्टील शुद्ध धातु नहीं है. इस पर राहु का प्रभाव भी ज्यादा होता है. आपको सिर्फ प्राकृतिक धातुओं की ही खरीदारी करनी चाहिए. मानव निर्मित धातु में से केवल पीतल खरीदा जा सकता है.</p><p>एल्यूमिनियम का सामान- धनतेरस पर कुछ लोग एल्यूमिनियम के बर्तन या सामान भी खरीद लेते हैं. इस धातु पर भी राहु का प्रभाव अधिक होता है. एल्यूमिनियम को दुर्भाग्य का सूचक माना गया है. त्योहार पर एल्यूमिनियम की कोई भी नई चीज घर में लाने से बचें.</p><p>लोहे की वस्तुएं- मित्रों ज्योतिष शास्त्र अनुसार, लोहे को शनिदेव का कारक माना जाता है. इसलिए लोहे से बनी चीजों को धनतेरस पर भूलकर भी खरीदने की गलती न करें. ऐसा करने से त्योहार पर धन कुबेर की कृपा नहीं होती है. नुकीली या धारदार चीजें- धनतेरस के दिन धारदार वस्तुएं खरीदने से बचें. इस दिन चाकू, कैंची, पिन, सूई या कोई धारदार सामान खरीदने से सख्त परहेज करना चाहिए. धनतेरस पर इन चीजों को खरीदना शुभ नहीं माना जाता है. प्लास्टिक का सामान- धनतेरस पर कुछ लोग प्लास्टिक की बनी चीजें घर ले आते हैं. बता दें कि प्लास्टिक बरकत नहीं देता है. इसलिए धनतेरस पर प्लास्टिक से बना किसी भी तरह का सामान घर न लेकर आएं. चीनी मिट्टी के बर्तन- धनतेरस पर सेरामिक (चीनी मिट्टी) से बने बर्तन या गुलदस्ता आदि खरीदना से बचना चाहिए. इन चीजों में स्थायित्व नहीं रहता है, जिससे घर में बरकत की कमी रहती है. इसलिए सेरामिक से बनी चीजें बिल्कुल न खरीदें. कांच के बर्तन- धनतेरस पर कुछ लोग कांच के बर्तन या दूसरी चीजें खरीदते हैं. कांच का संबंध राहु से माना जाता है, इसलिए धनतेरस के दिन इसे खरीदने से बचना चाहिए. इस दिन कांच की चीजों का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए. काले रंग की चीजें- धनतेरस के दिन काले रंग की चीजों को घर लाने से बचना चाहिए. धनतेरस एक बहुत ही शुभ दिन है, जबकि काला रंग हमेशा से दुर्भाग्य का प्रतीक माना गया है. इसलिए धनतेरस पर काले रंग की चीजें खरीदने से बचें. खाली बर्तन घर ना लाएं- धनतेरस के दिन यदि आप कोई बर्तन या इस्तेमाल करने का सामान खरीदने की योजना बना रहे हैं तो ध्यान रखें कि उसे घर में खाली न लेकर आएं. घर में बर्तन लाने से पहले इसे पानी, चावल या किसी दूसरी सामग्री से भर लें.</p><p>मिलावटी चीजें- धनतेरस के दिन यदि आप तेल या घी जैसी चीजें खरीदने जा रहे हैं तो थोड़ा सतर्क रहिए. ऐसी चीजों में मिलावट हो सकती है और इस दिन अशुद्ध चीजें खरीदने से बचना चाहिए. धनतेरस पर अशुद्ध तेल या घी के दीपक ना जलाएं.</p>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-26386885562498893442021-09-09T01:12:00.003-07:002021-09-09T01:12:58.055-07:00शारदीय नवरात्रि कब से है और क्या करना चाहिए??????<p> शारदीय नवरात्रि कब से है और क्या करना चाहिए??????</p><div><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvCI80rkalYmhLLifBxhVXR6g91tIfo9QEBXIQ1t4Y4qBZT2RSUxYpKqseLSCE-fCSBu-ElnyjZDdgAVbEkqNuR2mUYQCdNR-hOx2kZDWXC71QY3YnLlUTHYLQqjphjjF0WulIPc6h7Us6/s900/FB_IMG_1630448373034.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="900" data-original-width="720" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvCI80rkalYmhLLifBxhVXR6g91tIfo9QEBXIQ1t4Y4qBZT2RSUxYpKqseLSCE-fCSBu-ElnyjZDdgAVbEkqNuR2mUYQCdNR-hOx2kZDWXC71QY3YnLlUTHYLQqjphjjF0WulIPc6h7Us6/w512-h640/FB_IMG_1630448373034.jpg" width="512" /></a></div><br /><div><br /></div><div><br /></div><div>मित्रों जैसा हमने कई बार नवरात्रि के बारे में जानकारी दें चूके है कि हिंदी पंचाग के अनुसार साल में नवरात्रि 4 बार मनाई जाती है. दो बार गुप्त नवरात्रि और दो नवरात्रि को मुख्य रूप से मनाया जाता है. इसमें चैत्र और शारदीय मुख्य नवरात्रि हैं, जिसे देशभर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. नवरात्रि का मतलब है नौ रातें. नौ दिन तक चलने वाले शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं, नवरात्रि के दिनों को काफी पवित्र माना जाता है. इन दिनों में कोई भी शुभ काम बिना पंडित से सुझाए किए जा सकते हैं. लेकिन अगर सभी मुर्हत से ज्योतिषचार्य या किसी जानकार से सलाह लेकर किया जाये तो बहुत अच्छा है ,इस साल 2021 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार से होकर 15 अक्टूबर, 2021 शुक्रवार तक है. बता दें कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. पुराणों में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. तभी पुरा भारत वर्ष और विदेशों बसे साधक संत या सनातनियों को हर नवरात्रि का इंतजार बेसब्री से रहता है ,नवरात्रि मां दूर्गा की उपासना का त्योहार है, इसमें आप अपने आराध्य देव या देवी की पुजा अर्चना साधना सिद्धि भी कर सकते हैं पर इनको देवी मां महादुर्गो ,यानि नवदुर्गा, सिद्ध विधा और अष्टलक्ष्मी यानि देवी स्वरूप की पुजा की जाती है जहां सनातन धर्म में इसे नवरात्रि कहा जाता है, वहीं बंगाली धर्म में ये नौ दिन दूर्गा जी की पूजा की जाती है. प्रथम दिन उनकी स्थापना और समापन पर विसर्जन किया जाता है. हर साल पितृर श्राद्ध के बाद ही नवरात्रि की शुरुआत होती है. सब जगह वातावरण भक्तिमय हो जाता है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में हर दिन अलग-अलग देवी को समर्पित है. शुरुआत के तीन दिनों में मां दुर्गा की शक्ति और ऊर्जा की पूजा की जाती है. इसके बाद के तीन दिन यानी चौथा, पांचवा और छठे दिन जीवन में शांति देने वाली माता लक्ष्मी जी को पूजा जाती है. सातवें दिन कला और ज्ञान की देवी मां महासरस्वती की पूजा की जाती है. वहीं आठवां दिन देवी महागौरी को समर्पित होता है. इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है. आखिरी दिन यानी नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है. मित्रों प्राचीन मान्यता के अनुसार नवरात्रि में 9 दिनों तक माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना करने से जीवन में ऋद्धि-सिद्धि ,सुख- शांति, मान-सम्मान, यश और समृद्धि की प्राप्ति शीघ्र ही होती है। माता दुर्गा सनातन धर्म में आदिशक्ति के रूप में सुप्रतिष्ठित है तथा माता शीघ्र फल प्रदान करनेवाली देवी के रूप में लोक में प्रसिद्ध है। देवीभागवत पुराण के अनुसार आश्विन मास में माता की पूजा-अर्चना वा नवरात्र व्रत करने से मनुष्य पर देवी दुर्गा की कृपा सम्पूर्ण वर्ष बनी रहती है और मनुष्य का कल्याण होता है,</div><div>कलश स्थापना का महत्व का महत्व शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि का पहला दिन बहुत महत्वपूर्ण है. प्रतिपदा तिथि यानी नवरात्रि के पहले दिन ही कलश की स्थापना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि कलश को भगवान विष्णु का और रूद का रूप माना जाता है. इसलिए नवरात्रि पूजा से पहले घटस्थापना यानी कलश की स्थापना की जाती है. ताकि पुजा साधना सिद्धि सफलता पुर्वक की जा सके ,जो नये साधक है या जो अनजान हैं उनके लिए कलश स्थापना की विधि ,कलश स्थापित करने के लिए सवेरे उठकर स्नान करके साफ कपड़ें पहन लें. मंदिर की साफ-सफाई करके एक सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं. इसके बाद उसके ऊपर एक चावल की ढेरी बनाएं. एक मिट्टी के बर्तन में थोड़े से जौ बोएं और इसका ऊपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं, कलावा बांधे. एक नारियल लेकर उसके ऊपर चुन्नी लपेटें और कलावे से बांधकर कलश के ऊपर स्थापित करें. कलश के अंदर एक साबूत सुपारी, अक्षत और सिक्का डालें. अशोक के पत्ते कलश के ऊपर रखकर नारियल रख दें. नारियल रखते हुए मां दुर्गा का आवाह्न करना न भूलें. अब दीप जलाकर कलश की पूजा करें. स्थापना के समय आप सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी किसी भी कलश का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसा आपने पास उपलब्ध हो मित्रों यथा शक्ति यथा भक्ति हमेशा ध्यान रखें, और ध्यान रहे मित्रों इस बार मां की सवारी इस</div><div>नवरात्रि के पर्व में माता की सवारी का विशेष महत्व बताया गया है. माता की सवारी नवरात्रि के प्रथम दिन से ज्ञात की जाती है. इस बारे में शास्त्रों में भी वर्णन मिलता है. माता की सवारी के बारे में देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है.</div><div>शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। </div><div>गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥</div><div>देवी भाग्वत पुराण के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो तो इसका अर्थ है कि माता हाथी पर सवार होकर आएंगी. शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. इसके साथ जब गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का पर्व आरंभ हो तो इसका अर्थ ये है कि माता डोली पर सवार होकर आएंगी. इस बार शरद नवरात्रि का पर्व गुरुवार से आरंभ हो रहा है. इसका अर्थ ये है कि इस बार माता 'डोली' पर सवार होकर आएंगी.</div><div>नवरात्रि 2021 </div><div>नवरात्रि प्रारंभ- 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार</div><div>नवरात्रि नवमी तिथि- 14 अक्टूबर 2021, गुरुवार</div><div>नवरात्रि दशमी तिथि- 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार</div><div>घटस्थापना तिथि- 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार</div><div>कलश स्थापना या घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त क्या है? </div><div>वो भी जान लिजिए, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी जय मां बाबा की, </div><div>सुबह 6.17 से लेकर 7.07 तक है. घट स्थापना के शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 50 मिनट हैं. अभिजीत मुहूर्त 11.45 ए एम से 12.32 पी एम तक रहेगा.</div><div>पूजा कलश (घट)स्थापना 2021</div><div><br /></div><div>घटस्थापना तिथि: - 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार को जैसा ऊपर बताया गया है </div><div>शरद नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है जो चंद्रमा का प्रतीक हैं मां शैलपुत्री की पूजा करने से सभी बुरे प्रभाव और शगुन दूर होते हैं। इस दिन भक्तों को पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए</div><div>द्वितीया तिथि: - 8 अक्टूबर 2021, शुक्रवार</div><div>मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी है और शरद नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को प्रदर्शित करती हैं और जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा सच्चे दिल से करता है उसके सभी दुख, दर्द और तकलीफें दूर हो जाती हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हरे रंग के कपड़े पहनें</div><div>तृतीया तिथि: - 9 अक्टूबर 2021, शनिवार</div><div>नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है जो शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा करने से शक्ति का संचार होता है तथा हर तरह के भय दूर हो जाते हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा में ग्रे रंग का कपड़ा पहनें</div><div>चतुर्थी तिथि: - 9 अक्टूबर 2021, शनिवार</div><div>शरद नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है जो सूर्य देव को प्रदर्शित करती हैं। चतुर्थी तिथि पर संतरे रंग का कपड़ा पहनना शुभ माना जाता है। मां कुष्मांडा की पूजा करने से भविष्य में आने वाली सभी विपत्तियां दूर होती हैं।</div><div>पंचमी तिथि: - 10 अक्टूबर 2021, रविवार</div><div>बुध ग्रह को नियंत्रित करने वाली माता मां स्कंदमाता की पूजा शरद नवरात्रि के पांचवें दिन होती है। जो भक्त मां स्कंदमाता की पूजा करता है उसके ऊपर मां की विशेष कृपा बरसती है। पंचमी तिथि पर सफेद रंग का कपड़ा पहना अनुकूल माना जाता है।</div><div>षष्ठी तिथि: - 11 अक्टूबर 2021, सोमवार</div><div>शरद नवरात्रि की षष्ठी तिथि मां कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन लाल कपड़े पहनकर मां कात्यायनी की पूजा करें जो बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। मां कात्यायनी की पूजा करने से हिम्मत और शक्ति में वृद्धि होती है।</div><div>सप्तमी तिथि: - 12 अक्टूबर 2021, मंगलवार</div><div>इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है जो शनि ग्रह का प्रतीक हैं। मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों में वीरता का संचार होता है। सप्तमी तिथि पर आपको रॉयल ब्लू रंग के कपड़े पहनने चाहिए।</div><div>अष्टमी तिथि: - 13 अक्टूबर 2021, बुधवार</div><div>अष्टमी तिथि पर महागौरी की पूजा करने का विधान है। इस दिन गुलाबी रंग का कपड़ा पहनना मंगलमय माना जाता है। माता महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं और अपने भक्तों के जीवन से सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती हैं।</div><div>नवमी तिथि: - 14 अक्टूबर 2021, गुरुवार</div><div>मां सिद्धिदात्री राहु ग्रह को प्रदर्शित करते हैं जिनकी पूजा करने से बुद्धिमता और ज्ञान का संचार होता है। नवमी तिथि पर आपको पर्पल रंग का कपड़ा पहनना चाहिए।</div><div>दशमी तिथि: - 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार</div><div>इस दिन शरद नवरात्रि का पारण होगा और मां दुर्गा को विसर्जित किया जाएगा। शरद दशमी तिथि को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी जय मां बाबा की मित्रों,,🌹🙏🏻🌹</div><div>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻🌹</div>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-14245456559735304242021-07-13T10:12:00.002-07:002021-07-13T10:12:42.318-07:00 भैरव शाबर मन्त्र :-<p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBhwUAOYmYZv_D6lkgSJvNmrbZ9e4QqsmQ5UI7a87NiLNrEbn9uxSyAFEObEqm8bWI4kNxeN3PjCVjN-0y6ZHnwAArKZMEvnMZpJNkh3UV4Rqc6SUdPBTxCQo0mH_IPW3Z9NdidW-xt8lq/s1040/sabar3.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1040" data-original-width="780" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBhwUAOYmYZv_D6lkgSJvNmrbZ9e4QqsmQ5UI7a87NiLNrEbn9uxSyAFEObEqm8bWI4kNxeN3PjCVjN-0y6ZHnwAArKZMEvnMZpJNkh3UV4Rqc6SUdPBTxCQo0mH_IPW3Z9NdidW-xt8lq/w240-h320/sabar3.jpeg" width="240" /></a></div><br /><p><br /></p><p>“ॐ रिं रिक्तिमा भैरो दर्शय स्वाहा । ॐ क्रं क्रं-काल प्रकटय प्रकटय स्वाहा । रिं रिक्तिमा भैरऊ रक्त जहां दर्शे । वर्षे रक्त घटा आदि शक्ति । सत मन्त्र-मन्त्र-तंत्र सिद्धि परायणा रह-रह । रूद्र, रह-रह, विष्णु रह-रह, ब्रह्म रह-रह । बेताल रह-रह, कंकाल रह-रह, रं रण-रण रिक्तिमा सब भक्षण हुँ, फुरो मन्त्र । महेश वाचा की आज्ञा फट कंकाल माई को आज्ञा । ॐ हुं चौहरिया वीर-पाह्ये, शत्रु ताह्ये भक्ष्य मैदि आतू चुरि फारि तो क्रोधाश भैरव फारि तोरि डारे । फुरो मन्त्र, कंकाल चण्डी का आज्ञा । रिं रिक्तिमा संहार कर्म कर्ता महा संहार पुत्र । ‘अमुंक’ गृहण-गृहण, मक्ष-भक्ष हूं । मोहिनी-मोहिनी बोलसि, माई मोहिनी । मेरे चउआन के डारनु माई । मोहुँ सगरों गाउ । राजा मोहु, प्रजा मोहु, मोहु मन्द गहिरा । मोहिनी चाहिनी चाहि, माथ नवइ । पाहि सिद्ध गुरु के वन्द पाइ जस दे कालि का माई ॥”</p><p>इसकी सिद्धि से साधक की सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा श्री भैरवजी की कृपा बनी रहती है । इस मन्त्र से झाड़ने पर सभी व्याधियों का नाश होता है ।</p>Devxhakerhttp://www.blogger.com/profile/07113884805836000176noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-89721107277000347562021-07-05T09:37:00.003-07:002021-07-05T09:37:31.903-07:00नवरात्रि कब से है और क्या करे जानये<p> मित्रों जैसा कि आप सभी को पता है कि आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि आने वाली है मित्रों यू तो हम हर नवरात्रि पर कुछ ना कुछ लिखते हैं बस मां बाबा इतनी कृपा प्रदान करे कि हम उतना सरलकरणी से लिख सके कि आम इंसान भी उतने ही सरलीकरण से देवी मां नवदुर्गा की आराधना कर सके, मित्रों आप सभी अपने अपने आराध्य देव या देवी के जप तप पुजा हवन या गुप्त ऊर्जा को पाने के लिए और अपने अपने गुरूओ अनुसार या अपने विवेकनुसार कार्य करेंगे , मित्रों गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपद से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू होंगे इस साल गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होंगे और 18 जुलाई को समाप्त होंगे, चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी देवी मां नवदुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्रि में गुप्त नवरात्रि में देवी मां कालिका, देवी मां तारा देवी, देवी मां राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी, देवी मां भुवनेश्वरी, देवी मां चित्रमस्ता, देवी मां त्रिपुर भैरवी, देवी मां धूम्रवती, देवी मां बगलामुखी, देवी मां मातंगी और देवी मां कमला देवी की पूजा भी की जाती है जो हर तरह से गुप्त ही होती है, </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjamG_KYUcQpylEaOXAeYLLKkrkyfQouPaQWVhZDh01b336XL-XfrR-Vh1rjrtdQZPQmSVACUpOpJJHQn-nlf5vyFHeMz-wyT3uW8pQddbNgS3U_dP-zHxxIIaB-vV-hrd0Hsgw2WC3Pss/s1280/FB_IMG_1624744177471.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1280" data-original-width="720" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjamG_KYUcQpylEaOXAeYLLKkrkyfQouPaQWVhZDh01b336XL-XfrR-Vh1rjrtdQZPQmSVACUpOpJJHQn-nlf5vyFHeMz-wyT3uW8pQddbNgS3U_dP-zHxxIIaB-vV-hrd0Hsgw2WC3Pss/w225-h400/FB_IMG_1624744177471.jpg" width="225" /></a></div><br /><p></p><p><br /></p><p><br /></p><p>आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ तिथि: - 11 जुलाई 2021,</p><p>प्रतिपदा तिथि 10 जुलाई को सुबह 07 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी, जो कि 11 जुलाई की सुबह 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगी,</p><p> तिथि प्रारंभ: - 10 जुलाई 2021 सुबह 06:46</p><p>प्रतिपदा तिथि समाप्त: - 11 जुलाई 2021 के समय 07:47</p><p>अभिजीत मुहूर्त: - 11 जुलाई, दोपहर 12:05 से 11 जुलाई दोपहर 12:59 तक</p><p>घट स्थापना मुहूर्त: - 11 जुलाई सुबह 05:52 से 07:47 तक ,दिन रविवार को घटस्थापना की जाएगी। घटस्थापना के लिए सुबह 05 बजकर 31 मिनट से सुबह 07 बजकर 47 मिनट तक का समय शुभ है, इस वर्ष घटस्थापना की कुल अवधि 02 घंटे 16 मिनट की है फिर दिन में घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है, काफी बार सुना गया कि कि गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी साधक संत सन्यासी देवी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं, ये पुजा साधना साधारण ग्रहस्थ या बालक बालिका भी कर सकते हैं पुणे श्रद्धा और आस्था रखते हुये बस उग्र साधना ना करें बिना गुरू के सबसे पहले देवी मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित करें उसके बाद देवी मां के चरणों में पानी वाला नारियल, या सिम्पल नारियल ,केले, सेब, खील, बताशे और श्रृंगार का सामान अर्पित करें देवी मां दुर्गा को लाल पुष्प यानि रक्त पुष्प चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है ,और भी कई तरह की समाग्री होती है ध्यान रहे मित्रों जैसी शक्ति हो वैसी ही भक्ति करे जबरदस्ती कोई नहीं बस जो श्रद्धा और भक्ति करे वो ही सर्वश्रेष्ठ है ,अन्य समाग्री देवी मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल इत्यादि , यहां हम कुछ नवरात्रि के उपाय या पुजा पद्धति दे रहे हैं जो साधारण जनमानुस भी कर सकते हैं </p><p>कुछ साधारण उपाय जो हर नवरात्रि में हो सकते हैं ,</p><p>सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं, देवी मां दुर्गा को सदैव लाल ,रक्त पुष्प रंग का पुष्प ही चढ़ाएं,देवी मां दुर्गा के विशिष्ट मंत्र 'ऊं ऐं ह्रूीं क्लीं चामुंडाय विच्चे' का सुबह-शाम 108 बार जप करें, गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं, ऐसा करने से आपकी पूजा और जप तप निष्फल हो जाते हैं या फल बराबर नहीं मिलता , रोग निवारण के लिए सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए, देवी मां कालिका का कोई भी मंत्र हो जाप करना चाहिए,या जिसमें में आपका मन लगे उस मंत्र का जाप करना चाहिए, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों कुछ विस्तार से भी समझ लिजिए अच्छा है जो नये साधक है कोई और करना चाहिए नवरात्रि तो छोटी सी पूजा अल्प विधि , सुबह सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें , ग्रहस्थ के लिए लाल कलर हो कपड़े का तो अच्छा है बाकी साधक गुरु आज्ञानुसार कपड़े पहने,, नवरात्रि की सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करें जो हमने ऊपर बता रखी है, उसके बाद पूजा की थाल सजाएं ,देवी मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को लाल रंग के वस्त्र से सजाएं , कोई बाबा हनुमान जी पुजा करता हो बाबा का सिन्दूर जरुर लगाये, मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं (गुप्त नवरात्रि में जरूरी नहीं इच्छा हो तो बो सकते हैं ) और नवमी तक प्रतिदिन पानी जरूर दे, पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, (गंगाजल ना हो तो आप उसमे शुद्ध कुऐ या बोरिंग का पानी भर सकते हैं कुछ बुन्दू गंगाजल की डाल सकते हैं )उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं या अशोक की पत्तियों लगा सकते हैं, और उस पर नारियल रखें दिजिए, कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा (मोली, लच्छा)के माध्यम से उसे बांधें और कलश की स्थापना कर लिजिए, फिर फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें , नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी मां दुर्गा से संबंधित मंत्र या अपने इष्ट या गुरु आज्ञानुसार मंत्रों का जाप और हवन करें ,और मां का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें जगत कल्याण आरोग्य के लिए प्रार्थना करें, मित्रों अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना,खीर, हलवा) का भोग लगाएं यह सब आप श्रद्धानुसार करें हमने पहले ही कहां है कि जैसी शक्ति हो वैसी ही भक्ति करे सच्चे मन से जो अर्पण करे मां बाबा को सब स्वीकार है , आखिरी दिन या अष्टमी नवमी को कन्या भोज कराया अगर अपनी शक्ति कन्या भोज की नहीं है तो कोई बात नहीं कुछ मीठा बनाकर मां को भोग लगाकर देवी मां दुर्गा के पूजा के बाद कन्याओं को कुछ मीठा खिलाकर उनका पुजन करके आशीर्वाद प्राप्त करें और बाद घट विसर्जन करें, देवी मां की आरती गाएं, उन्हें फल फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं , </p><p>आईये जानते हैं कब कोन सी नवरात्रि कब है,</p><p>प्रतिपदा तिथि (11 जुलाई 2021</p><p>आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है, प्रतिपदा तिथि पर घट स्थापित किया जाता है तथा देवी मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है,</p><p>द्वितीय तिथि (12 जुलाई 2021)</p><p>प्रतिपदा तिथि के बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि प्रारंभ होगी जिस दिन देवी मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करने का विधान है,</p><p>तृतीया तिथि (13 जुलाई 2021)</p><p>नवरात्रि की तृतीया तिथि पर देवी मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं, देवी मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को सुख व समृद्धि का वरदान देती हैं, चतुर्थी तिथि (14 जुलाई 2021)</p><p>14 जुलाई 2021 के दिन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है और इस दिन देवी मां कुष्मांडा की पूजा होगी,देवी मां कुष्मांडा की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है,</p><p>पंचमी तिथि (15 जुलाई 2021)</p><p>आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पंचमी तिथि पर देवी मां स्कंदमाता की पूजा और आराधना का विधान है,देवी मां स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं,</p><p>षष्ठी तिथि (16 जुलाई 2021)</p><p>आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर देवी मां कात्यायनी तथा देवी मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी ,देवी मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह बाधा दूर होते हैं तथा भय से मुक्ति मिलती है वही देवी मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली माता कही गई हैं,</p><p>अष्टमी (17 जुलाई 2021)</p><p>17 जुलाई 2021 पर मां दुर्गा अष्टमी का पर्व है और इस दिन देवी मां महागौरी की पूजा की जाती है देवी मां महागौरी की सवारी गाय है और वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं देवी मां महागौरी को देवी मां अन्नपूर्णा स्वरूप भी कहा जाता है,</p><p>नवमी (18 जुलाई 2021)</p><p>अष्टमी तिथि पर देवी मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, इस वर्ष 18 जुलाई पर नवमी तिथि है, देवी मां सिद्धिदात्री , देवी मां दुर्गा का नवा स्वरूप मानी गई हैं इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं,</p><p>दशमी तिथि (19 जुलाई 2021)</p><p>आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर विजयदशमी या बाबा भेरव जी पूजा होती है इस दिन साधक तांत्रिक पुणे आहुति के लिए एंकात या उजाड़ या श्मशान या जहां शांति प्रतित हो वहां जाकर अपनी अपनी नो दिन की पुणोहुति भी देते हैं सभी की अपनी अपनी क्रिया और फल होता है , यह नवरात्रि मुख्यात सिद्ध विधि के लिए भी मानी गयी जिनका विवरण हमने ऊपर दे रखा है आशा करते हैं आप हमारे द्वारा दी गयी जानकारी से सन्तुष्ट होंगे ,</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEie459lKhO2MI21jlrOEKHJz8wRk6vdvkyvL7qrFuJZ2sV3sJuAyOkYt0k_R7uses8dz85WcuRGGKE5fiMTWL7iNy35s5KKpKXq52tq0PXzdFDtVxX5gK_nBfhhOkDFDrnvobph-055Mu8/s704/IMG-20210623-WA0001.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="700" data-original-width="704" height="199" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEie459lKhO2MI21jlrOEKHJz8wRk6vdvkyvL7qrFuJZ2sV3sJuAyOkYt0k_R7uses8dz85WcuRGGKE5fiMTWL7iNy35s5KKpKXq52tq0PXzdFDtVxX5gK_nBfhhOkDFDrnvobph-055Mu8/w200-h199/IMG-20210623-WA0001.jpg" width="200" /></a></div><br /><p></p><p><br /></p><p><br /></p><p>नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों अच्छी लगे पोस्ट तो शेयर करें धन्यवाद जय मां बाबा की 🌹🙏🏻🌹</p><p>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻🌹</p>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-83293145412948795772021-06-01T11:04:00.002-07:002021-06-01T11:04:33.496-07:00साल 2021 में कब कब है ग्रहण क्या करें क्या ना करें<p> साल 2021 में कब कब है ग्रहण</p><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjfq9l9P8ahQ20DbJXzH7gHx_Pmzk__JwpNIHjWrVbvpUlSlXFcR74t_O4ZQY1oOas7XkTdQL_UX60aLrcCXtXu6dIWDb3X7MAetiUJNYHWyoTQdoWXv1Kbyygus3-dgsXfRdeY1BS7ER2e/s764/images+%252812%2529.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="401" data-original-width="764" 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text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRUB2Kcw1hCIRN-RkzwTry_EhhmUjkefktq3tr8Ly2GqEKllkICpiFbp548p6Ae-5TY53LpmVrBr_rJUv5Wn3ddchv7_D2TVKPTWakBcfQ9x1rqW2bmzmVUsrkDHDBwAY1d-2lghHS-aWy/s480/images+%252810%2529.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="360" data-original-width="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRUB2Kcw1hCIRN-RkzwTry_EhhmUjkefktq3tr8Ly2GqEKllkICpiFbp548p6Ae-5TY53LpmVrBr_rJUv5Wn3ddchv7_D2TVKPTWakBcfQ9x1rqW2bmzmVUsrkDHDBwAY1d-2lghHS-aWy/s320/images+%252810%2529.jpeg" width="320" /></a></div><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjobDTfEiZkfGTTmDhnYuavhOozlx-ovnFlvi9cnas-B9S6Sl6rr7-kBf3dQf3WNYyMRIPzbM9Df0XC0vdfLJj27RVSrbn7al-nH25I7AFSULxPJrAtH2L40mzd1ynkqcXXJxuUW076wfGU/s360/images+%25289%2529.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="232" data-original-width="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjobDTfEiZkfGTTmDhnYuavhOozlx-ovnFlvi9cnas-B9S6Sl6rr7-kBf3dQf3WNYyMRIPzbM9Df0XC0vdfLJj27RVSrbn7al-nH25I7AFSULxPJrAtH2L40mzd1ynkqcXXJxuUW076wfGU/s320/images+%25289%2529.jpeg" width="320" /></a></div><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiSOa67hsvvdXJ2ZOUhpl132rr9jI1bpbUWksQAnKHoKUL3bT0sqB69mcD0pysys98hfu8za1Z8NtJWx2T0ehtLXdQv-M1V2LUucvukem7YNtLW4ReqiqV1ac-8oT8z8KCOV6Q6EptwT3Ug/s456/images+%25288%2529.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="282" data-original-width="456" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiSOa67hsvvdXJ2ZOUhpl132rr9jI1bpbUWksQAnKHoKUL3bT0sqB69mcD0pysys98hfu8za1Z8NtJWx2T0ehtLXdQv-M1V2LUucvukem7YNtLW4ReqiqV1ac-8oT8z8KCOV6Q6EptwT3Ug/s320/images+%25288%2529.jpeg" width="320" /></a></div><br /></div><div><br /></div><div>चंद्रग्रहण 26 मई जो निकल चूका है और दुसरा 19 नवंबर 2021 को,</div><div>सूर्य ग्रहण जो आने वाला है ,10 जून और दुसरा और अंतिम सुर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को,</div><div><br /></div><div>मित्रों साल 2021 का सूर्य ग्रहण लगने में कुछ ही दिन शेष रह गया है पंचांग और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वर्ष 2021 में दो चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण लगने हैं, आइए जानते हैं कि यह कब लगेगा और किन देशों में दिखाई देगा 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को लगेगा, जो हमें उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग तथा यूरोप और एशिया में आंशिक तौर पर दिखाई देगा, इसके अलावा उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में यह पूर्ण रूप से नजर आएगा ,अगर भारत की बात करें तो यह आंशिक रूप में ही दिखाई देगा ,साल 2021 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को लगेगा, इस ग्रहण का असर अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा हालांकि, भारत में सूर्य ग्रहण का असर शून्य होगा, ऐसे स्थिति से भारत में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा,</div><div>इस साल 26 मई को पहला चंद्र ग्रहण था यह पूर्ण चंद्र ग्रहण था यह भारत में एक उपछाया ग्रहण के तौर पर देखा गया, जबकि पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में पूर्ण चंद्र ग्रहण था इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को दोपहर करीब 11.30 बजे लगेगा, जो कि शाम 05 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यह भारत, अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर में देखा जा सकेगा, और 10 जून गुरूवार को लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, सूर्यग्रहण 10 जून को लगेगा ,यह ग्रहण ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर लग रहा है ,यह इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा, ग्रहण दोपहर 01:42 बजे से शुरू होगा जो शाम 06:41 बजे समाप्त होगा, यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा,</div><div>मित्रों कितने प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण,</div><div>1. पूर्ण सूर्य ग्रहण</div><div>जब चन्द्रमा पृथ्वी के बेहद पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इससे चन्द्रमा पूर्ण रूप से पृ्थ्वी को अपनी छाया क्षेत्र में ले पाता है, जिससे सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक नहीं पहुंच पाता है और पूरी धरती अंधकारमय हो जाती है, इसे ही पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है,</div><div>2. आंशिक सूर्य ग्रहण,</div><div>जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा कुछ इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई दे इसके परिणाम स्वरुप चन्द्रमा, सूर्य के कुछ ही हिस्से को अपनी छाया क्षेत्र से ढक पाता है, इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है,</div><div>3. वलयाकार सूर्य ग्रहण,</div><div>जब चन्द्रमा पृथ्वी से काफी दूर होने के बाद भी पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है यह सूर्य को इस तरह से ढक देता है कि सूर्य का केवल बीच का हिस्सा ही चंद्रमा के छाया क्षेत्र में आ पाता है और जब हम पृथ्वी से देखते हैं तो सूर्य पूरी तरह के ढका हुआ दिखाई नहीं देता है यह कंगन या वलय के रूप में दिखाई देता है इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी, </div><div>इस ग्रहण में सूतक लगेगा या नहीं,और क्या ना करें और क्या करे सुतक काल में और क्या सावधानियां बरतें,</div><div>भारत में दिखाई न देने के कारण ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा ग्रहण काल में सूतक का विचार किया जाता है, इस दौरान कई कार्यों को करने की मनाही होती है, सूर्य ग्रहण का महत्व</div><div>ग्रहण एक अशुभ घटना होती है इसलिए ग्रहण में कई चीजों का विचार किया जाता है हिन्दू धार्मिक आस्था केन्द्रों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं लोग ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए गंगा जैसी पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं पूजा पाठ एवं अन्य प्रकार के मंगल अनुष्ठान रुक जाते हैं पर ग्रहण काल के दौरान तंत्रोकित और गुरु, इष्ट मंत्रो का जाप हवन ज़ारी रहता है, जब ग्रहण समाप्त होता है तो गंगा जल से घरों, मंदिरों, मूर्तियों को शुद्ध किया जाता है ताकि उनके ऊपर से ग्रहण की अशुभ छाया दूर हो जाए, सूर्य ग्रहण के दौरान सावधानियां ,सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है विशेषकर गर्भवती महिलाओं को, उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही उन्हें चाकू छुरी या नुकीली चीजों का प्रयोग करना चाहिए, कहा जाता है कि इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु के ऊपर पड़ता है ग्रहण काल के दौरान भोजन इत्यादि करना भी वर्जित है और मल मुत्र का त्याग करना भी वर्जित होता है, पर बिमार ,बुढ्ढे ,बच्चों के लिए सब माफ है,इस सूर्य ग्रहण के बाद स्नान, दान और मंत्र जाप करना विशेष फलदायी रहेगा, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो ग्रहण भारत में दिखाई देगा उसका सूतक काल भी भारत में मान्य होगा, इसके साथ ही इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष असर जनमानस पर भी पडेगा इस ग्रहण का देश की राजनीति पर भी असर होगा, यूद्ध के आसार और महामारी का असर बना रहेगा कई राशियों होगी मालामाल तो कई राशियों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है , वाहन चलाते समय सावधानी रखें और अपना और अपनो का ख्याल रखें, रोजना पीपल में जल दें चमेली या घी का दीपक जलाएं बाबा हनुमान जी की चालीसा और बाबा शनि महाराज की चालीसा और मुलमंत्र का जाप करें, बाकी आगे जैसी मां बाबा की कृपा और इच्छा,🙏🏻🌹</div><div>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🏻🌹</div>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-44357815636844069082021-04-25T09:07:00.003-07:002021-04-25T09:07:43.298-07:00बाबा हनुमान जी का जन्मोत्सव कब है और क्या करना चाहिए<p> मंगलवार 27/4/2021को बाबा लाल लंगोटी वाले बाबा यानी बाबा हनुमान जी का जन्मदिन है तो हम सभी आपको एक उपाय दे रहे रहे जो हमने पिछले साल ओर उसके पिछले साल भी दिया था ओर जो शत्रु पंडित है</p><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjq0O3q03PUnW10Bmc_YGh8ImEOKuScGuHxqwzsjQVZWb27V7f7QweS6QaPoOPF8ZWAqEfjwFCpfOVegfB8-KunmSKp4G8JVo9B3xoaJopoMbxmJVZqL-W4HuCsGy1fUXNR8Op0Pr-9iEAe/s674/FB_IMG_1618034137239.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="674" data-original-width="579" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjq0O3q03PUnW10Bmc_YGh8ImEOKuScGuHxqwzsjQVZWb27V7f7QweS6QaPoOPF8ZWAqEfjwFCpfOVegfB8-KunmSKp4G8JVo9B3xoaJopoMbxmJVZqL-W4HuCsGy1fUXNR8Op0Pr-9iEAe/w550-h640/FB_IMG_1618034137239.jpg" width="550" /></a></div><br />उनके लिए भी एक मंत्र विधी विधान सहित कहाँ गया है और उसके साथ कुछ उपाय दिए हैं जो आप रोज कर सकते हैं समझ में नहीं आये तो पुंछ सकते हैं ,आप चारों करो तो बहुत अच्छा है मंगलवार सुबह जल्दी समय मिल जाये तो बहुत अच्छा है अपने घर मे पुजा के लिए बाबा की पुजा करे उनके साथ जो आपके इष्ट आदि देवता है उनकी भी पुजा करे तो बहुत अच्छा है फिर किसी भी बाबा के मंदिर जाये उनको सिंदूर पीले वाला (माँग भरने वाली कुमकुम नही ) ओर चमेली का तेल जाये दोनो को मिलाकर उनसे बाबा की मालिस करे ओर आपके जो हाथो मे जो सिंदूर लगा रह जाये उसको एक पात्र मे एक्कट्ठा कर लिजिये ओर अपने घर के हर दरवाजे के ऊपर स्वास्तिक बना दिजिये ओर अपनी छत के ऊपर भी दक्षिणी दिशा मे स्वास्तिक बना कर बाबा के नाम का पीला भगवा झण्डा लगा दिजिये अगर उस पर बाबा का चित्र बना हो तो सबसे अच्छा ओर बाबा हनुमान जी के मंदिर मे बाबा को चोला चढाने जाओ तो रक्त पुष्पो की माला लेते जाओ गुड़हल ओर कनेर के फुल,इत्र की शीशी ओर मीठे पान पान पर लोंग का बंध लगाना है, ओर एक नारियल ले जाना है उसको अपने सिर के ऊपर सात बार वार कर उनको यही कहना है कि , *हम आपकी शरण मे है यही हमारे गुरदेव का कहना है* यही बोलना है ओर आक के एक सौ आठ पतो की माला बनानी है कलवा के साथ ओर जो चोला नही चढा सके वो उनके चरणो से सिंदूर लाकर घर पर ऊपर वाली क्रिया कर सकती है। ओर वो आक के पतो की माला जो बाबा को चढी हुयी आप अगर सुबह अपने घर पर ला सको रविवार को लाकर उससे हवन कर लिजिये माला को चंदन लगाकर बाबा को पहनानी है घर मे हवन करने से रोग दोषो का विनाश होगा ओर सिंदूर से स्वास्तिक बनाने से आपके घर पर कोई अघात नही कर सकेगा कल जब भी बाबा के मंदिर जाओ तो मीठे के रूप मे मावे के पडे ओर पाँच तरह के फल भी लेकर जाये ओर कल बाबा के नाम से जो दान पुण्य हो करे केवल खाने की वस्तू का ध्यान रहे बाकी आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही पोस्ट को सभी मे फोरवड करे ओर पोस्ट के साथ छेड़ छाड़ करने पर दोष तो माना ही जाता है फलीभूत हो वो कोई जरूरी नही ये सब हमारे गुरू ओर इष्ट की देने है उसी पर क्रिया ओर ये सब उनकी देने बाकी आपकी इच्छा,,, </div><div>इसके लाथ एक मंत्र विधान,, </div><div>सर्व शत्रु निवारण मंत्र ये मंत्र हमने पंचमुखी हनुमान कवचम् से लिया है ओर भी काफी मंत्र है इस कवच मे जिसको कोई तोड नहीं है... </div><div><br /></div><div>ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चंमुखहनुमते टं, टं, टं, टं, टं, सकलशत्रुसंहरणाय स्वाहा.. </div><div><br /></div><div>इस मंत्र को इक्कीस हजार बार यानी २१००० बार जप हवन (जप के साथ हवन करना है )कर के सिद्ध कर ले इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद शत्रु भी आपसे मित्रवत व्यवहार करने लगेगे ओर शत्रु भय समाप्त हो जायेगा बाबा हनुमानजी को कोई भी मंत्र सिद्ध करो जाप पुणे होने पर उस मंत्र को भोजपत्र पर लाल चंदन से या लाल स्याही से उतार ले फिर उसको अभिमंत्रित करके फिर उसको ताबीज मे धारण करे ये हमारा अनुभव है की फल तुरंत मिलेगा पर बात आस्था ओर विश्वास की है </div><div>बाकी छेड़ छाड़ किसी को फलित हो या ना हो ये कोई जरूरी नही आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा ।।</div><div>नोट, महिलाओं के लिये भी एक पुजा विधान है कल के लिए कल वो बाबा हनुमान जी के मंदिर जाकर उनको परिक्रमा करके उनको प्रणाम करके फिर माँ पार्वती ओर बाबा भोले नाथ को की पुजा कर सकती है बाबा के नाम की बाबा भोलेनाथ को बिलपत्र चढा सकती है पर बिलपत्र पर ॐ श्री राम लिखा होना चाहिए चंदन से इससे उनके घर कलह मे ओर बाहरी रूकावटो से आराम मिल जायेगा बाकी जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा मानो तो अच्छा नही मानो तो बहुत अच्छा ।।।।</div><div>जो मंत्र नही कर सकते उनके लिये रामायण, रामचरित्र मानस, सुंदरकाण्ड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, संकटमोचन, हनुमान जंजीरा ओर भी बहुत कुछ है,,,, </div><div>और इसके साथ ही कुछ उपाय यह भी कर लीजिए घर में रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ चमत्कारी उपाय,</div><div>सिंदूर को सुख, ,,सौभाग्य और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। खास तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाए, तो इसके जादूई प्रभाव मिल सकते हैं। सिंदूर से केवल पति की उम्र ही लंबी नहीं होती बल्कि रातों रात बदल सकती है किस्मत, घर में भी आपको स्वर्ग से शांति महसूस होगी, इस लेख में बताए जा रहे उपाय को अगर आप जीवन भर करेंगे तो आपके घर-परिवार पर धन सदा बरसता रहेगा और जीवन की सभी बाधाओं को शांत करेगा। सिंदूर और कुमकुम से हो सकते हैं आपके सभी सपने पूरे आईए जानें कैसे,,</div><div>प्रतिदिन घर के पुरूष बाबा हनुमान जी को सिंदूर लगाएं और महिलाएं देवी मां भगवती दुर्गा को कुमकुम, ध्यान रहे पुरूष देवी मां भगवती दुर्गा को सिंदूर न लगाएं और महिलाएं बाबा हनुमान जी को,</div><div>घर के मुख्य द्वार पर सरसो का तेल और और बाबा हनुमान जी के चरणों का सिंदूर का टीका लगाने से कोई भी बुरी शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर सकती, वास्तुदोष समाप्त होते हैं ,,देवी मां लक्ष्मी अपना स्थाई बसेरा बना लेती हैं और बाबा शनिदेव नजर दोष से रक्षा करते हैं,</div><div>मंगलवार को बाबा हनुमान जी के चरणों का सिंदूर लेकर उससे सफेद कागज पर स्वास्तिक बनाएं, उस कागज को मोड़े नहीं सदा इस कागज को अपने पास रखें। प्रतिदिन इस कागज को प्रणाम करें। नौकरी से संबंधित कोई भी समस्याओं का हल होगा तुरंत,</div><div>महिलाएं सुबह स्नान करके देवी मां गौरी को सिंदूर लगाएं फिर स्वंय की मांग भरें। पति-पत्नी के बीच प्यार की कमी और छोटे-मोटे विवादों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस उपाय से आप अपनी लाइफ को रोमांटिक और खुशहाल बना सकते हैं,,,</div><div>प्रणाम आप सभी पुजनीयो को,,,</div><div>ऐसी की ऐसी ही शेयर करे सभी मे अगर नाम कमाने का शोक है तो आपकी इच्छा नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी जय मां बाबा की 🙏🏻🌹</div><div>आप सभी को बाबा के जन्मोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं </div><div>जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधेकृष्णा अंलख आदेश </div><div><br /></div><div>🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻</div>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-8170186770645325062021-04-09T10:23:00.002-07:002021-04-09T10:23:48.165-07:00सोमवती अमावस्या के कुछ उपाय और टोटके भाग 2<p> सोमवती अमावस्या के कुछ उपाय</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhh0p0WP-Qayr6-9OPSmQoIOTrzOP5li0xTB_24PuPeR9nBCmNUC_NOy1fuQI8zti4mwZhZICpK0luWMsw5DlrHxYO-V3tcUtiPqDayUwgjuZmk6w-tfCZW9_1tHrpBl6wTz4fzmp6L1J4/s631/FB_IMG_1617114513846.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="631" data-original-width="540" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhh0p0WP-Qayr6-9OPSmQoIOTrzOP5li0xTB_24PuPeR9nBCmNUC_NOy1fuQI8zti4mwZhZICpK0luWMsw5DlrHxYO-V3tcUtiPqDayUwgjuZmk6w-tfCZW9_1tHrpBl6wTz4fzmp6L1J4/w548-h640/FB_IMG_1617114513846.jpg" width="548" /></a></div><br /> और टोटके भाग 2<p></p><p>साल 2021 में केवल एक ही अमावस्या ऐसी पड़ रही है जो सोमवती अमावस्या है इसलिए 12 अप्रैल वाली सोमवती अमावस्या का महत्व काफी अधिक माना जा रहा है. ऐसी मान्यता है कि अगर सोमवती अमावस्या पर कोई उपवास करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं. इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा सनातनी नववर्ष 2077 की समाप्ति ओर नववर्ष के आगमन का अंतिम दिन है </p><p> सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त</p><p>अमावस्या प्रारम्भ- 11 अप्रैल 2021 सुबह 06:03 बजे से</p><p>अमावस्या समाप्त- 12 अप्रैल 2021 सुबह 08:00 बजे तक</p><p>इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। संभव हो तो इस दिन पवित्र नदियों में स्ना करें</p><p>घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें</p><p>अगर संभव हो तो इस दिन व्रत करें। सोमवती अमावस्या के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है</p><p>भगवान शिव की अराधना कर उन्हें भोग लगाएं</p><p>भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की आरती करें</p><p>इस दिन आप दिनभर ऊॅं नम: शिवाय का जप भी कर सकते हैं</p><p>सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है सोमवार के दिन अमावस्या पड़ने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है ,2021 में पड़ने वाली ये पहली और अंतिम सोमवती अमावस्या है इस पावन दिन पवित्र नदियों, तालाबों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है, सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है,</p><p>इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं विवाहित महिलाएं इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं और पीपल पर दूध, पुष्प, अक्षत और चंदन अर्पित करती हैं अमावस्या के दिन पितरों से संबंधित कार्य करना भी शुभ होता है। इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है इस दिन दान करने का कई गुना फल मिलता है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,</p><p>भूखे लोगों को भोजन कराएं अमावस्या के दिन भूखे लोगों को भोजना कराने का विशेष महत्व होता है</p><p>मछलियों को शक्कर मिश्रित आटे की गोलियां खिलाए</p><p>धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को तिल के लड्डू, तेल, कंबल और वस्त्र जैसी जरूरी चीजों का दान करना चाहिए</p><p>इस दिन पशु- पक्षियों को भोजना कराना भी शुभ रहता है</p><p>अब मित्रों कुछ विस्तार से जैसा हमने पिछले पोस्ट में बताया था कि इस साल सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को पड़ रही है सनातन धर्म के अनुसार, अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य और पिंडदान किए जाते हैं सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की फेरी लगाना भी बेहद शुभ माना जाता है जानिए पीपल की सोमवती अमावस्या के दिन क्यों लगाते हैं फेरी, महत्व और पूजा विधि-</p><p>पीपल के पेड़ की पूजा करें इसके साथ ही तुलसी का भी पौधा रखें पीपल पर दूध, दही, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, हल्दी, माला, काला तिल आदि चढ़ाएं वहीं तुलसी में पान, फूल, हल्दी की गांठ और धान चढ़ाएं इसके बाद पीपल की कम से कम 108 बार परिक्रमा करें घर आकर पितरों का तर्पण दें इसके साथ ही गरीबों को र दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है सनातनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन स्त्रियों को सोमवती अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद पीपल के पेड़ की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने का भी विशेष महत्व होता है मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखी होता है इसके साथ ही जिन जातकों के विवाह में विलंब हो रहा हो तो इस व्रत के प्रभाव से शीघ्र विवाह होने के योग बनते हैं</p><p>सनातन धर्म में पूजा-अर्चना के लिए अमावस्या व पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है कहते हैं कि इस दिन पूजा करने से देवी-देवता आसानी से प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं मान्यता है कि अमावस्या के दिन गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से कई यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है</p><p>इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें संभव हो तो इस दिन पवित्र नदियों में स्ना करें अगर नदियों में स्नान नहीं कर सके तो आप अपने नहाने के पानी में पवित्र नदियों का पानी मिलाकर स्नान कर सकते हैं</p><p>घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें</p><p>अगर संभव हो तो इस दिन व्रत करें सोमवती अमावस्या के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है</p><p>भगवान शिव की अराधना कर उन्हें भोग लगाएं</p><p>भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की आरती करें</p><p>इस दिन आप दिनभर ऊॅं नम: शिवाय का जप भी कर सकते हैं </p><p>कुछ उपाय विस्तार से,</p><p>चैत्र अमावस्या विक्रम संवंत वर्ष का अंतिम दिन होता है विक्रम संवंत को आम भाषा में सनातनी हिन्दू कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है चैत्र अमावस्या तिथि की समाप्ति के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आती है जो सनातन हिन्दू धर्म नववर्ष का पहला दिन होता है जैसा हम पहले ही बता चूके है मान्यता अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी नवरात्र भी हिन्दू नवर्ष की पहली तिथि से प्रारंभ होता है इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं आप चाहे तो मौन व्रत भी रख सकते हैं ,सोमवती अमावस्या के दिन अगर पीपल के सूत को 108 बार कच्चे सूत से लपेटना चाहिए इसके अलावा गिनती के 108 फल अर्पित करके उन्हें अलग रख लें पूजा संपन्न होने के बाद फल ब्राह्मणों या बच्चों में वितरित कर दें ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की पूर्ति तो होती ही है, मान्यता अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन ॐकार मंत्र का जप करना अत्यंत फलदायी होता है इसके जप से मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति होती है इसके अलावा अगर इस दिन रात्रि काल में रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को रोटी खिलाएं इससे जीवन में आने वाले सारे कष्ट और करियर में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं ,सोमवती अमावस्या के दिन अगर मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल मिलता है। इसके अलावा अगर इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो भी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है पूजन के बाद पीपल की 108 बार परिक्रमा करें इसके बाद प्रणाम करके प्रार्थना करें कि जीवन में आने वाली आर्थिक समस्याएं खत्म करें ,सोमवती अमावस्या के दिन अगर पीपल के सूत को 108 बार कच्चे सूत से लपेटना चाहिए इसके अलावा गिनती के 108 फल अर्पित करके उन्हें अलग रख लें पूजा संपन्न होने के बाद फल ब्राह्मणों या बच्चों में वितरित कर दें ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की पूर्ति तो होती ही है साथ ही संतान की अकाल मृत्यु नहीं होती मान्यता अनुसार ओर आपके विश्वास और श्रद्धानुसार ओर इस दिन तुलसी मां की पूजा करनी चाहिए इसके लिए सबसे पहले तुलसी को जल,फूल चढ़ाएं इसके बाद धूप-दीप दिखाकर श्रद्धा से ‘श्री हरि श्री हरि श्री हरि’ मंत्र का जाप करते हुए 108 बार परिक्रमा करें तुलसी मां से प्रार्थना करें कि वह आपके जीवन की सारी मुसीबतों और धन समृद्धि में आने वाली बाधाओं को दूर करें इस दिन भूखे जीवों को भोजन कराने का भी महत्व है यदि संभव हो तो कम से कम एक भिखारी अथवा गाय को भोजन करावें या किसी निकट के सरोवर में जाकर मछलियों को शक्कर मिश्रित आटे की गोलियां खिलाएं इससे घर में पैसे की आवक शुरू हो जाती है इस दिन निकट के किसी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाए इसके बाद वहीं बैठकर ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें इससे कालसर्पयोग दोष का असर खत्म हो जाता है मान्यता अनुसार और शास्त्रों के हिसाब से और इसी दिन सुबहको स्नान के पश्चात चांदी से बने नाग-नागिन की पूजा करें तथा सफेद फूल के साथ बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें इससे कालसर्पयोग का दोष दूर हो जाता है या दोषमुक्त हो जाता है और किसी को पूजा पाठ या मंत्र में कोई दिक्कत आती है तो ज्योतिष की सलाह ले सकते हैं और अपना जो भी कर्मकांड है ज्योतिषी या पुजारी से पंडित से किसी से भी करवा सकते हैं और उनको उचित मान सम्मान दक्षिणा देकर भोजन करवाकर विदा करवा सकते हैं मंत्र ज्योतिष अनुसार,जिसे कालसर्प दोष हो, उन व्यक्तियों को अमावस्या के दिन किसी अच्छे पंडित से अपने घर में शिवपूजन एवं हवन करवाना चाहिए नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए इसके सेवन से आपके शरीर और भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं क्योंकि इससे पित्र दोष लगता है और इससे इंसान अपने आराध्य देव देवी दूर हो जाता है उसमें नेगेटिविटी का संचार होता है और देवी देवता पितर कुपित और नाराज होते हैं इसी रात्रि को 5 लाल फूल और 5 जलते हुए दीये बहती नदी के पानी में छोड़ें इस उपाय से धन का लाभ प्राप्त होने के प्रबल योग बनेंगे माल फूलों को रक्त पुष्प भी कहा जाता है जिनमें केवल कनेर और गुड़हल के फूल आते हैं और मित्रों इसी दिन अगर बेरोजगार व्यक्ति रात को ये उपाय करें तो निश्चित ही उसे रोजगार प्राप्त होगा इसके लिए 1 नींबू को साफ करके सुबह से ही अपने घर के मंदिर में रख दें फिर रात के समय इसे 7 बार बेरोजगार व्यक्ति के सिर से उतार लें और 4 बराबर भागों में काट लें फिर एक चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में इसको फेंक दें इस उपाय से बेरोजगार व्यक्ति को लाभ की संभावना बनेगी प्रिय मित्रों कोरोना के चलते कई बंधु बेरोजगार हुए हैं तो उनको यह उपाय जरूर करना चाहिए ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो , इसी दिन काली चींटियों को शकर मिला हुआ आटा खिलाएं तवे पर आटे को गर्म करके उसमें शक्कर मिलाएं यानी कच्चे आटे को पकाना या एक गोला ले लीजिए नारियल का गोला अंदर वाला उसमें भर के चीटियों के बिल के पास रख दें या उसको चीटियों के बिल के पास ऊपर थोड़ा सा छेद करके जमीन में कुछ गहराई में डाल दे जहां चीटियां हो ऐसा करने से आपके पाप-कर्मों का क्षय होगा और पुण्य-कर्म उदय होंगे यही पुण्य-कर्म आपकी मनोकामना पूर्ति में सहायक होंगे मित्रों को ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हो समय कि आपके पास कमी है तो इसी दिन शाम को पीपल अथवा बरगद के पेड़ की पूजा करें तथा वहां देसी घी का दीपक जलाएं मां बाबा आपकी मनोकामनाएं जरुर पूरी करेंगे यह सब आपकी आस्था और विश्वास पर निर्भर है मित्रों इसी दिन यानी सोमवती अमावस्या के दिन घर के मंदिर अथवा ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाएं इसमें रूई के स्थान पर लाल रंग के धागे यानी आप लाल रंग का कलावा राजस्थानी भाषा में लच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं तथा केसर का उपयोग करें, इससे देवी मां लक्ष्मी कृपा मिलना शुरू हो जाएगी यह हमारा विश्वास है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आप सभी को सनातनी नव वर्ष संमत 2078 और नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई मां बाबा आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें यही महासभा से हमारी प्रार्थना हैं</p><p>एक बार फिर से इस दिन क्या-क्या करना है देख लीजिए सुबह सुबह</p><p>सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें</p><p>इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें</p><p> इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा रें</p><p> दान-दक्षिणा भी करें.</p><p>इस दिन स्नान करने के बाद भगवान शिव और पार्वती के साथ तुलसी पूजा का भी महत्व बताया गया है </p><p>पितरों का तर्पण करें दान दें भूखे को भोजन कराएं पीपल पूजा करें दीपक जलाएं काले कुत्ते को रोटी खिलाएं चींटियों को आटा खिलाएं और जो ऊपर दिए गए उपाय पर आपको विश्वास है श्रद्धा है अपने पितरों में और भगवान में तो जरूर करें सफलता आपके साथ होगी जय मां बाबा की 🙏🌹</p><p>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश</p>Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-71256849150079114722021-04-09T09:03:00.003-07:002021-04-09T09:03:36.061-07:00सोमवती अमावस्या कब से है और शुभ मुहूर्त कब से है भाग एक<p> #सोमवती #अमावस्या कब से है और शुभ मुहूर्त कब से है </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><br /><div><br /></div><div>मित्रों जैसे आप सभी जानते हैं कि सनातन नव वर्ष आरंभ होने वाला है इस साल की यह आखरी अमावस्या है और सोमवती अमावस्या भी है इस नववर्ष में यही एक सोमवती अमावस्या आएगी ,धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस पावन दिन पितरों का तर्पण करने से उनका विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है,</div><div>इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व होता है</div><div>सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं इस पावन दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ होता है</div><div>इस सनातनी नववर्ष में और साल 2021 में केवल एक ही अमावस्या ऐसी पड़ रही है जो सोमवती अमावस्या है इसलिए 12 अप्रैल वाली सोमवती अमावस्या का महत्व काफी अधिक माना जा रहा है, ऐसी मान्यता है कि अगर सोमवती अमावस्या पर कोई उपवास करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती है इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है ऐसा करने से व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है </div><div>इस दिन सुबह जल्दी उठकर क्या करना चाहिए वह भी जान ले नादान बालक की कलम से बस इतना ही बाकी फिर कभी,</div><div>सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें</div><div>इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें</div><div>इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा रें</div><div>दान-दक्षिणा भी करें.</div><div>इस दिन स्नान करने के बाद भगवान शिव और पार्वती के साथ तुलसी पूजा का भी महत्व बताया गया है,</div><div>मित्रों पुरा विस्तार से बता रहे हैं हो सकता है इस पोस्ट के दो भाग करने पड़े जिसमें उपाय और मुहूर्त समय सारी चीजें दो भागों में विभाजित हो जाए और आप आसानी से हम को समझ सके,</div><div>ब्रह्म मुहूर्त- 04:17 ए एम, अप्रैल 13 से 05:02 ए एम, अप्रैल 13 तक</div><div>अभिजित मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:35 पी एम तक</div><div>विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:07 पी एम तक</div><div>गोधूलि मुहूर्त- 06:18 पी एम से 06:42 पी एम तक</div><div>अमृत काल- 08:51 ए एम से 10:37 ए एम तक</div><div>निशिता मुहूर्त- 11:46 पी एम से 12:32 ए एम, अप्रैल 13 तक</div><div>राहुकाल- 07:23 ए एम से 08:59 ए एम तक</div><div>यमगण्ड- 10:34 ए एम से 12:10 पी एम तक</div><div>गुलिक काल- 01:45 पी एम से 03:20 पी एम तक</div><div>दुर्मुहूर्त- 12:35 पी एम से 01:26 पी एम तक</div><div>गण्ड मूल- पूरे दिन</div><div>पंचक- 05:48 ए एम से 11:30 ए एम तक</div><div>इस साल सोमवती``अमावस्या``` के दिन वैधृति और विष्कंभ योग बन रहा है। खास बात यह है कि पूरे साल में सिर्फ एक ही *सोमवती* अमावस्या पड़ रही है</div><div>सोमवती अमावस्या के दिन वैधृति योग दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगा इसके बाद विष्कुम्भ योग लग जाएगा</div><div>#विष्कुम्भ योग : _ज्योतिष_ शास्त्र में इस योग को विष से भरा हुआ घड़ा माना जाता है इसीलिए इसका नाम विष्कुम्भ योग है। जिस तरह से विष का सेवन करने पर सारे शरीर में धीरे-धीरे विष भर जाता है वैसे ही इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान होता है। यानी इस योग में किए गए कार्य का फल अशुभ होता है</div><div>#वैधृति योग _यह_ योग स्थिर कार्यों हेतु ठीक है परंतु यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य अथवा यात्रा आदि करनी हो तो इस योग में नहीं करनी चाहिए मित्रों अगले भाग में कुछ उपाय देंगे नादान बालक की _कलम_ से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,,</div><div>जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश</div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQXrSI5zvSb9LbS3hZJpiHaNwQlcaZM52Cwi-gg4Tr5rAUw7Jrpz8ntsNrVaPwkek296LPSBtN2jIF53FlFMqKbS_2AscZ-ISpD-bI-_HWi4cXmEAYhotJRpHX6y0ctSnJmtGhHRa4Hdw/s963/IMG_20210409_213109.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="963" data-original-width="719" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQXrSI5zvSb9LbS3hZJpiHaNwQlcaZM52Cwi-gg4Tr5rAUw7Jrpz8ntsNrVaPwkek296LPSBtN2jIF53FlFMqKbS_2AscZ-ISpD-bI-_HWi4cXmEAYhotJRpHX6y0ctSnJmtGhHRa4Hdw/w299-h400/IMG_20210409_213109.jpg" title="#सोमवती आमावस्या" width="299" /></a></div><br />Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-80310944790233745102018-10-16T03:05:00.001-07:002018-10-16T03:05:34.617-07:00बाबा श्मशान भैरव का विशेष पूजन #भक्त भक्त_भावनी #भक्त_भावन<iframe allowfullscreen="" frameborder="0" height="344" src="https://www.youtube.com/embed/IPWUYfGnt-k" width="459"></iframe>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-89386609279635153352018-10-15T13:41:00.001-07:002018-10-15T13:41:27.562-07:00मैं जिंदा शहर बनारस हूँ #भक्त_भावनी<iframe allowfullscreen="" frameborder="0" height="344" 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आजकल सोशल मीडिया पर सबको आने का शोक सा चलन बन चूका है कथित बंदे जौ किसी धर्म या मजहब के नही हो सकते जो सनातनी होकर अपने देवो का अपमान करे ये कुछ उच्च कोटि के धर्मात्माओ की साजिश है जिसको आम आदमी या सनातनी इसको समझ नही पा रहे हर लडाई को सभी सनातनीयो मे मिलकर लडा था चाहे वो श्रेत्रिये, ब्राह्मण, शुद्र, वेश्य कोई भी हो इसके कई जीवित उदाहरण इतिहास मे मिल जायेगे पर आजकल जनरल सामान्य ओबीसी एस टी सा एस सी का मुद्दा चल गया है क्या आजादी की लडाई मे किसी ने जाति पाति या धर्म मजहब देख के लडा था क्या नही वहाँ अंग्रेजी ने एक रूल अपनाया था फुट डालो राज करो आजकल वो ही मशीनरी हिन्दुस्तान मे वो ही काम कर रही है की बस जाति पाति से दंगे कराये जाये आजकल जात बदलना या धर्म बदलना आम बात है ये सोशल मीडिया का यही हकीकत है ओर यही आइना है ओर जो देवी देवता का अपमान करते है या किसी पुरुष सा मुर्द के लिये जो भगवान ने बनाये है ओर उनके लिए ही भगवान का अपमान करते है तो वो हमारी नजर मे मुर्ख के अलावा ज्यादा कुछ नही ओर जो जिन लोगो ने अपने धर्म को परिविर्तन कर लिया है वो हमसे दुर ही रहे या हम सोशल मीडिया पर ब्लाक कर सकते है पर देवी देवता का अपमान करना ये किसी जाति धर्म या मजहब पर कुछ अपशब्द कहना सनातन नही सिखाता यही सत्य है जो ये सब करते है हमसे दुर रहे ओर हाँ जो छुआ छूत भेदभाव को तेजी देने वाले संत महात्मा को भी दुर से नमस्कार आज बस इतना ही नादान बालक की कलम बाकी फिर कभी, एक आग से लगी है दिल मे की कैसे बनाये हम उस हिन्दुस्तान को जो कभी महाराणा प्रताप ,वीर मराठा शिवाजी ,सम्राट पृथ्वीराज चौहान का था या राजा राम का था जिनमे जाति पाति या थी इससे अच्छा तो अंग्रेजी की गुलामी अच्छी थी जहाँ सभी उनके आदेश पर थे जहाँ दंगा नही था जहाँ जाति पाति से नाम पर कोई हिन्दुस्तानी लडता नही था,<br />
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जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।<br />
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Pukhraj mewara mobile no 9829026579http://www.blogger.com/profile/11307180252303344729noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4186101878198553325.post-51664442959121464002018-01-30T10:09:00.000-08:002018-01-30T10:10:52.591-08:00कल का दिन है साधको के लिए शेष्ठे करे कल ये साधना साधको के लिए कल का दिन अति महत्व पूर्ण है कल चंद्र ग्रहण में किये हुए जप यज्ञ सर्वोत्तम फलदायक होते है जो जन्मांतर के कल्मष को कम करते है 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
कल सूतक काल पूर्व भोजन कर लें और दिन में दूध फल का सेवन करें व ग्रहण लगते स्नान कर के कोरा वस्त्र पहेनकर जाप में बैठे व अपने ईस्ट मंत्र का यज्ञ भी करें जब ग्रहण समाप्त हो तब स्नान कर के भोजन बनावें ओर बाद में भोजन ले आजकल ज्यादातर लोगो को भुत प्रेत या जिसको एलोपैथी मे हिस्ट्रीरिया कहते है क्योंकि उनकी समझ मे भुत प्रेत या आध्यात्मिक की ताकत या मंत्र शक्ति पर विश्वास नही होते आज एक सरल मंत्र बताते है पुणे विधी विधान के साथ हाँ अगर कोई इस मंत्र को नकल करके छेड़ छाड़ करके अपने नाम से कही आगे पोस्ट करते है तो किसी भी तकलीफ के लिए हम यानी ये नादान बालक उतरदायी नही है ये मंत्र ग्रहण काल से पहले ग्याहर सो मंत्र जप कर सिद्ध किया जा सकता है अगर आसन सिद्धि ओर गुरू कृपा आपको मिली हुयी है तो आप इस छोटे से मंत्र से कई लोगो का कार्य ओर भला कर सकते है जौ राह भटक कर भुत प्रेत के डर से कई जगह भटकते है इसका जप हवन आशापुरी घी के साथ चलता है,,,,,
मंत्र......
ॐ ह्री भ्रीं फट् स्वाहा परबत हंस स्वामी आत्मरक्षा सदा भवेत् नौ नाथ चौरासी सिद्धया की दुहाई हाथ में भूत पांव मे भूत भभूत मेरा धारण माथे राखो अनाड़ की जोत सबको करो सिंगार गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा दुहाई भैरव नाथ की
मित्रो भूत प्रेत या कोई छाया किसी के शरीर पर कब्जा करती है तो व्यक्ति की चेतना पर अपना अधिकार करती है ओर आदमी की चेतना को विलुप्त या विकृत कर देती है आदमी या ओरत मे कई गुना ताकत भी जाग्रातृ ओर कई अतीत की बातो का भी रहस्योद्घाटन करने लगता है ऐसी कई विलक्षण ताकते भी होती है जो जो अच्छे कार्य भी करती है ओर कई ताकते उनको अपने वश मे करके अपने साथ ले जाती है मित्रो कई पिडित व्यक्ति तो काल का ग्रास बन जाते है इसलिए रोगी का उपचार जितना जल्दी या पहले हो जाये तौ बहुत अच्छा है इस मंत्र मे आपको जौ जरूरी सामान चाहिए वौ है आशापुरी आम की लकडियां घी ओर कुछ लोबान, अनार की कलम रक्त चंदन या उसकी स्याही भोजपत्र बाकी जिसकी विधी जाननी हो वो हमारे इनबाँकस मे आ सकता है सर्वदा स्वागत है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी कोई भी मंत्र जप तप हवन हो शरीर शुदी के साथ आत्माशुद्धी भी कर लेना ओर स्नान इत्यादि नये वस्त्र(धुले हुये वस्त्र) धारण करके आसन शुद्वि करके गुरू आग्या लेकर ही करे बाकी जो माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा ओर जिस देवी देवता का मंत्र हौ उस समय उनको ही अपना आराध्य देव मानकर ही कार्य पुणे करै सफलता आपके हाथ मे होगी,,,,,,उपचार ओर विधी के लिये हमारे इनबाँकस मे सर्वदा आप सभी का स्वागत है,,,,,
प्रणाम आप सभी पुजनीयो को
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,,,, 🌹🌹🌹🌹🌹
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